जानिए रूस की ऑर्थोडॉक्स चर्च को... कैसे अलग है पोप की चर्च से, रूस का ईसाई धर्म कितना अलग है

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत दौरे पर आ रहे हैं, जिसके बाद उनके धर्म को लेकर चर्चा की जा रही है. ईसाई धर्म तीन सम्प्रदाय में बंटा हुआ है. कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स ईसाई. पुतिन ऑर्थोडॉक्स ईसाई धर्म का पालन करते हैं, जो कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट से अलग है.

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रूस के राष्ट्रपति पुतिन ऑर्थोडॉक्स ईसाई (Photo-social media) रूस के राष्ट्रपति पुतिन ऑर्थोडॉक्स ईसाई (Photo-social media)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं. इस दौरान वे 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. इसके साथ ही कई अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे. समिट में भारत और रूस के बीच कई अहम समझौते भी होने हैं. 

भारत दौरे पर पहुंच रहे पुतिन के धर्म को लेकर भी चर्चा हो रही है. दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ईसाई धर्म का पालन करते हैं, लेकिन वे पश्चिमी देशों के ईसाई से अलग हैं. पुतिन ऑर्थोडॉक्स चर्च को मानते हैं, जो कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट्स चर्च से अलग है. ऐसे में सवाल उठता है कि ईसाई समुदाय कितने अलग-अलग सम्प्रदाय में बंटा हुआ और उनके बीच क्या अंतर है? 

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ईसाई धर्म कितने सम्प्रदाय में बंटा हुआ है
ईसा मसीह में विश्वास करने वाले ईसाई धर्म के अनुयायी हैं, जो कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स तीन सम्प्रदाय में बंटे हुए हैं. कैथोलिक ईसाई, रोमन कैथोलिक चर्च को सर्वोच्च मानते हैं और पोप के नेतृत्व और अधिकार का पालन करते हैं. प्रोटेस्टेंट ईसाई सिर्फ बाइबिल को सर्वोच्च मानते हैं और ऑर्थोडॉक्स में एक अलग ईसाइयत की परंपरा है, जिसमें पोप को नहीं माना जाता है, लेकिन उनके पास कई स्वायत्त चर्चों का एक समूह है. ऑर्थोडॉक्स ईसाई सीधे ईसा मसीह और चर्च में विश्वास करते हैं. 

कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट,ऑर्थोडॉक्स में अंतर

ईसाई धर्म के चर्च के इतिहास में, चर्च में दो बड़े बंटवारे हुए हैं. पहला 1054 में हुआ ग्रेट स्किज्म था जिसने ऑर्थोडॉक्स और कैथोलिक चर्चों को बांट दिया. अगला 1517 में रिफॉर्मेशन के साथ हुआ जिससे प्रोटेस्टेंट चर्च बने. ईसाई धर्म में कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स के बीच नेतृत्व से लेकर धार्मिक अधिकार, धार्मिक संस्कार और बाइबल तक पर मतभेद हैं.

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नेतृ्त्व की बात है तो कैथोलिक ईसाई रोपन पोप पर अपना विश्वास करते हैं, जिन्हें ईसा मसीह का प्रतिनिधि मानते हैं. प्रोटेस्टेंट ईसाई में कोई भी एक प्रतिनिधि नहीं होता है जबकि ऑर्थोडॉक्स ईसाई में चर्चा का अपना संगठन होता है. ईसा मसीह को चर्चा का प्रमुख मानते हैं.  इस तरह ऑर्थोडॉक्स में प्रत्येक चर्चा का शासकीय निकाय होता है. 

धार्मिक अधिकार के संबंध में कैथोलिक ईसाई समाज के लोग बाइबिल के साथ-साथ, चर्च की परंपरा और पोप का मैजिस्टेरियम (शिक्षण अधिकार) को मानते हैं.  प्रोटेस्टेंट में बाइबिल ही सर्वेच्च अधिकार है, वो सारे धार्मिक कार्य बाइबिल के लिहाज से करते हैं. ऑर्थोडॉक्स ईसाई में बाइबिल और चर्चा की परंपराएं हैं, दोनों को समान महत्व दिया जाता है. 

