फाइटर प्‍लेन का हिसाब दो, जयशंकर मुखबिर... कहां गया कांग्रेस का मोदी सरकार को पूरा समर्थन?

पाकिस्तानी संसद में बिलावट भुट्टो कहते हैं कि हिंदुस्तान ने रात के वीराने में छुपकर वार किया है. इसके लिए वो भारत को कायर बोलते हैं. जबकि भारत का विपक्ष कहता है कि भारत ने पाकिस्तान को बताकर हमला किया.

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ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी के तमाम आरोपों के बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने उनकी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनरो को मिलाकर बनाई गई इस तस्वीर को एक्स पर पोस्ट किया है. ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी के तमाम आरोपों के बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने उनकी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनरो को मिलाकर बनाई गई इस तस्वीर को एक्स पर पोस्ट किया है.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है. भारत  ने इस ऑपरेशन को लेकर सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर जो सफलता हासिल की है उसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है. हालांकि देश में प्रमुख विपक्षी पार्टी इस ऑपरेशन की सफलता को लेकर परेशान नजर आ रही है. जाहिर है लोकतंत्र में सारी लड़ाई सत्ता और इसको हासिल करने पर केंद्रित रहती है. सैनिक शासन वाले देशों में सैन्य शासक को भी जनता के बीच माहौल बनाए रखने के लिए अपनी जीत को साबित करना पड़ता है. जैसे पाकिस्तान में सेना प्रमुख आसिम मुनीर अपने पोस्टर लगवाकर बता रहे हैं कि पाकिस्तान ने भारत को धूल चटा दी. 

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लोकतांत्रिक देशों में यह विपक्ष के कॉन्फिडेंस पर निर्भर करता है कि वो युद्ध के समय सरकार को कितना समर्थन दे पाती है. भारत में विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने  BJP को  सिंदूर को सौदागर बताया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारतीय सेना ने कितने पाकिस्तानी फाइटर प्लेन मारे गए के बजाय भारत के कितने फाइटर प्लेन गिरे इसका हिसाब मांग रहे हैं. यही नहीं विदेश मंत्री जयशंकर को मुखबिर बताया जा रहा है. जाहिर है कि सवाल उठेगा ही कि कहां गया कांग्रेस का युद्ध के मौके पर सरकार को समर्थन देने का ऐलान? जाहिर है कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त जुबानी वॉर शुरू हो गई है. देखिए कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी आईटी सेल के हेड अमिल मालवीय क्या कह रहे हैं.

कांग्रेस ने शुरू में युद्ध को पूर्ण समर्थन दिया, लेकिन बाद में सरकार की कथित खामियों और राजनीतिकरण पर सवाल उठाए, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर बहस छिड़ गई. यह विवाद भारत की राजनीति में राष्ट्रवाद और विपक्ष की भूमिका पर गहरे सवाल उठाता है. क्या विपक्ष को युद्ध काल में हर मुद्दे पर सरकार का समर्थन करना चाहिए, या आलोचना उनकी जिम्मेदारी है?

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दरअसल बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ऑपरेशन सिंदूर एक बहुत बड़ा मुद्दा बनने वाला है. मतलब साफ है कि राजनीतिक दलों के बीच भारत के सैन्य ऑपरेशन को लेकर वाद विवाद घटने वाला नहीं है. 

युद्ध या सुरक्षा संकट में विपक्ष की भूमिका

लोकतंत्र में विपक्ष की यह जिम्मेदारी होती है कि वह सरकार को जवाबदेह बनाए, गलतियों की ओर ध्यान दिलाए, और यह सुनिश्चित करे कि देश की जनता को पारदर्शी जानकारी मिले. लेकिन जब देश युद्ध की कगार पर हो या राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में हो, तो उम्मीद की जाती है कि पूरा देश एकजुट रहेगा.सभी राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय एकता की भावना अपेक्षित होती है.

 ऐसे में आमतौर पर विपक्ष से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि यह सवाल पूछा जाए कि लड़ाई में कितना खर्च हुआ? कितने लोग मारे गए और कितने प्लेन गिरे. कुछ दिनों बाद जब युद्ध समाप्त हो जाए तो विपक्ष इसके लिए संयुक्त संसदीय दल की बैठक की डिमांड कर सकता है. या शांति काल में होने वाले संसद की सत्रों में ये सवाल उठाया जा सकता है. 

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय, कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्षी दलों ने आरंभिक रूप से सरकार का समर्थन किया था. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई थी. 

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फाइटर प्लेन गिरने पर सवाल- जवाबदेही या राजनीति?

