19 नवंबर के जख्म पर 2 नवंबर का मरहम... दो साल बाद भारत ने लिख दी जीत की कहानी

2023 में अहमदाबाद वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की पुरुष टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी... वह हार हर भारतीय के दिल में टीस बनकर रह गई. लेकिन दो साल बाद 2 नवंबर 2025 को नवी मुंबई में भारतीय महिला टीम ने वही कहानी पलट दी. भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार महिला वर्ल्ड कप जीता.

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अहमदाबाद की खामोशी से नवी मुंबई के शोर तक... (Photo PTI) अहमदाबाद की खामोशी से नवी मुंबई के शोर तक... (Photo PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

कभी-कभी वक्त इतना चुपचाप करवट लेता है कि हम उसे महसूस तो करते हैं, पर समझते तब हैं जब नतीजा सामने होता है. 19 नवंबर 2023... अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम. एक अरब दिलों की धड़कनें उस शाम एक सुर में थीं, 'इस बार कप आएगा घर!' भारतीय पुरुष टीम फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ रही थी. उम्मीदों का समंदर उमड़ पड़ा था. विराट कोहली, रोहित शर्मा, मोहम्मद शमी- हर नाम पर भरोसे की परतें थीं. लेकिन जैसे-जैसे ओवर बीतते गए, वह भरोसा टूटने लगा. अंत में ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट से जीत हासिल की.

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स्टेडियम में सन्नाटा था, घरों में आंखें भीगीं थीं. हार किसी खेल की नहीं थी, वह भावना की हार थी. वह रात हर भारतीय क्रिकेटप्रेमी के दिल में टीस बनकर बस गई- 'हम इतने करीब आकर कैसे चूक गए?'

लेकिन वक्त ने वही पन्ना दो साल बाद नई स्याही से लिखा...

2 नवंबर 2025 नवी मुंबई का डीवाई पाटिल स्टेडियम. इस बार कहानी भारतीय महिला टीम लिखने जा रही थी. सामने था साउथ अफ्रीका, और दांव पर था महिला क्रिकेट का सबसे बड़ा ताज- वर्ल्ड कप. इस बार भी दिलों में वही जोश था, पर इस बार चेहरे बदले थे, और जज्बा और भी प्रखर.

टॉस से लेकर आखिरी गेंद तक भारत ने जुझारूपन की मिसाल पेश की.

शेफाली वर्मा ने अपने बल्ले से मैच की नींव रखी- 87 रनों की विस्फोटक पारी. उनकी हर हिट में एक पुरानी पीड़ा का बदला था... और जब गेंद थामी, तो वही शेफाली दो अहम विकेट लेकर विपक्ष की रीढ़ तोड़ गईं.

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लेकिन असली कहर बरपाया दीप्ति शर्मा ने... 5 विकेट लेकर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से रोक दिया और भारत को विश्व चैम्पियन बना दिया.

मैदान पर भारतीय खिलाड़ी झूम उठीं, हरमनप्रीत कौर ने झंडा लहराया और स्मृति मंधाना की आंखों से झरते आंसू अब खुशी के थे. कैमरे के सामने जब शेफाली मुस्कराईं, तो लगा जैसे 2023 के उन भीगे चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई हो.

यह जीत सिर्फ महिला क्रिकेट की नहीं थी, यह उन हर सपनों की जीत थी जो दो साल पहले अधूरे रह गए थे. यह जीत उस हर लड़की की थी जिसने किसी गली में बैट उठाया और दुनिया को साबित किया कि ‘खेल हमारा भी है’. यह जीत उस हर भारतीय की थी जिसने 2023 की रात टीवी बंद करते वक्त सोचा होगा... फिर कभी मौका मिलेगा.

और अब वक्त बदल गया था...

2023 की हार ने आंखें नम की थीं, 2025 की जीत ने सीना चौड़ा कर दिया. यह दो साल का फासला केवल कैलेंडर का नहीं था- यह भावनाओं की यात्रा थी, निराशा से विश्वास तक, हार से हार्दिक विजय तक. 

क्रिकेट ने फिर सिखाया- हार स्थायी नहीं होती, बस जीत का इंतजार बढ़ा देती है. हम गिरते नहीं, हम लौटते हैं... और जब लौटते हैं, तो इतिहास बदल देते हैं.

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