Chandrayaan-3 Update: Vikram-Pragyan की कभी न खत्म होने वाली रात आ रही, लेकिन जिंदा है ISRO की ये उम्मीद

Chandrayaan-3 मिशन अब खत्म होने वाला है. तीन-चार दिन में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिर रात हो जाएगी. शिव शक्ति प्वाइंट पर विक्रम-प्रज्ञान भयानक सर्दी वाली 14-15 दिन के अंधेरे में चले जाएंगे. ऐसे में उम्मीद तो सिर्फ चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module - PM) से है. जो एक्टिव है, अब भी डेटा भेज रहा है.

Advertisement
चंद्रमा के शिव शक्ति प्वाइंट पर Chandrayaan-3 के लैंडर-रोवर सो चुके हैं. लेकिन ऊपर PM लगा रहा है चक्कर. कर रहा है ब्रह्मांड की जासूसी. (सभी फोटोः ISRO) चंद्रमा के शिव शक्ति प्वाइंट पर Chandrayaan-3 के लैंडर-रोवर सो चुके हैं. लेकिन ऊपर PM लगा रहा है चक्कर. कर रहा है ब्रह्मांड की जासूसी. (सभी फोटोः ISRO)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर रात होने वाली है. अभी तक Vikram Lander और Pragyan Rover से संपर्क नहीं हुआ है. यानी Chandrayaan-3 मिशन खत्म होने वाला है. तीन-चार दिन में शिव शक्ति प्वाइंट (Shiv Shakti Point) पर अंधेरा छा जाएगा. विक्रम और प्रज्ञान के नींद से जगने की सारी उम्मीद खत्म हो जाएगी. लेकिन चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module- PM) से आस बनी रहेगी. 

Advertisement

चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार 58 दिन से चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. उसने अब तक काफी डेटा भेजा है. उसमें एक यंत्र लगा है, जिसका नाम है SHAPE. यानी स्पेक्ट्रो-पोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ. यह अंतरिक्ष में छोटे ग्रहों की खोज में लगा है. साथ ही एक्सोप्लैनेट्स को भी खोज रहा है. एक्सोप्लैनेट्स यानी सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रहों की जांच-पड़ताल में लगा है. 

शेप (SHAPE) के जरिए ग्रहों पर जीवन के संकेत या इंसानों के रहने लायक ग्रहों की खोज करना है. यह पेलोड लगातार काम में लगा है. बखूबी डेटा भेज रहा है. यह ग्रहों की जांच के लिए नियर-इंफ्रारेड (NIR) वेवलेंथ का इस्तेमाल करता है. यानी हमारे चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते-लगाते यह सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रहों की स्टडी में लगा हुआ है. बस छोटी दिक्कत ये है कि ये तभी ऑन होता है जब यह धरती के विजिबल रेंज में आता है. 

Advertisement

बाहरी ग्रहों की खोज में लगा है PM

विजिबल रेंज यानी जब इससे आसानी से डेटा मिल सके. अभी इसी तरह से यह काम करता रहेगा. इसरो भी इसे लगातार ऑपरेट करता रहेगा. इससे मिलने वाले डेटा से क्या निकल कर सामने आया है. उसका एनालिसिस चल रहा है. लेकिन इस काम में कुछ महीने और लग सकते हैं. इसके बाद ही पता चलेगा कि शेप ने सौर मंडल में या उससे बाहर किस तरह की खोज की है. उससे इंसानों को क्या फायदा हो सकता है. 

चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम शुरूआत में सिर्फ विक्रम लैंडर को चांद की नजदीकी कक्षा में डालना था. उससे अलग होकर चांद का चक्कर लगाना था. यह काम PM ने बखूबी किया. इसलिए अब इसरो के वैज्ञानिक इसमें लगे SHAPE का पूरा फायदा उठा रहे हैं. यह कम से चार-पांच महीने और काम करेगा. लेकिन PM में बचे ईंधन को देखकर लगता है कि यह कई वर्षों तक काम कर सकता है. 

5000 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट की खोज

NASA के मुताबिक अब तक 5000 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स खोजे जा चुके हैं. इनसे यह भी पता चलता है कि ब्रह्मांड में अरबों-खरबों की संख्या में आकाशगंगाएं हैं. सब एकदूसरे से अलग हैं. इनमें कई ऐसे ग्रह भी हैं, जिनकी जांच होनी अब भी बाकी है. ताकि ये पता चल सके कि ये ग्रह सच में हैं भी या सिर्फ गैस का गोला हैं. यहां रहने लायक वातावरण है या वहां जीवन की उत्पत्ति की कोई उम्मीद या पुराने सबूत हों. 

Advertisement

पहला एक्सोप्लैनेट 1990 में खोजा गया था. हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जहां पर सदियों पुराने सवालों के जवाब कुछ सालों या महीनों में मिल जाते हैं. जैसे क्या ग्रह अपने तारों का चक्कर लगाते हैं. जवाब है हां. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये ग्रह पृथ्वी की तरह रहने योग्य हैं. क्या किसी ग्रह पर किसी अन्य प्रकार के जीव रहते हैं. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement