महासागर में मिले 11 नए RNA वायरस, हो सकते हैं खतरनाक

वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराइयों में 5,500 से ज्यादा तरह के RNA वायरस मिले हैं. इन वायरस में से 11 ऐसे हैं जो ग्लोबल कार्बन आउटपुट को प्रभावित करते हैं.

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5,500 RNA वायरस में से 11 कार्बन पंप के लिए अहम हैं (Photo: Getty) 5,500 RNA वायरस में से 11 कार्बन पंप के लिए अहम हैं (Photo: Getty)

aajtak.in

  • वॉशिंगटन,
  • 12 जून 2022,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST
  • समुद्र में संक्रमण फैला रहे हैं RNA वायरस 
  • ग्लोबल कार्बन आउटपुट पर प्रभाव डाल रहे हैं

शोधकर्ताओं ने दुनिया के महासागरों का सर्वे किया, जहां उन्हें सागर की गहराइयों में छिपे 5,500 से ज्यादा नए आरएनए वायरस (RNA viruses) का पता चला है. साइंस (Science) जर्नल में प्रकाशित यह शोध खास तौर पर इस बात पर फोकस करता है कि आरएनए वायरस ग्लोबल कार्बन आउटपुट को कैसे प्रभावित करते हैं.

2008 और 2011 के बीच, तारा महासागर (Tara Ocean) में खोज की गई, जो एक ग्लोबल रिसर्च प्रॉजेक्ट था. इसमें दुनिया के सभी महासागरों के पानी के नमूने इकट्ठा किए गए थे. वैज्ञानिकों ने पानी की जांच करने पर पाया कि इन नमूनों में सैकड़ों हजारों डीएनए वायरस (DNA viruses) थे और पांच खास ईकोलॉजिकल ज़ोन थे.

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समुद्र के पानी में हजारों DNA और RNA वायरस मिले (Photo: Unsplash)

आरएनए, डीएनए की तरह ही होते हैं. इंसानों की बीमारियों में आरएनए वायरस को अच्छी तरह से जाना जाता है. कुछ आरएनए वायरस फ्लू और कोविड​​-19 का कारण बनते हैं. इस साल की शुरुआत में टीम ने एक और पेपर प्रकाशित किया था, जहां उन्होंने 5,500 से ज्यादा तरह के आरएनए वायरस की पहचान की थी, जिनमें से लगभाग सभी नए हैं.

RNA वायरस संक्रमण फैला रहे हैं

नए अध्ययन के मुख्य लेखक गुइलेर्मो डोमिंगुएज़-ह्यूर्टा (Guillermo Dominguez-Huerta) का कहना है कि हमें यकीन है कि समुद्र में ज्यादातर आरएनए वायरस माइक्रोबियल यूकेरियोट्स जैसे फंगी, प्रोटिस्ट और कुछ हद तक अकशेरुकियों को संक्रमित कर रहे हैं. 

नए पेपर में, शोधकर्ताओं ने कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन में वायरस की भूमिका पर फोकस किया. महासागर में भारी मात्रा में कार्बन का उत्पादन होता है, हर साल 12 गीगाटन, जो एक साल में मानव-जनित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के एक तिहाई के बराबर है. ऐसा सूक्ष्म जीव प्लवक (Plankton) की बड़ी संख्या की वजह से है. जब वे मरते हैं तो कार्बन से भरे उनके शरीर समुद्र के तल में डूब जाते हैं. फिर वे वहीं उलझे रहते हैं. इसी को जैविक कार्बन पंप कहा जाता है.

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टीम का कहना है कि उन्होंने करीब 5,500 RNA वायरस में से 11 ऐसे आरएनए वायरस की पहचान की है जो कार्बन पंप के लिए अहम हैं. शोधकर्ताओं ने एक कंप्यूटर मॉडल भी बनाया है जो समुद्र के किसी दिए गए क्षेत्र में, कार्बन पंप के एक्शन के बारे में बता सकता है. इस मॉडल की मदद से क्लाइमेट मॉडल के बारे में भी बताया जा सकता है. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि एक वायरस कार्बन पंप को कैसे बढ़ा या घटा सकता है.

 

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