क्या जस्टिन ट्रूडो की उलटी गिनती शुरू हो गई है? एलन मस्क ने भविष्यवाणी यूं ही नहीं की | Opinion

अमेरिका के प्रमुख उद्योगपति, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और एक्स और टेस्ला जैसी संस्थाओं के मालिक एलन मस्क जो कहते हैं वो करके दिखाते रहे हैं. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रडो के चुनावी हार की उनकी भविष्यवाणी को हल्के में नहीं लिया जा सकता. इसके पीछे पर्याप्त कारण हैं. खासतौर पर तब जबकि डोनाल्‍ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं.

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एलन मस्क और जस्टिन ट्रूडो एलन मस्क और जस्टिन ट्रूडो

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बारे में दावा किया है कि वो इस बार चुनाव हार जाएंगे. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों भारत में बहुत चर्चा में हैं. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाने के बाद से वह विवादों में हैं. भारत और कनाडा के बीच इस बात को लेकर विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि दोनों तरफ से राजनयिकों को भी वापस बुलाया जा चुका है. जाहिर है कि इस बीच अगर एलन मस्क जैसा पावरफुल व्यक्ति ट्रूडो के बारे ऐसा कुछ कहता है तो लोग चौकेंगे ही.

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एलन मस्क की ताकत को हम इस तरह समझ सकते हैं कि अमेरिका में ट्रंप की जीत के पीछे उन्हें समझा जा रहा है. दरअसल एलन मस्क अब तक जो कहते रहे हैं वो करते रहे हैं. जिस काम को करने की ठान लेते हैं उसे पूरा करके दिखाना उनका शगल है. पहले ट्वीटर को खरीदकर और अब ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बनवाकर उन्होंने खुद को साबित भी कर दिखाया है. यही कारण है कि जब से मस्क ने जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की है तब से इंडिया में सोशल मीडिया पर ट्रूडो के खूब मजे लिए जा रहे हैं.

हालांकि मस्क ने जो कहा वो मजाक का विषय नहीं है. दुनिया भर में सरकार बनवाने और गिरवाने में ताकतवर देशों की भूमिका बहुत अहम होती है. अभी हाल ही हमने देखा कि किस तरह बांग्लादेश की हसीना सरकार को गिरा दिया गया था. सब जानते हैं कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ था. हालांकि कनाडा की स्थिति बांग्लादेश जैसी नहीं है पर उससे बहुत अच्छी भी नहीं है. आइये देखते हैं कि मस्क की बातों को क्यों हल्के में नहीं लेना चाहिए. 

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1- दुनिया भर में सरकार गिराने बनाने के पीछे ताकतवर मुल्कों का हाथ रहा है

दुनिया भर ताकतवर देश अपने फायदे के लिए अपने चहेतों की सरकार बनवाते रहे हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे छोटे और कमजोर मुल्क हों या कनाडा जैसे बड़े मुल्क, बड़े देशों के प्रभाव से ही यहां प्रमुख चुने जाते रहे हैं. कनाडा में जस्टिन ट्रूडों पर आरोप रहा है कि उनकी सरकार बनवाने के लिए चीन ने जोड़ तोड़ की थी. जस्टिन को जिताने में चीन की भूमिका रही है ये आरोप कनाडा का विपक्ष लगातार कहता रहा है. इतना ही नहीं कनाडा में जस्टिन ट्रूडो को निर्वाचित कराने में चीन की भूमिका को लेकर एक जांच कमेटी भी गठित हो चुकी है. कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 और 2021 के आम चुनाव में चीन ने दखल दी है. इन चुनावों में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को जीत मिली थी. जाहिर है कि डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका कतई नहीं चाहेगा कि कोई चीन समर्थित व्यक्ति पड़ोस में इतना मजबूत बना रहे.
 

