Bakrid 2025: ईद-उल-अजहा का चांद दिखा, भारत में 7 जून को मनाई जाएगी बकरीद

Bakrid 2025: इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद जिल-हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है. यह पर्व सिर्फ कुर्बानी का प्रतीक नहीं है, बल्कि अल्लाह के प्रति समर्पण, त्याग और इंसानियत की भावना को भी दर्शाता है.

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बकरीद 2025 बकरीद 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है. यह केवल कुर्बानी का प्रतीक नहीं है, बल्कि अल्लाह के प्रति समर्पण, त्याग और इंसानियत की भावना को भी दर्शाता है. यह इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. आइए जानते हैं कि इस साल बकरीद का त्योहार भारत में किस दिन तारीख को मनाया जाएगा.

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कब है बकरीद 2025?

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद जिल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है. मंगलवार, 27 मई को सऊदी अरब में मगरीब की नमाज के बाद जुल-हिज्जा का चांद देखा गया, जिसके बाद वहां 6 जून को बकरीद मनाए जाने की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है.

सऊदी अरब में बकरीद की तारीख तय होने के बाद 28 मई की शाम यानी आज भारत में भी चांद नजर आ गया है. इससे तय हो गया है कि 29 मई को इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने ‘जिल हिज्जा’ की पहली तारीख है. भारत में जिल-हिज्जा की शुरुआत 29 मई से होगी और 10वीं तारीख को यानी शनिवार, 7 जून को बकरीद का पर्व मनाया जाएगा.

क्यों मनाया जाता है बकरीद का पर्व?

इस पर्व की शुरुआत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना से जुड़ी है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की आस्था की परीक्षा लेनी चाही और उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया. हजरत इब्राहिम के लिए उनका बेटा हजरत इस्माइल सबसे प्रिय थे. अल्लाह के हुक्म को मानते हुए, उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया. लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे के गले पर छुरी चलाई, तो अल्लाह ने एक चमत्कार कर दिया. हजरत इस्माइल की जगह एक जानवर कुर्बान हुआ. इसी घटना की याद में बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है.

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कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटना

इस पर्व का उद्देश्य केवल परंपरा निभाना नहीं, बल्कि समाज में बराबरी, भाईचारे और सेवा की भावना को फैलाना है. कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है- एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों को और तीसरा हिस्सा खुद के उपयोग के लिए रखा जाता है. ये त्योहार गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है.

कैसे मनाते हैं यह पर्व?

बकरीद की शुरुआत ईद की विशेष नमाज से होती है, जो सुबह मस्जिदों और ईदगाहों में अदा की जाती है. इसके बाद लोग गले मिलते हैं, मुबारकबाद देते हैं और फिर कुर्बानी की रस्म अदा करते हैं. घर के बड़े अपने बच्चों और छोटों को ईदी देते हैं, जो इस त्योहार की एक खास रस्म मानी जाती है. साथ ही, जरूरतमंदों को भोजन कराना और उनकी मदद करना इस पर्व का मुख्य उद्देश्य होता है.

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