'सोने की चिड़िया' से भारत को 'शेर' बनाने की मोहन भागवत की सलाह में ऑपरेशन सिंदूर की झलक

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की बेहद सख्त छवि गढ़ने की सिफारिश की है. मोहन भागवत का कहना है कि भारत को अब 'सोने की चिड़िया' जैसी छवि की नहीं, बल्कि शेर बनाने का प्रयास होना चाहिये - क्योंकि पूरी दुनिया ताकतवर होने पर ही अहमियत देती है.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत चाहते हैं कि भारत को दुनिया की महाशक्ति बनाये जाने के प्रयास हों. (Photo: PTI) संघ प्रमुख मोहन भागवत चाहते हैं कि भारत को दुनिया की महाशक्ति बनाये जाने के प्रयास हों. (Photo: PTI)

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

RSS प्रमुख मोहन भागवत केरल के दौरे पर ऐसे दौर में पहुंचे, जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस की तैयारी चल रही थी. संसद के मॉनसून सेशन में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस चल रही थी, और तभी सुरक्षा बलों ने पहलगाम के हमलावरों को घेर कर घाटी में ढेर कर दिया - और ये दौर भी है जब बीजेपी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति बना रही है. 

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संघ से जुड़े संगठन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की तरफ से आयोजित शिक्षा शिखर सम्मेलन की ज्ञान सभा में मोहन भागवत ने मैकाले की शिक्षा नीति तक पर अपनी राय रखी है, लेकिन भारत को महाशक्ति बनाने की बात ज्यादा प्रासंगिक लगती है. जब मोहन भागवत भारत को शेर बनाने की बात करते हैं, तो लगता है जैसे ऑपरेशन सिंदूर गाथा को ही कॉम्प्लीमेंट मिल रहा है - और बिहार सहित आने वाले चुनावों से भी ये सब बरबस जुड़ जाता है. वैसे भी संघ बीजेपी के लिए चुनाव से पहले जमीन तो ऐसे ही तैयार करता है.  

ऑपरेशन सिंदूर से बने देशभक्ति वाले माहौल के बाद जब चुनाव कैंपेन रफ्तार पकड़ेंगे तो संघ प्रमुख की दी हुई लाइन भी बीजेपी की रैलियों में गूंजेगी - और वो ऑपरेशन सिंदूर की सियासी धार और भी तेज करने में सक्षम हो सकती है. बीजेपी के हिसाब महत्वपूर्ण केरल के अलावा पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी 2026 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन, पहले तो बिहार की बारी आई है. 

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सोने की चिड़िया नहीं, शेर है भारत

ऑपरेशन सिंदूर स्थगित नहीं हुआ है, सरकार की तरफ से बार बार ये बात याद दिलाने की कोशिश की जा रही है. याद तो पाकिस्तान को दिलाई जाती है, अब अगर संदेश चुनावी राज्यों के वोटर तक पहुंच जाता है तो बात सोने में सुगंध जैसी ही है. अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से साफ भी कर दिया गया है कि आगे से कोई भी आतंकवादी घटना देश के खिलाफ युद्ध माना जाएगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसद में चर्चा के दौरान कहते हैं, लक्ष्य जब बड़े हों तो अपेक्षाकृत छोटे मुद्दों पर हमारा ध्यान नहीं जाना चाहिए... क्योंकि छोटे मुद्दों पर ध्यान देने से देश की सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान से ध्यान हट सकता है.

बात तो अब भी शांति की होती ही है. युद्ध को हर हाल में टालने की ही होती है. भले ही वो रूस-यूक्रेन युद्ध की बात ही क्यों न हो - लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर के बाद वो विमर्श थोड़ा दबा हुआ लग रहा है, जिसमें कहा जाता है कि भारत युद्ध नहीं बुद्ध का देश है - और मोहन भागवत उसी भावना को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं, हमें फिर से सोने की चिड़िया नहीं बनना है, बल्कि हमको शेर बनना है... दुनिया शक्ति की ही बात समझती है और शक्तिसंपन्न भारत होना चाहिए.

क्या ये आने वाले चुनावों तक मौजूदा सियासी वॉर्म-अप का असर बरकार रखने की कोशिश भी हो सकती है? ताकि रैलियों में बीजेपी नेता स्वाभाविक रूप से पूछ सकें - 'हाउ इज द जोश?' और, जोश ठंडा न पड़ने दें. 

क्या ये आने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर बीजेपी नेताओं लिए के लिए मोहन भागवत की मोटिवेशनल स्पीच है?

हिंदुत्व का एजेंडा, लेकिन रुख थोड़ा नरम

राष्ट्रवाद के साथ साथ बीजेपी का प्रमुख चुनावी एजेंडा हिंदुत्व का भी होता है. जातिवाद की राजनीति हिंदुत्व को कमजोर करती और संघ को हमेशा ही इस बात की बड़ी फिक्र होती है. केंद्र सरकार ने तो अब जाति जनगणना कराने की घोषणा भी कर दी है, लेकिन उससे संघ की फिक्र कम नहीं हो रही है. 

अव्वल तो संघ प्रमुख भारत में रह रहे सभी लोगों को हिंदू ही मानते हैं, और उनके इसी भाव को चुनावों में बीजेपी की तरफ से श्मशान और कब्रिस्तान की सुविधाओं में बराबरी की बात समझाने की कोशिश होती है. कोशिशें कामयाब भी होती हैं, लेकिन हर बार नहीं - अब संघ प्रमुख लोगों को कट्टर हिंदुत्व का मतलब समझाने की कोशिश कर रहे हैं. 

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संघ प्रमुख मोहन भागवत समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदुत्व का मतलब असहिष्णु नहीं होना चाहिये. कोच्चि के कार्यक्रम में कहते हैं, कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं है. 

और फिर समझाते हैं, हिंदू धर्म का सार सभी को गले लगाने में निहित है... अक्सर यह गलतफहमी होती है कि कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों को गाली देना है... ऐसी गलतफहमी हो सकती है.

भारत बनाम इंडिया के बीच बहस में 

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत बनाम इंडिया के बीच बहस में भी अपनी राय जाहिर की है - और जोर देकर कहा है कि चूंकि भारत प्रॉपर नाउन यानी व्यक्तिवाचक संज्ञा है, इसलिए इसका अनुवाद नहीं होना चाहिये - 'India that is Bharat' ठीक है, लेकिन भारत तो भारत ही है.

मोहन भागवत की सलाह यही है कि भारत को भारत ही रहने देना चाहिये. कहते हैं, जब हम लिखते और बोलते हैं, तो भारत को भारत ही कहना चाहिए... भारत को भारत ही रहना चाहिए... भारत की जो पहचान है, उसका सम्मान इसलिए होता है क्योंकि वह भारत है.

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