भारत शीतकालीन पर्यटन के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है. गुलमर्ग, औली और मनाली जैसे बर्फीले डेस्टिनेशन पर 2025-26 की सर्दियों के लिए भारतीय यात्रियों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं. यह सिर्फ उनके मनमोहक अल्पाइन दृश्यों के कारण नहीं है, बल्कि पूरी तरह से कैशलेस यात्राओं की सुविधा के कारण भी है.
डिजिटल भुगतान, जिनमें UPI और टैप-एंड-पे कार्ड शामिल हैं, ने नकदी ले जाने की पुरानी झंझट को दूर कर दिया है, जिससे छुट्टियों का हर हिस्सा अब आसान, सुरक्षित और पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक हो गया है.
लेन-देन की ओर यह डिजिटल बदलाव अब भारतीयों के शीतकालीन अवकाश की योजना बनाने, उसे देखने और उसका आनंद लेने के तरीके को पूरी तरह से नया रूप दे रहा है.
क्यों बढ़ रही है बर्फीले स्थलों की मांग?
इस साल सर्दियों में घूमने का आकर्षण पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. गुलमर्ग की बर्फ से ढकी ढलानें, औली के प्राचीन बर्फ के मैदान और मनाली की राजसी सफेद चोटियां एक बार फिर परिवारों और रोमांच चाहने वालों के लिए पसंदीदा जगहें बनकर उभरी हैं. दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक ठंड के मौसम में छुट्टियों की मांग में साल-दर-साल लगभग 30% की उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है.
ये क्षेत्र लंबे समय से एडवेंचर पसंद करने वालों के बीच लोकप्रिय रहे हैं. अब परिवार के साथ छुट्टियां बिताने की चाहत रखने वाले यात्री भी इन शीतकालीन स्थलों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि यहां हर आयु वर्ग के लिए आरामदायक सुविधाएं उपलब्ध हैं.
यह भी पढ़ें: सर्दियों में ही दिखता भारत का ये दुर्लभ प्राकृतिक नजारा, जिसे देखने हर साल उमड़ते हैं लाखों टूरिस्ट!
पहाड़ों पर डिजिटल भुगतान का विस्तार
भारतीयों के बर्फीले सफर का अनुभव करने के तरीके में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है, कैशलेस यात्रा का उदय. यह बदलाव बहुत तेजी से हुआ है और अब डिजिटल भुगतान यात्रा के अनुभव का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. जो चीज कभी एक सुखद सुविधा हुआ करती थी, वह अब एक बुनियादी जरूरत मानी जाती है. चाहे गुलमर्ग में स्की उपकरण किराए पर लेना हो, औली में गोंडोला की सवारी के लिए टिकट बुक करना हो, या मनाली में खाने का भुगतान करना हो, कैशलेस लेन-देन अब आम बात हो गई है.
यूपीआई और टैप-एंड-पे ने बनाई यात्रा को बेहद आसान
भारत में कैशलेस भुगतान का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसमें UPI सबसे आगे है. खातों के बीच तुरंत धनराशि स्थानांतरित करने की इसकी क्षमता ने भारतीयों के दैनिक खर्च करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है और यह बदलाव अब यात्रा की आदतों तक भी फैल गया है.
बर्फीले इलाकों में जाने वालों के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और UPI-आधारित ऐप अब जरूरी उपकरण बन गए हैं. ये डिजिटल भुगतान यात्रियों को नकदी ले जाने की असुविधा से बचाती हैं.
सुरक्षा और दक्षता में वृद्धि
कैशलेस यात्रा न सिर्फ सुविधाजनक है, बल्कि सुरक्षित भी है. सर्दियों के मौसम में आने वाले पर्यटकों को अब बड़ी रकम साथ ले जाने से जुड़े जोखिमों की चिंता नहीं करनी पड़ती. होटल बुकिंग से लेकर स्थानीय परिवहन तक, सब कुछ डिजिटल रूप से संभाला जा सकता है, जिससे यात्रा का अनुभव सुरक्षित और अधिक कुशल दोनों हो जाता है.
यह डिजिटल बदलाव का पैमाना चौंका देने वाला है. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के नए आंकड़ों के मुताबिक, यूपीआई ने इस बार 16.73 अरब से ज्यादा लेनदेन किए हैं. इन लेनदेन की कुल रकम 23.25 लाख करोड़ रुपये रही, जो इस बात पर जोर देते हैं कि भारत के यात्रा ढांचे में डिजिटल भुगतान कितनी गहराई से समाया हुआ है.
यह भी पढ़ें: 2026 में घूमने का बना रहे हैं प्लान? माराकेच, मार्बेला...ये 'अनदेखे' डेस्टिनेशन हैं बेस्ट
डिजिटल-प्रथम यात्रा की नई व्यवस्था
जैसे-जैसे भारत में डिजिटल क्रांति तेजी पकड़ रही है, सर्दियों की छुट्टियों की योजना बनाना और बुकिंग करना पूरी तरह से कैशलेस हो गया है. वो दिन अब चले गए जब यात्रियों को हवाई जहाज बुक करने, होटल का किराया चुकाने, या खाने-पीने और अन्य गतिविधियों की खरीदारी के लिए नकदी साथ रखनी पड़ती थी. अब पूरा यात्रा तंत्र डिजिटल लेनदेन पर तेजी से निर्भर हो गया है.
aajtak.in