समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. यूपी के लखीमपुर खीरी में चल रहे सपा के बूथ प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन अखिलेश यादव मंगलवार को मिशन-2024 का बिगुल फूंकेंगे. जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर 'लोक जनजारण यात्रा' निकालेंगे, जो लखीमपुर खीरी से धौरहरा तक जाएगी. इस तरह सपा 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान का आगाज कर रही है, लेकिन जब-जब सपा ने यात्रा निकाला है, उसे राजनीतिक लाभ मिला है. ऐसे में देखना है कि इस बार रथ यात्रा से क्या सियासी संजीवनी मिलेगी?
मिशन-2024 में जुटी सपा
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा यूथ और बूथ को मजबूत करने में जुट गई है. पिछले दो दिनों से लखीमपुर खीरी में अपने कैडर को बूथ प्रबंधन, जातीय जनगणना, सामाजिक न्याय, संविधान-लोकतंत्र का भविष्य और लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर ट्रेंनिंग दे रही है. बूथ से लेकर जिला स्तर तक के करीब पांच हजार कार्यकर्ता शिरकत किए.सपा प्रमुख अखिलेश यादव मंगलवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और उन्हें चुनाव जीत का मंत्र देंगे.
सपा इस तरह के शिविर हर जिले में लगाने की रूप रेखा बनाई है. इन शिविरों के आयोजन में धार्मिक स्थलों को तवज्जो दी जाएगी. लखीमपुर खीरी के बाद 9 और 10 जून को नैमिषारण्य में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होगा. इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे. इस तरह अखिलेश हर जिले में जाकर कार्यकर्ताओं को मिशन-2024 के लिए तैयार करेंगे. जिलों में शुरू हुए प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेकर वह पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक सूत्र में बांधने का भी प्रयास कर रहे हैं.
अखिलेश निकालेंगे रथ यात्रा
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा कार्यकताओं को जोड़ने की हरसंभव कोशिश में जुटी हुई है. इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने जिलेवार विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं और अब रथ यात्रा भी निकालकर सियासी माहौल बनाने की कवायद शुरू कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी का कार्यक्रम जिस जिले में होगा, उस जिले में रथ यात्रा निकालकर सामाजिक न्याया और जातिगत जनगणना के मुद्दे को धार देने की रणनीति बनाई गई है. इसी मद्देनजर लखीमपुर खीरी से धौरहरा के लिए अखिलेश यादव 'लोक जनजारण यात्रा' को रवाना करेंगे. इस तरह सपा दो लोकसभा सीटें लखीमपुर खीरी और धौरहरा को साधने की कवायद करेगी.
मुलायम के नक्शेकदम पर अखिलेश
चुनावी रथयात्रा सपा के लिए सियासी संजीवनी की तरह रही है. रथयात्रा की परंपरा मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी और उसे अखिलेश यादव ने आगे बढ़ाया है. साल 1987 में मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए 'क्रांति रथ' निकाला था और 1989 के चुनाव में मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसी रास्ते चलते हुए अखिलेश यादव ने साल 2001 में अपने पिता मुलायम के ही अंदाज में 'क्रांति रथ' निकाला था.
अखिलेश यादव ने पहली बार 'क्रांति रथ यात्रा' 31 जुलाई को शुरू हुई थी. यह यात्रा लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, मऊ, आजमगढ़ और अंबेडकरनगर होते हुए 4 अगस्त को लखनऊ में खत्म हुई थी. अखिलेश की यह सियासी लांचिंग थी. इसके बाद 2002 विधानसभा चुनाव में सपा 143 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 2004 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे.
अखिलेश साइकिल पर सवार
अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव से पहले बसपा सरकार के खिलाफ रथ यात्रा और साइकिल यात्रा निकाली थी. इस तरह उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा किया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से सपा की सरकार प्रदेश में आई थी और अखिलेश यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी के सामने उनकी करारी शिकस्त हुई थी. कांग्रेस से गठजोड़ के बाद भी दोनों को मिलाकर कुल 52 सीटें ही मिल पाई थीं. इस बाद समाजवादी पार्टी ने सत्ता में वापसी के लिए 2022 में 'विजय रथ' निकाला था. इस यात्रा से सपा सत्ता में तो नहीं आ सकी, लेकिन पार्टी की सीटें दो गुना हो गई थी. सूबे में सपा 47 सीट से बढ़कर 111 पर पहुंच गई.
सपा को क्या 2024 में मिलेगा लाभ
सपा 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले अपने सियासी अभियान की शुरूआत कर दी है. पिछले सप्ताह ही अखिलेश यादव ने पार्टी के जिला अध्यक्षों की बैठक करके उनसे अपने क्षेत्र की लोकसभा सीटों का रिपोर्ट कार्ड मांगा है, जिसमें मौजूदा सांसद के परफार्मेंस और क्षेत्र के जातीय समीकरण सहित का भी ब्योरा मांगा है.
वहीं, सपा ने अब जिला स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को बूथ प्रबंधन का मंत्र देने के साथ-साथ सामाजवादी विचारधारा पर मजबूती से डटे रहने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव हमेशा प्रशिक्षण शिविर पर जोर देते रहे हैं. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से पहले सपा ने प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है, जिसमें तमाम मुद्दों पर चर्चा करने के साथ-साथ प्रशिक्षण भी आयोजित करा रही है.
सपा अपने कोर एजेंडे पर लौटी
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा अपने पुराने एजेंडे पर लौटती दिख रही है. सपा ने प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर 'लोक जागरण यात्रा' को रवाना करेंगे. इससे साफ जाहिर है कि सपा की कोशिश अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम को साधे रखते हुए दलित और ओबीसी को जोड़ने की है. सपा की रणनीति है कि 2022 के चुनाव में मिले करीब 36 फीसदी वोटबैंक में पांच से सात फीसदी अतिरिक्त वोट जुड़ जाए तो बीजेपी से मुकाबला आसान हो जाएगा.
सपा जातीय के इर्द-गिर्द 2024 का चुनावी एजेंडा सेट करना चाहती है, जिसके लिए सपा प्रमुख जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. सपा सामाजिक न्याय की राजनीति के खाके का पालन करने का दावा करती है. हालांकि, अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी पार्टी की 'यादव परस्त' छवि ने ओबीसी-दलित समुदाय की जातियों का विश्वास खोया है. ऐसे में सपा अब जातिगत जनगणना की मांग को धार देकर ओबीसी की राजनीति को दोबारा से खड़ी करना चाहती है ताकि बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड का सामना किया जाए सके?
कुबूल अहमद