देश भर में महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शिवलिंग के बारे में जो जमीन के अंदर धंसा है. इतना ही नहीं, इस जगह के पास में समंदर किनारे एक बीच बना है जिसका आकार ॐ की तरह है. यह जगह कर्नाटक के गौकर्ण में है.
गौकर्ण एक ऐसी जगह है जहां पर एक बीच का आकार बिल्कुल ॐ की तरह है. इसके पास ही वह आत्म लिंग है, जो जमीन के अंदर धंसा हुआ है. इसके साथ शिवजी, रावण और भगवान गणेश की रोचक कथा जुड़ी हुई है.
कहा जाता है कि रामायण काल में रावण जब शिवजी से अमरता का वरदान पाने के लिए तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने प्रसन्न होकर रावण को एक शिवलिंग दिया, जिसे आत्म लिंग कहा जाता है.
इस आत्म लिंग के संबंध में शिवजी ने रावण से कहा था कि इस आत्म लिंग को
लंका ले जाकर स्थापित करना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर
रख दिया जाएगा, यह वहीं स्थापित हो जाएगा. अत: यदि तुम अमर होना चाहते हो
तो इस लिंग को लंका ले जा कर ही स्थापित करना.
रावण इस आत्म लिंग को लेकर चल दिया. सभी देवता यह नहीं चाहते थे कि रावण अमर
हो जाए इसलिए भगवान विष्णु ने छल करते हुए शिवजी के बेटे गणेश के माध्यम
से वह शिवलिंग रास्ते में ही रखवा दिया. जब रावण को विष्णु का छल समझ आया
तो वह क्रोधित हो गया और इस आत्मलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया और
शिवलिंग को उखाड़ दिया लेकिन वह जमीन से पूरी तरह इस हटा नहीं सका.
इसीलिए इस मंदिर में शिवलिंग ऊपर नहीं बल्कि जमीन के नीचे पाताल में है. शिवलिंग को स्पर्श करने के लिए हाथ को खाली गोल स्थान के अंदर डालना होता है. तब जाकर शिवलिंग का स्पर्श होता है.
गौकर्ण में महाबलेश्वर का मंदिर है जहां शिव आत्म लिंग के रूप में मौजूद हैं. इसी मंदिर से 7 किमी की दूरी पर ॐ के आकार का बीच बना है. बीच पर जब घूमते हैं तब तो ये साधारण नजर आता है लेकिन जब पहाड़ या ऊंचाई पर चढ़कर इसे देखा जाता है तो बिल्कुल ॐ की आकृति नजर आती है.