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लॉकडाउन से फायदाः कम हुआ प्रदूषण, भरने लगा ओजोन का छेद

aajtak.in
  • 27 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST
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पूरी दुनिया में इस समय कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन है. सड़कों पर ट्रैफिक है नहीं. फैक्ट्रियां भी बंद हैं. इमारतें बनाने का काम भी नहीं चल रहा. न ही कोई प्रदूषण फैलाने वाले काम. लॉकडाउन की शुरुआत चीन ने की थी. अब पूरी दुनिया कर रही है. कारण बुरा है - कोरोना वायरस. लेकिन इससे एक बड़ा फायदा ये हुआ है कि इससे ओजोन लेयर में बना छेद अब भर रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से में स्थित अंटार्कटिका के ऊपर बने ओजोन लेयर का छेद अब भर रहा है. क्योंकि चीन की तरफ से जाने वाला प्रदूषण अब उधर नहीं जा रहा है. (फोटोः AP)

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हुआ यूं है कि लॉकडाउन से पहले प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा था. पृथ्वी के ऊपर चलने वाली जेट स्ट्रीम यानी ऐसी हवा जो कई देशों के ऊपर से गुजरती है. वह ओजोन लेयर में छेद की वजह से पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से की तरफ जा रही थी. अब वह पलट गई है. (फोटोः रॉयटर्स)

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यूनिवर्सिटी की रिसर्चर अंतरा बैनर्जी ने बताया कि यह एक अस्थाई बदलाव है. लेकिन अच्छा है. इस समय चीन में हुए लॉकडाउन की वजह से जेट स्ट्रीम सही दिशा में जा रही है. कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम है. इसलिए ओजोन का घाव भर रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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चीन एक समय में सबसे ज्यादा ओजोन डिप्लीटिंग सब्सटेंस यानी ओजोन को घटाने वाले तत्व छोड़ता था. लेकिन अभी चीन से ये तत्व नहीं निकल रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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साल 2000 से पहले जेट स्ट्रीम पृथ्वी के बीचों-बीच घूमता रहता था. लेकिन उसके बाद से ये पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से की तरफ घूम गया. इससे ओजोन में छेद तो हुआ ही. ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के मौसम में भारी बदलाव आया. वहां सूखा पड़ने लगा.

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अब अंतरा बनर्जी की टीम ने देखा कि जेट स्ट्रीम का फ्लो सुधर रहा है. जिसकी वजह से ओजोन का घाव भरने लगा है. साथ ही ऐसे ही पूरी दुनिया प्रदूषण कम करे तो ऑस्ट्रेलिया का मौसम सुधर जाएगा. (फोटोः रॉयटर्स)

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दुनिया में सबसे ज्यादा इंडस्ट्री चीन में है. सबसे ज्यादा प्रदूषण भी वहीं से होता था. लेकिन पिछले 2 महीने के लॉकडाउन से प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो गया है. इसकी वजह से कई देशों की हवा-पानी में सुधार आया है. (फोटोः रॉयटर्स)

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अगर पूरी दुनिया का लॉकडाउन प्रदूषण कम कर सकता है तो ये आगे भी काम आ सकता है. इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ना कम हो जाएगा. ग्लोबल वार्मिंग कम होगी. ओजोन को कम करने वाले तत्व कम निकलेंगे. प्रदूषण की वजह से लोगों की मौत कम होगी. (फोटोः रॉयटर्स)

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