भारत में शांति काल में भी फाइटर प्लेन गिरते रहते हैं. करीब हर दूसरे महीने एक खबर आ ही जाती है. इसके पीछे तकनीकी खराबी, मेंटेनेंस की कमी, पायलट की त्रुटि, या अन्य कारण हो सकते हैं. भारत जैसे देश में जहां वायुसेना पुराने पड़ चुके विमानों जैसे मिग-21 का लंबे समय से उपयोग कर रही है, ऐसे हादसे कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन जब कोई नेता विशेषकर राहुल गांधी जैसा वरिष्ठ विपक्षी नेता युद्ध काल में इस तरह कि किसी घटना का सरकार से हिसाब मांगते हैं, तो प्रश्न उठता है कि क्या यह जायज़ आलोचना है? क्योंकि ऐसे ही बातें दुश्मन देश पाकिस्तान में भी की जा रही हैं.  या राजनीतिक लाभ के लिए सेना से जुड़ी संवेदनशील घटनाओं का उपयोग?

राहुल गांधी की यह मांग कि सरकार जवाब दे कि प्लेन क्यों गिर रहे हैं, तकनीकी दृष्टिकोण से उचित हो सकती है, लेकिन इसे जिस तरीके से सार्वजनिक मंचों पर उठाया जा रहा है, उसमें राजनीतिक रंग स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. इससे यह भी संदेश जाता है कि विपक्ष ऐसे मुद्दों को युद्ध या राष्ट्रीय संकट के समय राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. 

 एयर मार्शल एके भारती ने 11 मई को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, था कि हम युद्ध की स्थिति में हैं, और नुकसान इसका हिस्सा है. सवाल यह है कि क्या हमने अपने लक्ष्य हासिल किए? जवाब है—हां. उन्होंने विमान खोने की खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार किया, यह कहते हुए कि इससे दुश्मन को फायदा होगा.BJP ने इसे राहुल गांधी के इस आरोप को सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश बताया. 

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विदेश मंत्री जयशंकर को मुखबिर बोलकर क्या साबित करना चाहते हैं

कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और पवन खेड़ा ने दावा किया कि विदेश मंत्री  जयशंकर ने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचना दी, जिससे मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी भाग गए. दरअसल यह आरोप जयशंकर के उस बयान से उपजा, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने पाकिस्तान को आतंकी ठिकानों पर हमले की जानकारी दी ताकि यह स्पष्ट हो कि हमला पाकिस्तानी सेना पर नहीं, बल्कि आतंकियों पर है.

जयशंकर ने कहा कि यह कदम युद्ध को टालने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन (जैसे UNSC प्रस्ताव) हासिल करने के लिए उठाया गया. BJP ने इसे जिम्मेदार कूटनीति बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करार दिया.

सवाल उठता है कि राहुल गांधी या कांग्रेस जो आरोप लगा रही है वह कितना सही है. पाकिस्तानी संसद में बिलावट भुट्टो कहते हैं कि हिंदुस्तान ने रात के वीराने में छुपकर वार किया है. इसके लिए वो भारत को कायर बोलते हैं. जबकि भारत का विपक्ष कहता है कि भारत ने पाकिस्तान को बताकर हमला किया. राहुल गांधी की बात इसलिए भी सही नहीं लगता क्योंकि अजहर मसूद के घर वाले करीब 10 लोग मारे गए. क्या पाकिस्तान को जानकारी होती तो ऐसा होता?

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सिंदूर का सौदागर जैसी भाषा- नैतिक गिरावट या भावनात्मक अपील?

कांग्रेस द्वारा बीजेपी को सिंदूर का सौदागर कहकर संबोधित करना, एक तरह से राजनीतिक भाषा की गिरावट को दर्शाता है. आपको याद होगा कि पीएम मोदी को भी एक बार सोनिया गांधी ने मौत का सौदागर कहा था. सिंदूर का सौदागर कहने का आशय यह है कि बीजेपी देशभक्ति और राष्ट्रवाद के नाम पर भावनात्मक शोषण कर रही है. इस बयान के जरिए यह आरोप लगाना है कि बीजेपी सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर व्यापार कर रही है, न कि सच्चे अर्थों में देशहित के लिए कार्य कर रही है.

कहां गया कांग्रेस का सरकार को पूरा समर्थन करने का वादा

कांग्रेस पार्टी ने कुछ समय पहले ही सर्वदलीय बैठक में युद्ध या संघर्ष की स्थिति में सरकार का पूरा समर्थन देने का वादा किया था. जबकि अब जिस तरह के बयान कांग्रेसी नेता दे रहे हैं उसे  यह संदेश जाता है कि विपक्ष की ‘समर्थन’ की बात केवल एक राजनीतिक औपचारिकता थी.

8 मई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, इस संकट की घड़ी में हम सरकार के साथ हैं. राहुल गांधी भी बैठक में मौजूद थे. जयराम रमेश ने X पर कहा कि पाकिस्तान और PoK में आतंकवाद के सभी स्रोतों का सफाया होना चाहिए,

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14 मई से कांग्रेस ने सरकार की आलोचना शुरू की. उन्होंने जयशंकर के बयान, विमान नुकसान, और ऑपरेशन के राजनीतिकरण पर सवाल उठाए. कांग्रेस ने 20-30 मई तक देशभर में जय हिंद सभाएं आयोजित करने की घोषणा की, जिसमें BJP पर राष्ट्रीय सुरक्षा को भुनाने का आरोप लगाया गया है.

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