चीन अपने स्पेस स्टेशन पर 2028 तक लगाएगा सोलर पावर प्लांट, वहां से धरती पर भेजेगा बिजली  

अमेरिका और ब्रिटेन दोनों को पीछे छोड़ते हुए, चीन ने अपने स्पेस स्टेशन पर सोलर पॉवर प्लांट लगाने की घोषणा कर दी है. चीन अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बिजली भेजने की तैयारी कर रहा है. अगर वह इस काम में सफल होता है तो ऐसा करने वाला पहला देश होगा.

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अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बिजली भेजने की तैयाकी कर रहा है चीन (Photo: Tiangong space station) अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बिजली भेजने की तैयाकी कर रहा है चीन (Photo: Tiangong space station)

aajtak.in

  • बीजिंग,
  • 09 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST
  • स्पेस में लगाएगा सोलर पावर प्लांट
  • लेजर के जरिए नीचे आएगी बिजली

चीन (China) ने अपने सोलर पॉवर प्लांट स्पेस स्टेशन (Solar Power Plant Space Station) के लिए ट्रायल लॉन्च शुरू करने की घोषणा कर दी है. इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट का पहला चरण अपने शेड्यूल से दो साल पहले यानी 2028 में शुरू कर दिया जाएगा. यह घोषणा करके चीन ने अमेरिका और ब्रिटेन दोनों को पीछे छोड़ने का मन बना लिया है. 

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यह प्रॉजेक्ट चार चरणों में पूरा किया जाएगा. खास बात यह है कि काम पूरा हो जाने के बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर बिजली भेजी जा सकेगी. इसमें धरती से 400 किमी की ऊंचाई से वायरलेस पावर ट्रांसमिशन का इस्तेमाल किया जाएगा. दो दशक से पहले नासा ने पहली बारइस तरह के एनर्जी प्रॉजेक्ट का प्रस्ताव रखा था लेकिन इसपर कभी काम नहीं किया. इतना ही नहीं, ब्रिटेन ने भी 2035 तक स्पेस में, 1600 करोड़ पाउंड की लागत वाला सोलर पॉवर प्लांट बनाने की योजना बनाई है. इसपर रिसर्च भी शुरू कर दी गई है. 

 2028 में शुरू हो जाएगा प्रॉजेक्ट का पहला चरण (Photo: Tiangong space station)

चीन के इस प्लान की रिपोर्ट चाइनीज स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Chinese Space Science and Technology) जर्नल में प्रकाशित की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सैटेलाइट सौर ऊर्जा को माइक्रोवेव या लेजर में बदलेगा और एनर्जी बीम को पृथ्वी पर अलग-अलग जगहों और गतिमान सैटेलाइट तक भेजेगा. 

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माना जा रहा है कि माइक्रोवेव का इस्तेमाल करके, टीम वायुमंडल से गुजरने वाली ऊर्जा की मात्रा को कम करने में सक्षम होगी. सोलर एनर्जी वाले इस स्पेस स्टेशन का मुख्य लक्ष्य सोलर एनर्जी को विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) में परिवर्तित करना है. फिर पृथ्वी पर किसी कलेक्टर के जरिए ऊर्जा ट्रांसमिट करने के लिए माइक्रोवेव ट्रांसमीटर या लेजर एमिटर (Laser Emitter) का इस्तेमाल होगा.  

2050 तक काम पूरा हो जाने की उम्मीद (Photo: Tiangong space station)

चीन के मुताबिक यह प्रोजेक्ट 2050 तक पूरा कर लिया जाएगा. पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, अंतरिक्ष में यह सोलर स्टोशन परमाणु ऊर्जा स्टेशन की तरह काम करेगा. इलेक्ट्रिकल ग्रिड की तरह धरती पर बिजली भेजेगा.

चीन अपने इस ऑर्बिटिंग सोलर पॉवर स्टोशन को चार चरणों में बनाने की योजना बना रहा है. 2030 में, पहले टेस्ट लॉन्च के बाद, चीन 36,000 किमी की भू-समकालिक कक्षा (geosynchronous orbit) में एक अधिक शक्तिशाली प्लांट लगाएगा. 

 

हालांकि एक टेस्ट स्टेशन में केवल 10 किलोवाट बिजली उत्पादन होगा, बड़ा बिजली संयंत्र 2035 तक 10 मेगावाट बिजली देगा. 2050 तक, चीन को उम्मीद है कि स्टेशन करीब दो गीगावाट बिजली का उत्पादन करेगा, जो ब्रिटेन के अधिकांश बिजली संयंत्रों के उत्पादन के बराबर है.

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