बलरामपुर: छांगुर मामले में अधिकारियों पर गिरेगी गाज, तत्कालीन ADM-CO और इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध, जांच शुरू

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध मानी गई है. ये वही दौर था जब छांगुर ने जिले में अपने काले साम्राज्य को खड़ा किया और धर्मांतरण के रैकेट को मनमाने ढंग से ऑपरेट किया. 

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छांगुर के खिलाफ पुलिस की जांच जारी (Photo: ITG) छांगुर के खिलाफ पुलिस की जांच जारी (Photo: ITG)

आशीष श्रीवास्तव

  • बलरामपुर ,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

जमालुद्दीन उर्फ छांगुर प्रकरण में शासन बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध मानी गई है. ये वही दौर था जब छांगुर ने जिले में अपने काले साम्राज्य को बड़ा किया और धर्मांतरण के रैकेट को मनमाने ढंग से ऑपरेट किया. 

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बताया जा रहा है कि उक्त एडीएम और इंस्पेक्टर के खिलाफ यूपी एसटीएफ को पहले भी साक्ष्य मिले थे, लेकिन उस समय कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि, अब पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद इन चारों अफसरों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. इतना ही नहीं जल्द ही दो तहसीलदार समेत कुछ और अफसरों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा. 

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बता दें कि छांगुर ने बलरामपुर के उतरौला के मनकापुर रोड स्थित पांच करोड़ के शोरूम को दहेज में लिया था. ये दहेज उसकी करीबी नीतू उर्फ नसरीन की बेटी से अपने नाती की शादी कराने के एवज में लिया गया था. 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 12 नवंबर 2023 को नीतू के नाम पर जमीन खरीदी गई, जिसे खतौनी में भी दर्ज करवा दिया गया. बाद में सामने आया कि यह जमीन तालाब के रूप में दर्ज है. नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने एडीएम को पत्र भेजकर जमीन को पाटने से रोकने को कहा था. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, क्योंकि तत्कालीन अफसरों की मिलीभगत थी. 

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यही नहीं छांगुर के खिलाफ हुई FIR में उसको बचाने के आरोप में पुलिस विभाग के कई अधिकारी जांच के दायरे में हैं. आरोप यहां तक है कि कई अधिकारियों ने मोटी रकम और गाड़िया भी छांगुर से उसको बचाने के एवज में ली हैं, जो अब जांच-पड़ताल के दायरे में आ गई है. फिलहाल, विभागीय जांच की सुगबुगाहट से महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.

उधर, यूपी एटीएस की गिरफ्त में आए छांगुर को लेकर लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. बताया गया कि छांगुर नेपाल सीमा से सटे गांवों में इस्लामिक मूवमेंट फैलाने क धर्मांतरण के अड्डे खोलने की साजिश रच रहा था. इसके लिए उसने 46 गांवों के लड़कों को टारगेट किया था, साथ  ही एक पूरी टीम भी खड़ी कर ली थी.

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जांच एजेंसियों का कहना है कि छांगुर ने इस्लामिक मूवमेंट फैलाने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रखी थी. विदेशों से उसके पास लगातार पैसे आ रहे थे. वह नेपाल में भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटा था. साल 2020 के बाद वह आर्थिक रूप से बेहद मजबूत हो गया. गौरतलब है कि 2015 तक जो छांगुर पुरानी बाइक से अंगूठियां और नग बेचता था, वह अब लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा था. उसके करीबियों की संपत्तियां भी तेजी से बढ़ीं. फिलहाल, ईडी इन सबकी जांच कर रही है. 

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