भारत का चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान ने एक अनोखा काम किया है. इसने सूरज से निकलने वाले बड़े विस्फोट (कोरोनल मास इजेक्शन या CME) का चंद्रमा पर असर पहली बार देखा. चंद्रयान-2 के एक उपकरण चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (CHACE-2) ने यह खोज की.
इस अवलोकन से पता चला कि जब CME चंद्रमा से टकराया, तो चंद्रमा के दिन वाले हिस्से में हवा जैसी पतली परत (एक्सोस्फियर) का दबाव बहुत बढ़ गया. यह खोज वैज्ञानिकों के पुराने मॉडल से मेल खाती है, लेकिन अब यह असली में देखा गया है.
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चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र मिशन है, जो 2019 में लॉन्च हुआ था. इसमें CHACE-2 नाम का उपकरण लगा है. यह उपकरण चंद्रमा की पतली हवा (एक्सोस्फियर) में मौजूद परमाणुओं और अणुओं की संख्या मापता है. यह बताता है कि वहां कितनी गैसें हैं.
10 मई 2024 को सूरज से कई CME निकले. इनमें ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम के आयन थे. जब ये चंद्रमा पर पहुंचे, तो CHACE-2 ने देखा कि एक्सोस्फियर का दबाव अचानक बढ़ गया. गैसों की संख्या भी 10 गुना से ज्यादा हो गई.
चंद्रमा पर हवा बहुत पतली होती है. इसे एक्सोस्फियर कहते हैं. पृथ्वी की तरह घनी हवा नहीं है, बल्कि इतनी पतली कि परमाणु एक-दूसरे से टकराते ही कम हैं. चंद्रमा की सतह ही इसकी सीमा है. इसे सर्फेस बाउंड्री एक्सोस्फियर कहते हैं.
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ये सभी प्रक्रियाएं एक्सोस्फियर को बनाती हैं. लेकिन चंद्रमा पर कोई हवा की परत नहीं है. कोई चुंबकीय क्षेत्र भी नहीं. इसलिए सूरज के असर सीधे सतह पर पड़ते हैं.
सूरज कभी-कभी बड़े विस्फोट करता है. इसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहते हैं. इसमें सूरज अपने अंदर के बहुत सारे कण (ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम के आयन) अंतरिक्ष में फेंक देता है. ये कण बहुत तेजी से चलते हैं. पृथ्वी पर ये तूफान ला सकते हैं, लेकिन चंद्रमा पर ये सीधे असर करते हैं.
CME चंद्रमा की सतह से ज्यादा परमाणु उड़ा देते हैं. इससे एक्सोस्फियर मोटी हो जाती है. दबाव बढ़ जाता है. 10 मई 2024 को सूरज ने कई ऐसे विस्फोट किए. ये चंद्रमा पर पहुंचे. CHACE-2 ने दिन वाले हिस्से में दबाव बढ़ते हुए रिकॉर्ड किया. यह पहली बार हुआ जब किसी उपकरण ने CME का चंद्रमा पर सीधा असर देखा.
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यह अवलोकन चंद्रमा की पतली हवा को बेहतर समझने में मदद करेगा. वैज्ञानिक पहले से जानते थे कि CME ऐसा असर कर सकता है, लेकिन अब यह साबित हो गया. इससे चंद्रमा पर स्पेस वेदर (सूरज के उत्सर्जन का असर) के बारे में नई जानकारी मिलेगी.
साथ ही, यह चंद्रमा पर बेस बनाने वालों के लिए चेतावनी है. चंद्रमा पर वैज्ञानिक स्टेशन बनाना चाहते हैं. लेकिन ऐसे विस्फोट अचानक आकर वातावरण बदल देते हैं. दबाव बढ़ने से उपकरण खराब हो सकते हैं या सुरक्षा प्रभावित हो सकती है. इसलिए डिजाइन करते समय इन घटनाओं को ध्यान में रखना होगा.
भारत के इसरो ने चंद्रयान-3 के साथ चंद्रमा पर लैंडिंग की. अब चंद्रयान-2 के ऐसे डेटा से चंद्रमा को और करीब से समझा जा सकेगा. यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि अंतरिक्ष यात्रा के भविष्य के लिए भी बड़ा कदम है. सूरज और चंद्रमा के बीच का यह खेल हमें ब्रह्मांड की रहस्यमयी दुनिया दिखाता है.
आजतक साइंस डेस्क