सुनीता केजरीवाल को लेकर दिल्‍ली सरकार और AAP में तैयार है एक्‍शन प्‍लान!

धीरे धीरे ही सही, लेकिन सुनीता केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में पोजीशनिंग नजर आने लगी है, और आतिशी की भूमिका भी साफ हो चुकी है. रामलीला मैदान में मंच पर बैठने को मिली जगह और अरविंद केजरीवाल के ईडी को दिये गये बयान में भी आतिशी केंद्र में नजर आ रही हैं - मतलब, एक्शन प्लान पूरा तैयार है.

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सोनिया गांधी के साथ मंच पर सुनीता केजरीवाल का बैठना बता रहा है कि AAP की सबसे बड़ी नेता वहीं हैं सोनिया गांधी के साथ मंच पर सुनीता केजरीवाल का बैठना बता रहा है कि AAP की सबसे बड़ी नेता वहीं हैं

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ भेज दिया है. अभी तक तो आतिशी और सौरभ भारद्वाज ही अरविंद केजरीवाल के पूर्व निर्धारित दिशानिर्देंशों और कस्टडी से भेजे गये संदेशों के अनुसार सरकार चलाते रहे, लेकिन अपने दोनों साथियों को लेकर अरविंद केजरीवाल ने जो कुछ ईडी को बताया है, उसके बाद तो आम आदमी पार्टी में INDIA ब्लॉक जैसी ही एकजुटता दिखाई देने लगी है. वैसे भी राघव चड्ढा और स्वाति मालिवाल के भी ऐसे नाजुक दौर में विदेश दौरे की भी खूब चर्चा हो रही है. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सामने आये सबसे मुश्किल दौर में चीजें सुनीता केजरीवाल के ही इर्द गिर्द घूमती नजर आ रही हैं.

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सुनीता केजरीवाल की ऐसे हो रही है पोजीशनिंग

रामलीला मैदान और केजरीवाल का बहुत पुराना रिश्ता है. अन्ना हजारे को आगे रख कर अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया था, तब देश में यूपीए की सरकार थी - और रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले चुके हैं. 

31 मार्च की रैली इंडिया ब्लॉक की थी, और काफी हद तक अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर ही फोकस नजर आई. बातें तो राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस की भी की, उनकी तरफ से जहर घोलने की भी - लेकिन ज्यादातर नेताओं के भाषण में मुख्य तौर पर दो ही नाम रहे - अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन. पहले अरविंद केजरीवाल और फिर हेमंत सोरेन. रैली में AAP कार्यकर्ता भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे. लोगों को पानी पिलाने से लेकर मदद की हर जरूरत के लिए तैयार दिखे.

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रैली के मंच पर सुनीता केजरीवाल को सोनिया गांधी की बगल में बिठाया गया था. गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है, और सोनिया गांधी कांग्रेस की सबसे सीनियर नेता हैं. वैसे उम्र और ओहदे में तो फिलहाल मल्लिकार्जुन खरगे ही बड़े हैं. लेकिन उनकी कुल जमा एक ही खासियत है - गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष.

सुनीता केजरीवाल को लेकर एक और भी खास बात दिखी. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के दिन से लेकर ही हर मोर्चे पर आगे आतिशी दिखाई पड़ी हैं. हां, सौरभ भारद्वाज की भूमिका कम करके नहीं आंकी जा सकती. दोनों दिल्ली सरकार में मंत्री हैं, और अरविंद केजरीवाल के बाद मुख्यमंत्री की रेस में भी जब तब मान लिये जाते रहे हैं - लेकिन रामलीला मैदान की एक तस्वीर ने राजनीतिक स्थिति की पूरी तस्वीर साफ कर दी है.

सुनीता केजरीवाल तो सबसे आगे वाली लाइन में बैठी थीं, लेकिन आतिशी को पीछे की लाइन में जगह दी गई थी. जब सोनिया गांधी और सुनीता केजरीवाल बात कर रही तो, तो पीछे आतिशी का भी चेहरा नजर आता है. 

असल में यही आम आदमी पार्टी में सुनीता केजरीवाल और आतिशी की हैसियत की सही तस्वीर है - नेतृत्व सुनीता केजरीवाल कर रही हैं, लेकिन औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. वैसे भी अब तो अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद आतिशी जांच के घेरे में आ चुकी हैं. 

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वैसे सुनीता केजरीवाल का ये कुल जमा तीसरा पब्लिक अपीयरेंस था. रैली को संबोधित करने से पहले सुनीता केजरीवाल दो बार अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर बैठ कर कस्टडी से मिला उनका संदेश पढ़ चुकी हैं. ये वही कुर्सी है, जिसके ऊपर भगत सिंह और अंबेडकर की तस्वीर लगी हुई है. 

आतिशी को कठघरे में खड़ा कर जेल से कैसे सरकार चलाएंगे केजरीवाल?

जेल से सरकार चलाने की बातें भी अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा है. हकीकत से तो वो भी वाकिफ होंगे ही. जैसे ईडी के समन को नजरअंदाज कर वो अपनी चाहें चल रहे धे, बिलकुल वैसे ही केंद्र सरकार और दिल्ली के एलजी के संभावित कदमों के हिसाब से आगे बढ़ रहे हैं.

ये तो वो भी जानते ही हैं कि जेल में न तो कैबिनेट की मीटिंग हो सकेगी, न ही अफसरों के साथ बैठक. और न ही किसी कागज पर दस्तखत. मौखिक आदेश के लिए भी मैसेंजर का ही सहारा होगा - और अभी तो उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ही मैसेंजर की भूमिका में हैं. 

मैजेस देने के लिए भी बस आमने सामने की मुलाकात होगी, जिसमें बीच में शीशे की दीवार भी होगी. दूरियां कम नहीं होंगी. कोई लेन देन का स्कोप नहीं होगा. संवाद और संदेशों के लिए भी माइक और स्पीकर का ही सहारा होगा. वही शीशे के आर पार - दरअसल, जेल से सरकार चलाने की असली तस्वीर यही है. 

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अरविंद केजरीवाल की रणनीतियों में से एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है. शराब नीति केस में सरकारी गवाह बन चुके विजय नायर को लेकर अरविंद केजरीवाल का एक बयान भी सामने आया है. अरविंद केजरीवाल ने ईडी की पूछताछ में बताया है कि विजय नायर उनको रिपोर्ट नहीं करते थे. अरविंद केजरीवाल के अनुसार वो आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते थे.

बताते हैं कि जिस वक्त ईडी के वकील कोर्ट में दलील पेश कर रहे थे, उस दौरान अरविंद केजरीवाल भी वहीं मौजूद थे, और चुपचाप सब सुनते रहे. वकील के जरिये ये बात पहले भी कोर्ट को बताई जा चुकी है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के हवाले से ये चीज पहली बार सामने आई है - और ये खबर आते ही आतिशी को मीडिया के सवालों से बच कर भागते देखा गया. 

अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद तो आतिशी और सौरभ भारद्वाज पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है. पुष्टि के लिए ईडी गिरफ्तार भी कर सकती है, ताकि जांच को आगे बढ़ाया जा सके.

आतिशी और सौरभ भारद्वाज को लेकर अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद ये समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर वो जेल से कैसे सरकार चलाने की तैयारी कर रहे हैं?

अब ये तो नहीं लगता कि अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देने वाले हैं, और अगर वो इस्तीफा नहीं देंगे तो सुनीता केजरीवाल को भी मुख्यमंत्री बनाने की कोई रणनीति नहीं लगती - लेकिन आम आदमी पार्टी में उनका रोल भी धीरे धीरे साफ होने लगा है.

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