पितृपक्ष में हरिद्वार के इन 4 पवित्र स्थानों पर पिंडदान कर पाएं पितृदोष से मुक्ति

पितृपक्ष में हरिद्वार को पिंडदान के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है. मान्यता है कि यहां किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है. हरिद्वार के चार प्रमुख स्थल विशेष रूप से पिंडदान के लिए प्रसिद्ध हैं.

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हरिद्वार पिंडदान के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल  (Photo: AFP) हरिद्वार पिंडदान के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल (Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:55 PM IST

Pind Daan 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, यह समय पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध करने का होता है. कई लोग पिंडदान के लिए बिहार के गया जी जाते हैं, लेकिन अगर आप वहां नहीं जा पा रहे हैं तो निराश न हों. भारत में कई ऐसे पवित्र स्थान हैं जहां पिंडदान किया जा सकता है और इनमें उत्तराखंड का हरिद्वार एक प्रमुख स्थान माना जाता है, जिसे भगवान विष्णु का प्रिय स्थान कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है.

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हरिद्वार में इन 4 जगहों पर कर सकते हैं पिंडदान

हरिद्वार में कई ऐसे घाट और मंदिर हैं, जहां पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है. ये स्थान न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहां की शांति और पवित्रता आपके अनुष्ठान को और भी खास बना देती है. 

हर की पौड़ी- यह हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध घाट है. यहां हजारों लोग रोज गंगा में स्नान और तर्पण करते हैं. पितृपक्ष में भी यहां पिंडदान करने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. 

कुशावर्त घाट- यह विशेष रूप से पिंडदान के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों के सभी दोष दूर हो जाते हैं और उन्हें शांति मिलती है.

नारायण शिला मंदिर- इस मंदिर में हजारों शिलाएं पूर्वजों को समर्पित हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है, क्योंकि यह स्थान भगवान विष्णु से जुड़ा है.

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कनखल सती घाट- यह स्थान अस्थियों के विसर्जन और पिंडदान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

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हरिद्वार में पिंडदान का खास महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हरिद्वार को गंगा नदी का प्रवेश द्वार माना जाता है. इसी वजह से यहां किए गए पिंडदान का विशेष फल मिलता है. ऐसा माना जाता है कि यहां तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की प्रार्थना सीधे भगवान विष्णु तक पहुंचती है. पुराणों में भी इस स्थान को पितृदोष से मुक्ति दिलाने वाला बताया गया है.

क्यों है हरिद्वार पिंडदान के लिए सबसे बेहतर?

गया जी की तरह ही हरिद्वार भी पिंडदान के लिए एक प्रमुख विकल्प है. यहां पिंडदान करना इसलिए भी खास है क्योंकि यहां गंगा नदी का जल हमेशा उपलब्ध रहता है और चारों ओर का आध्यात्मिक वातावरण आपके अनुष्ठान को सही ऊर्जा देता है. जो लोग लंबी यात्रा नहीं कर सकते, उनके लिए हरिद्वार एक सुविधाजनक और पवित्र स्थान है, जहां वे अपने पितरों को पूरी श्रद्धा के साथ याद कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: नेपाल का मुक्तिनाथ धाम, जहां भारत से भी पिंडदान के लिए जाते हैं लोग

हरिद्वार में घूमने की जगहें

पिंडदान और पूजा-पाठ के बाद श्रद्धालु हरिद्वार की धार्मिक आस्था के साथ उसकी प्राकृतिक खूबसूरती का भी आनंद ले सकते हैं. शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित चिल्ला रेंज वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सफारी प्रेमियों के लिए खास आकर्षण है. वहीं, पहाड़ियों पर बने मानसा देवी और चंडी देवी मंदिर शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हैं, जहां तक श्रद्धालु रोप-वे के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. इसके अतिरिक्त, बिल्केश्वर महादेव मंदिर, जो देवी बिल्केश्वरी को समर्पित है, अपने प्राचीन महत्व के लिए जाना जाता है. साथ ही, नील धारा पक्षी विहार पक्षी प्रेमियों को शांतिपूर्ण और अनोखा अनुभव कराता है.
 

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