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...जब पहली बार इंदिरा से मिली थीं सोनिया, पहनी थी साड़ी, कांप रहे थे पैर!

कुणाल कौशल
  • 09 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST
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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज अपने जीवन के 74 साल पूरे कर लिए हैं. वे भारतीय राजनीति की सबसे सफलतम बहू हैं. कांग्रेस जब आज देश में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है तो भी पार्टी कार्यकर्ता सोनिया गांधी की तरफ ही देख रहे हैं. सोनिया का भारत आना और यहां आकर देश की सबसे शक्तिशाली महिला बन जाने की कहानी बेहद दिलचस्प है.
 

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कभी सत्ता में दिलचस्पी नहीं रखने वाली सोनिया गांधी देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की धुरी बन गईं. शादी के बाद जब सोनिया गांधी भारत आईं तो उस दौरान कई ऐसी चीजें हुईं जिनकी जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं है. 1970 के दशक में भारत औद्योगिक क्रांति की तरफ बढ़ रहा था और इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी मारुति कार की फैक्ट्री लगाने की कोशिश में जुटे हुए थे.

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एक बार जब राजीव गांधी विदेश से लौटे तो उनको पता चला कि उनके भाई संजय गांधी ने सोनिया गांधी को मारुति जैसी विवादित कंपनी में साझीदार बना लिया है. दस्तावेजों पर सोनिया के साइन थे जिनमें वे कंपनी की हिस्सेदारी थीं और उन्हें वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं मिलनी थीं. राजीव यह जानकर बेहद नाराज हुए. राजीव ने सोनिया से पूछा कि क्या उन्हें पता भी है कि उन्होंने किन कागजात पर हस्ताक्षर किए हैं. 

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सोनिया गांधी ने बताया कि उन्होंने संजय के कहने पर हस्ताक्षर किए हैं. राजीव ने सोनिया के हस्ताक्षर को कानून के खिलाफ बताया क्योंकि नियम के मुताबिक कोई भी विदेशी नागरिक भारतीय कंपनी में उस वक्त तक साझीदार नहीं हो सकता था. 
 

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एक दिन संजय गांधी अपनी कंपनी में बनी पहली कार की टेस्ट ड्राइव के लिए सोनिया गांधी को ले गए. सोनिया गांधी जब टेस्ट ड्राइव के लिए पहुंचीं तो जो कार बनाई गई थी वो एक डिब्बे की तरह थी. कार के दरवाजे तक बंद नहीं हो रहे थे और रफ्तार बढ़ाने के बाद कार का इंजन इतना गर्म हो गया कि अंदर गर्मी बढ़ गई. सोनिया गांधी इस टेस्ट ड्राइव के बाद बेहद डर गईं. जब यह बात राजीव गांधी को पता चली तो उन्होंने भी इसपर खूब नाराजगी जताई.

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इटली की रहने वाली सोनिया गांधी की मुलाकात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में राजीव गांधी से हुई थी जहां वो अंग्रेजी की शिक्षा लेने गई थीं. सोनिया को उस वक्त जरा भी अंदाजा नहीं था कि राजीव गांधी भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे हैं. चूंकि राजीव गांधी को पता था कि सोनिया गांधी को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है इसलिए उन्होंने भी बहुत दिन तक ये बात छिपाए रखी. 
 

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पश्चिमी सभ्यता में पली-बढ़ीं सोनिया गांधी लंदन में जब पहली बार राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी से मिलीं तो उनके पैर कांप रहे थे. उन्होंने उस वक्त पहली बार साड़ी पहनी थी. साल 1968 में इंदिरा गांधी की रजामंदी मिलने के बाद राजीव गांधी ने सोनिया गांधी से शादी कर ली. 

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सोनिया जब पहली बार भारत आईं तो यहां देश में जून-जुलाई का महीना चल रहा था और दिल्ली में भीषण गर्मी पड़ रही थी. इससे सोनिया गांधी बेहद परेशान हो गईं क्योंकि उन्हें गर्मी झेलने की आदत नहीं थी. गर्मी के मौसम में राजीव गांधी अक्सर अपने सारे काम निपटाकर शाम को सोनिया को लेकर दिल्ली में घूमने निकल जाते. इंडिया गेट पर आइसक्रीम खाते इस जोड़ी का फोटो खूब चर्चित है. 

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उस वक्त जब कांग्रेस सत्ता में थी और इंदिरा गांधी पार्टी के साथ ही सरकार भी संभाल रही थी तो सोनिया गांधी अपना पूरा ध्यान राजीव गांधी और अपने परिवार पर लगा रही थीं. उन्हें उस वक्त देश की राजनीति में ना कोई दिलचस्पी थी और ना ही जानकारी थी. डायनिंग टेबल पर इंदिरा गांधी उन्हें सरकार के कामों और उनके लिए गए फैसलों की जानकारी दिया करती थीं. 
 

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सोनिया गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि उनके पति राजीव गांधी कोई राजनीतिक पद संभालें लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्हें प्रधानमंत्री बनना पड़ा जिससे सोनिया गांधी खुश नहीं थीं. सोनिया गांधी को राजीव गांधी की चिंता सता रही थी और उन्हें डर लग रहा था कि कोई राजीव गांधी की भी हत्या ना कर दे. सोनिया गांधी का यह डर सच साबित हुआ और तमिलनाडु की एक चुनावी रैली में आतंकी संगठन लिट्टे ने उनकी हत्या कर दी.

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सोनिया गांधी के कांग्रेस पार्टी की कमान संभालने के पीछे भी पूरी कहानी है. सोनिया उस वक्त पार्टी की कमान संभालने को तैयार नहीं थीं लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बहुत समझाया. एक वरिष्ठ नेता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी ( CWC) के प्रवक्ता ने आकर सोनिया गांधी को सूचना दी कि, सोनिया जी CWC ने नरसिम्हा राव के नेतृत्व में आपको पार्टी अध्यक्ष चुन लिया. 
 

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सोनिया गांधी ने इस पर कहा मैं इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकती, राजनीति मेरी दुनिया नहीं है. फिर पार्टी नेताओं ने उन्हें समझाया आपके नाम के साथ गांधी जुड़ना कोई सामान्य बात नहीं है और केवल आप ही राजीव जी के जाने के बाद पैदा हुए शून्य को भर सकती हैं. सोनिया नहीं मानीं और उनकी जगह नरसिंह राव पार्टी के अध्यक्ष बने.
हालांकि बाद में 1997 में सोनिया गांधी ने पार्टी की बागडोर संभाल ली और उसके बाद 2004 में उनके नेतृत्व वाले यूपीए ने सत्ता में वापसी की और 10 साल तक मनमोहन सिंह की सरकार चली.

(उक्त सभी तथ्य स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो की चर्चित किताब 'द रेड साड़ी' से लिए गए हैं)

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