2- एलन मस्क और ट्रंप दोनों ही ट्रूडो से हेट करते हैं

जिस तरह एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप कनाडाई पीएम ट्रूडो से हेट करते हैं उससे तो यही लगता है कि ट्रूडो अब दुबारा सत्ता में नहीं आने वाले हैं. आ भी जाते हैं तो उनपर दबाव कम नहीं रहने वाला है. डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर होने के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो के प्रति अपने मतभेदों को जगजाहिर करने से नहीं चूकते रहे हैं. ट्रूडो ने साल 2023 में एक इंटरव्यू में ट्रम्प के मेक अमेरिका ग्रेट अगेन मूवमेंट और कनाडा में रूढ़िवादी नेताओं के बीच समानताओं का जिक्र किया. उन्होंने गर्भपात और लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर वगैरह के समुदाय एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) को अधिकारों की संभावित वापसी की बात कही. तब ट्रंप ने ट्रूडो को फार-लेफ्ट लूनेटिक कह कर उनका मजाक बनाया था. यही नहीं अभी 2 महीने पहले ट्रंप की नई पुस्तक सेव अमेरिका में भी ट्रूडो को लेकर बहुत हमले किए गए हैं. इसी तरह मस्क भी ट्रूडों की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं. अक्तूबर 2023 में मस्क ने जस्टिन ट्रूडो पर अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था. क्योंकि कनाडाई सरकार ने स्ट्रीमिंग सेवाएं प्रदान करने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्मों के संबंध में नए नियम पेश किए थे. एलोन मस्क ने देश में विचारों की स्वतंत्रता पर प्रहार बताते हुए इस कानून जमकर आलोचना की थी.

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3- मोदी- ट्रंप और मस्क की तिगड़ी मजबूत होकर उभरेगी

लगातार आर्थिक तरक्की के चलते भारत में एक बहुत बड़ा बाजार ऐसा खड़ा हुआ है जिसकी उपभोग शक्ति अमेरिका की कुल आबादी से भी ज्यादा है. दरअसल अमेरिका की कुल आबादी 36 करोड़ के करीब है. भारत अमेरिका से बहुत गरीब है पर यहां के 36 करोड़ लोग ऐसे हैं जो दुनिया में उसी तरह शॉपिंग करते हैं जिस तरह अमेरिकी. भारतीयों की यह खऱीद शक्ति ही आज अमेरिका जैसे देश और मस्क जैसे उद्योगपतियों के लिए आकर्षण का कारण है. ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जिस तरह की समझ विकसित हुई है वो बेमिसाल है. उसी तरह से मस्क और मोदी के बीच भी आपसी तालमेल बहुत समझदारी वाला है. मोदी की तीसरी पारी के लिए बधाई देने वाले में एलन मस्क सबसे आगे दिखे थे. उन्होंने मोदी की कार्यशैली की तारीफ भी की थी. जाहिर है कि वैश्विक मंच पर ये तिकड़ी भविष्य में कई फैसले करने वाली है. ट्रूडो या तो भारत की शरण में होंगे या जल्दी ही कनाडाई जनता उनकी छुट्टी कर चुकी होगी.

4- कनाडा की जनता पहले ही त्रस्त है ट्रूडो से
 
कनाडा की जनता अपने पीएम से बहुत नाराज बताई जा रही है.इसकी मुख्य वजह वहां की बिगड़ती अर्थव्यवस्था है. कोरोना महामारी के बाद से हालात बिगड़े हैं. यूक्रेन पर रूसी हमले ने स्थितियां और खराब की हैं. रोजमर्रा की जरूरी चीजों के अलावा बिजली की कीमतें आसमान छू रही हैं. घरों की कीमतें बढ़ी हैं और किफायती घर मिलना मुश्किल हो गया है. बीते दिनों कनाडा के कई ऐसे विडियो वायरल हुए हैं जो वहां की बेरोजगारी की दास्तान कहते हैं. नौकरियों के लिए लगने वाली कतारों की सख्या वहां बढती जा रही है. रेलकर्मियों की हफ्तों चली हड़ताल ने देश को ठप कर दिया था. सरकार के रवैये ने लोगों के असंतोष को और भड़काया.  कनाडा दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उसकी जीडीपी 2022 में 2.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जबकि पड़ोसी अमेरिका करीब 25 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है. 2023 में कनाडा की अर्थव्यवस्था 1.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इस साल विकास दर 0.5 प्रतिशत से नीचे है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था कई सालों से 6 प्रतिशत के करीब बनी हुई है. इससे समझा जा सकता है कि कनाडा की अभी क्या हालत होगी. मतदाताओं की नाराजगी को देखते हुए कम-से-कम चार मंत्रियों ने प्रधानमंत्री से कह दिया है कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे. कुछ सांसद भी हारने के डर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते.

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