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कोविड-19 के इलाज का 'गुप्त हथियार' खोजा गया, सूंघने लायक नैनोबॉडीज से होगा इलाज

aajtak.in
  • पिट्सबर्ग,
  • 28 मई 2021,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST
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कोरोना से संघर्ष करने के लिए वैक्सीन आई. नेजल स्प्रे भी आ गई है. अब वैज्ञानिक एक नए उपचार के तरीके की बात कर रहे हैं. ये उपचार पद्धत्ति एकदम अत्याधुनिक है. इसमें कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में एंटी-कोविड नैनोबॉडीज (Anti-Covid Nanobodies) डाली जाएंगी. मजेदार बात ये है कि इसके लिए आपको इसे जोर से सूंघना होगा. यानी ये सांस के जरिए जाएगी, जैसा कि लोग जुकाम में किसी इन्हेलर के साथ करते हैं. वैज्ञानिक इनहेल करने वाली नैनोबॉडीज को कोरोना के खिलाफ गुप्त हथियार का नाम दे रहे हैं. कहते हैं कि ये गुप्त हथियार कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को नष्ट करके वायरस के फैलने की प्रक्रिया को निष्क्रिय कर देगा. (फोटोःगेटी)

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इस नई उपचार पद्धत्ति की खोज यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन (University of Pittsburgh School of Medicine) के शोधकर्ताओं ने की है. इन वैज्ञानिकों ने इनहेल करने वाले नैनोबॉडीज को बना लिया है. उसका हैमस्टर (Hamster) नामक जीव पर सफल परीक्षण भी कर लिया है. हैमस्टर चूहे की प्रजाति का जीव है, जिसके जबड़े में जालीदार थैलियां होती हैं. इसमें वह अनाज भर कर सर्दियों के लिए अपने बिल में जमा करता है. खैर बात चल रही थी नैनोबॉडीज की. (फोटोःEric Topol)

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इस स्टडी में बताया गया है कि ये नैनोबॉडीज किसी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज की तरह काम करती है. इनका उपयोग कैंसर के इलाज में किया जाता है. लेकिन ये बेहद सूक्ष्म आकार की होती है और उनका प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम होता है. यानी इनका वैश्विक स्तर पर उपयोग किया जा सकता है. साथ ही इससे भविष्य में आने वाली बीमारियों से लड़ाई करने में भी मदद मिलने के आसार हैं. इसकी रिपोर्ट साइंस एडवांसेज जर्नल में 26 मई 2021 को प्रकाशित हुई है. (फोटोःEric Topol)

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शोधकर्ताओं ने सबसे पहले 8000 नैनोबॉडीज की खोज की. फिर इन्हें नीचे की तरफ से काटकर मिलाया गया. जिससे एक उच्च क्षमता वाली नैनोबॉडी Nb21 का निर्माण हुआ. इसके बाद बायोइंजीनियरिंग के जरिए इसे कोरोना वायरस की कंटीली प्रोटीन परत से रूबरू कराया गया. इसके बाद इस एयरोसोल के आकार के नैनोबॉडी को कोरोना संक्रमित हैमस्टर के शरीर में नाक के जरिए डाला गया. इस नैनोबॉडी ने उस जीव के नाक, गले और फेफड़ों में से कोरोना वायरस को खत्म कर दिया. वह भी लाख गुना ज्यादा गति और सटीकता के साथ. (फोटोःUPMC)

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नैनोबॉडी Nb21 को पिट्सबर्ग इनहेलेबल नैनोबॉडी-21 (PiN-21) नाम दिया गया है. इस स्टडी में शामिल सह-लेखक और शोधकर्ता यी शी ने बताया कि हम इसके परिणाम देखकर काफी उत्साहित हैं. हमारा डेटा बताता है कि PiN-21 गंभीर कोविड-19 संक्रमण में काफी मददगार है. साथ ही यह इंसान-से-इंसान में होने वाले कोरोना संक्रमण को भी रोकेगा. स्टडी में ये बात पता चली कि जिन हैमस्टर्स ने इसे इनहेल किया था, उनका कोरोना संक्रमण के दौरान वजन कम नहीं हुआ. (फोटोःगेटी) 

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यी शी ने बताया कि हमने हैमस्टर्स को दो समूहों में बांटा था. पहले समूह को PiN-21 इनहेल कराया गया, जबकि दूसरे समूह को प्लेसिबो दिया गया. यानी कोई सामान्य सी दवा. दूसरे समूह के हैमस्टर्स का वजन कोरोना संक्रमण के बाद 16 फीसदी गिर गया. जैसे इंसानों का वजन संक्रमण के बाद एक हफ्ते में 9 किलोग्राम तक गिर जाता है. लेकिन जिस समूह ने PiN-21 इनहेलेबल नैनोबॉडी सूंघा था, उसका वजन कम नहीं हुआ. (फोटोःगेटी)

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PiN-21 को सूंघने वाले हैमस्टर्स के फेफड़ों में मामूली सकारात्मक बदलाव हुए. वहीं, दूसरे समूह के हैमस्टर्स की तुलना में कोरोना संक्रमण की वजह से होने वाले इन्फ्लेमेशन में कमी देखी गई. वैज्ञानिकों ने इस बात का ध्यान रखा था कि नैनोबॉडीज वैक्सीन की तरह काम करें लेकिन यह एक विकल्प हों. क्योंकि वैक्सीन की जगह इनका उपयोग नहीं किया जा सकता. हालांकि, वैक्सीन और इसमें खास अंतर ये हैं कि वैक्सीन वायरस के संक्रमण को रोकता है. वहीं, PiN-21 नैनोबॉडीज संक्रमित कोशिकाओं को ठीक करने का काम करता है. यानी अगर किसी को मेडिकल कारणों की वजह से वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती, उनके लिए ये नैनोबॉडीज बचाव का उपयोगी तरीका है. (फोटोःगेटी)

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PiN-21 नैनोबॉडीज का ट्रायल अभी हैमस्टर नामक जीव पर हुआ है. यह सफल भी रहा है. लेकिन यह उपचार पद्धत्ति अभी बेहद शुरुआती दौर में है. अभी इसका इंसानों पर परीक्षण किया जाना बाकी है. इसलिए इंसानों पर सफल परीक्षण के बाद ही इसे लोगों को उपचार के लिए लाया जाएगा. हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कोरोना के इलाज का एक सस्ता और कारगर तरीका हो सकता है. (फोटोःगेटी)

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