धार्मिक संस्कार में कैथोलिक  सात संस्कार को मानते हैं, जिसमें बपतिस्मा, पुष्टिकरण ( क्रिस्मेशन), यूचरिस्ट, प्रायश्चित, बीमारों का अभिषेक, पवित्र आदेश और विवाह. प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म में मुख्य रूप से बपतिस्मा और प्रभु-भोज को ही संस्कार माना जाता है, जो यीशु द्वारा सीधे स्थापित किए गए थे. कैथोलिक की तरह ऑर्थोडॉक्स भी सात संस्कार मानते हैं, ये संस्कार ईसा मसीह के जीवन और शिक्षाओं के आधार पर आध्यात्मिक अनुष्ठान हैं जो विश्वासी के जीवन को चिन्हित करते हैं और उन्हें ईश्वर से जोड़ते हैं. 

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प्रभु भोज (यूचरिस्ट) के मामले में  कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स में काफी समानता है, जिसमें रूपांतरण में विश्वास करते हैं, जहां रोटी और मदिरा का सार ईसा मसीह के शरीर और रक्त में बदल जाता है. प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म के लोग रूपांतरण को नहीं मानते; अक्सर प्रतीकवाद या संस्कारात्मक मिलन के रूप में व्याख्या करते हैं. तीनों के बीच संत के मामले में अंतर है.  कैथोलिक संतों को मानते हैं और उनकी मध्यस्थता में विश्वास करते हैं जबकि ऑर्थोडॉक्स और प्रोटेस्टेंट ईसाई संतों को नहीं मानते हैं. 

बाइबिल यानि ईसाई धर्म की पवित्र किताब, जिसे लेकर कैथोलिक पुराने नियम में प्रोटेस्टेंट बाइबल की तुलना में अधिक पुस्तकें शामिल हैं, जैसे कि मक्काबी की किताब है. प्रोटेस्टेंट ईसाई पुराने नियम में प्रोटेस्टेंट बाइबल की तुलना में कम पुस्तकें शामिल हैं. ऑर्थोडॉक्स ईसाई कैथोलिक बाइबिल से भी अधिक पुराने नियम की पुस्तकें हैं. 

ऑर्थोडॉक्स ईसाई किसे कहते हैं
ऑर्थोडॉक्स ईसाई धर्म को ही मानते हैं और उनका विश्वास भी ईसा मसीह में ही है. लेकिन, कुछ मान्यताएं और विश्वास उनके अमेरिकी ईसाइयों से अलग हैं. ऑर्थोडॉक्स ईसाई जूलियन कैलेंडर का पालन करते हैं. कुल ऑर्थोडॉक्स में भी सबसे ज्यादा लोग रूस में ही हैं और ये पूर्वी यूरोप में ज्यादा हैं. इनका ज्यादा विश्वास चर्च में है और इनका मानना है कि ईसाई धर्म और चर्च को अलग नहीं किया जा सकता और ईसाई होने के लिए ईसा मसीह को पढ़ना, जानना काफी जरूरी है. 

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ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन ईसा मसीह को ही सबसे सर्वोपरि मानते हैं, ऐसे में वे अन्य लोगों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं. उदाहरण से समझें तो ये पोप का नेतृत्व नहीं करते हैं और सीधे ईसा मसीह और चर्च में विश्वास करते हैं. कैसे दूसरे ईसाइयों से अलग हैं? पहले तो आपको बताते हैं कि मुख्य तौर पर कई लोग इन्हें भी प्रोटेस्टेंट्स का ही हिस्सा मानते हैं. इसके अलावा भी अन्य डिविजन हैं, लेकिन सबसे अहम इन्हें ही माना जाता है. 

कैथलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाई कौन 
रोमन कैथोलिक पोप को फॉलो करते हैं, जिन्हें 'क्राइस्ट ऑफ क्राइस्ट' माना जाता है. ये बाइबिल के साथ पोप का भी नेतृत्व करते हैं जबकि ऑर्थोडॉक्स रोम के पोप को नहीं मानते, पर अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के कुलपति (पैट्रिआर्च) को मानते हैं और परंपरावादी होते हैं. साथ ही एक स्थान पर ज्यादा रहना पसंद करते हैं. वहीं, प्रोटेस्टेंट किसी पोप को नहीं मानते है और इसके बजाय पवित्र बाइबल में पूरी श्रद्धा रखते हैं.

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