'जिस दिन पर्चा, खर्चा और चर्चा से महरूम होंगे, कब्र में होंगे...' आजतक से बातचीत में बोले आजम खान

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अलग ही सियासी जगह रखने वाले आजम खान ने जेल की जिंदगी, राजनीतिक अनुभव और पार्टी संबंधी जिम्मेदारियों पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने बताया कि जेल में रहते हुए भी चर्चा में बने रहना उनकी प्राथमिकता थी, अल्लाह पर भरोसा रखते हुए व्यक्तिगत बदला नहीं लिया. रामपुर-मुरादाबाद चुनाव, मुलायम सिंह की यादें और पार्टी निर्णयों पर भी उन्होंने विस्तार से अपने विचार साझा किए.

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जेल से निकलने के बाद आजम खान ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की. (Photo: ITG) जेल से निकलने के बाद आजम खान ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की. (Photo: ITG)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 01 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के सियासी दिग्गज नेता आजम खान ने हाल ही में आजतक से खुलकर बातचीत की, जिसमें उन्होंने जेल की जिंदगी, राजनीतिक अनुभव, पार्टी और व्यक्तिगत परिस्थितियों पर विस्तृत रूप से अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि पहले उनकी चर्चा बाहरी जीवन की होती थी, अब कैद में रहने की जिंदगी चर्चा में है. उनका कहना था, जिस दिन हम पर्चा, खर्चा और चर्चा से महरूम होंगे, हम कब्र में होंगे.

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जेल में रहते हुए भी चर्चा में बने रहना
आजम खान ने कहा कि वह चर्चा से कभी दूर नहीं रहे और जेल में रहते हुए भी उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि उनकी मौजूदगी और बातें सार्वजनिक नजर आएं. उन्होंने कहा, जेल में रहने के बावजूद चर्चा में बने रहना ही मेरा अर्ज है. उन्होंने अपने जेल अनुभव की तुलना ब्रिटिश कालीन जेलों से की, जब गुलाम हिंदुस्तान में लोगों को इज्जत के साथ रखा जाता था. उन्होंने वर्तमान दौर की तुलना करते हुए कहा कि अब जितनी इज्जत दी जा सकती है, उतनी बेइज्जत की जाती है. उन्होंने साफ किया कि उनके पास किसी से व्यक्तिगत शिकवा नहीं है, बल्कि बदलते समय की परिस्थितियों का एहसास है.

अल्लाह पर भरोसा जताया
आजम खान ने बताया कि अल्लाह उन्हें यह सिखाता है कि जिनसे ज्यादती हुई है, बदला लेने का अधिकार है, लेकिन सबसे बेहतर यही है कि बदला अल्लाह पर छोड़ दिया जाए. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने ऊपर छोड़ दिया है. मालिक एक है और इंसान को यही समझकर संयम रखना चाहिए.'

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अखिलेश यादव से मुलाकात और संबंध पर क्या बोले?
अखिलेश यादव से मुलाकात पर आजम खान ने कहा कि चुनाव से पहले और पिछली बार जेल में भी वे उनसे मिलने आए थे. उन्होंने कहा कि शिकवे-शिकायतें उनके लिए कभी महत्वपूर्ण नहीं रही. जो लोग उनसे मिलने आए, उनके प्यार और सम्मान की कदर की. उन्होंने जेल में फोन की अनुमति न होने के कारण फोन से किसी संपर्क की सुविधा नहीं रहने की बात भी साझा की.

जेल में कैसा रहा कोरोना का अनुभव?
आजम खान ने बताया कि कोरोना के दौरान भी वह जेल में रहे. उन्होंने अपनी पेंशन और सदस्यता संबंधी अनुभव साझा किया. उनका कहना था कि उनकी सदस्यता 5 घंटे में खत्म कर दी गई, जबकि राहुल गांधी के मामले में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इसी में फर्क है और इसे समझना जरूरी है.

राजनीति और पार्टी के निर्णय पर क्या कहा?
आजम खान ने कहा कि रामपुर या किसी अन्य जगह से चुनाव लड़ना उनके लिए कोई बाधा नहीं है. उन्होंने पार्टी निर्णय का सम्मान किया और फाउंडर मेंबर होने के नाते पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारी बताई. उन्होंने कहा कि पार्टी का फैसला सर्वोपरि है और उन्होंने कभी व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता नहीं दी.

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मुलायम सिंह और राजनीतिक यादें
मुलायम सिंह को याद करते हुए आजम खान ने कहा कि उनके जाने से राजनीति में कमी जरूर आई. उन्होंने कहा कि अधूरे काम को पूरा करने की जिम्मेदारी उन्हें निभानी पड़ी. उन्होंने राजनीतिक विवादों, टिकट वितरण और पार्टी में सहयोग के अपने अनुभव साझा किए.

कैसा रहा चुनाव अनुभव?
आजम खान ने मुरादाबाद और रामपुर के चुनाव और टिकट वितरण पर भी खुलासा किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के निर्णयों का सम्मान किया और टिकट दिलाने के लिए पूरी कोशिश की. उन्होंने कहा कि अपनी छोटी जीत को दूसरों की बड़ी समझने की गलती न करें. उन्होंने पार्टी में निभाई गई भूमिका, जेल और व्यक्तिगत संघर्ष को रेखांकित किया.

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