राहुल गांधी से अजय राय तक, कांग्रेसी नेताओं की लगातार बदजुबानी क्‍या रणनीति का हिस्सा है?

राहुल गांधी हों या अजय राय, कोई कांग्रेसी कार्यकर्ता हो या कोई प्रवक्ता. आज कल कांग्रेस में होड़ मची हुई बदजुबानी की. इसका सबूत यह है कि किसी भी कार्यकर्ता या नेता की अपमानजनक भाषा पर पार्टी कोई एक्शन नहीं ले रही है.

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अजय राय और राहुल गाधी ( फाइल फोटो) अजय राय और राहुल गाधी ( फाइल फोटो)

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

राहुल गांधी ने हाल के वर्षों में अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है. उनकी यह तल्खी दिनों दिन हर रोज बढ़ती जा रही है. वो भारत की अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, बेरोजगारी, और सामाजिक मुद्दों पर सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए भूल जाते हैं कि लोकतांत्रिक तरीके से देश के एक चुने हुए प्रधानमंत्री के बारे में वो कितना कुछ अपमानजनक बोल जाते हैं. मामला सिर्फ इतना ही नहीं है. देखा जा रहा है कि इसका असर पूरे कांग्रेस पार्टी पर हैं. एक आम कार्यकर्ता से बड़े नेताओं तक ने राहुल की शैली अपना ली है. कोई भी कुछ भी बोल रहा है. जाहिर है कि सवाल उठेंगे कि ऐसा क्यों और कैसे हो गया . कांग्रेसी नेताओं ने अपनी शालीनता के चोलों को उतार फेंका है. राहुल हर रोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तू तड़ाक , चोर आदि कह रहे हैं.  जाहिर है इसका असर ये हुआ है कि छोटे नेता भी अब अपने मन की भड़ास निकाल रहे हैं. शनिवार को तो यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने हद ही कर दी.  

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अजय राय का विवादित बयान

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने 29 अगस्त 2025 को वाराणसी में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें संघ प्रमुख भागवत ने हर परिवार में तीन बच्चे करने की सलाह दी थी. राय ने बहुत ही अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि आरएसएस में नीचे से ऊपर तक रं**वों की फौज भरी हुई है. और भागवत को पहले खुद शादी करने की सलाह दी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस में महिलाओं का सम्मान नहीं होता. इस बयान ने सियासी हलचल मचा दी, और बीजेपी ने इसे कांग्रेस की निम्न स्तरीय राजनीति करार दिया.

राय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में एक कांग्रेसी कार्यकर्ता पर भरी सभा में पीएम की मां  के लिए आपत्तिजनक गाली देने का आरोप है. बिहार में बीजेपी ने कांग्रेस की गाली गलौज को मुद्दा बना दिया है. राहुल गांधी के तू तड़ाक वाली शब्दावली को भी बीजेपी मुद्दा बना रही है.  आम तौर पर बिहार में इस तरह की भाषा से कांग्रेस सामाजिक मुद्दों पर बहस छेड़ने की कोशिश कर रही है पर इसका उल्टा होने की संभावना अधिक हो गई है. यह ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकती है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

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कांग्रेस क्यों कर रही इस तरह की बदजुबानी

कांग्रेस पार्टी जिस तरह पिछले 2 साल से आक्रामक हुई है वो यूं हीं तो नहीं है. जरूर यह किसी रणनीति के तहत ही किया जा रहा होगा. पर सवाल यह है कि अजय राय ने जो कहा या कांग्रेस कार्यकर्ता ने जो कहा, या राहुल गांधी जिस तरह से बिहेव कर रहे हैं उससे कांग्रेस का फायदा क्या है? क्योंकि अभी तक किसी भी मामले में कांग्रेस पार्टी ने अपने किसी कार्यकर्ता या नेता पर बड़बोलेपन या गाली गलौज के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया है और न ही कोई एक्शन लिया है. जाहिर है कि इसका अर्थ है कि पार्टी की तरफ से सीधा इशारा है कि पार्टी कार्यकर्ता लेवल पर भी चाहती है कि इस तरह का बिहेव आम कार्यकर्ता भी करें. आइये देखते हैं कि इसके क्या कारण हो सकते हैं.

राजनीतिक रणनीति

 कांग्रेस की यह रणनीति हो सकती है कि उसके नेता बीजेपी और आरएसएस को उनके मजबूत मुद्दों, जैसे हिंदुत्व और राष्ट्रीयता आदि पर चुनौती देने की कोशिश कर रहे हों. आक्रामक बयानबाजी से वे अपने समर्थकों को उत्साहित करना चाहते हों. जाहिर है कि इस तरह की बयानबाजी से कम से कम एक खास वर्ग को जरूर ऐसा लगता है कि पार्टी सामने वाले से लड़ने का माद्दा रखती है. विपक्षी दलों को एकजुट करने में यह कई बार काम करता है.

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चुनावी माहौल

 बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं.कांग्रेस को पता है कि बिहार में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. बिहार में कांग्रेस का संगठन भी बेहद कमजोर है . केवल तीखी बयानबाजी करके कम से कम चर्चा में रहा जा सकता है. इसके साथ ही बीजेपी और मोदी को बिल्कुल भी पसंद नहीं करने वाले लोगों को अगर अपने साथ लाना है तो इस दर्जे की तीखी बयानबाजी करनी होगी जो दूसरे न कर रहे हों. अजय राय का बयान भी इसी संदर्भ में देखा जा सकता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार में कांग्रेस अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है.

सोशल मीडिया और वायरल प्रभाव

 आज के दौर में सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले बयान नेताओं को तुरंत सुर्खियों में लाते हैं. अजय राय का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे उनकी बात ज्यादा लोगों तक पहुंची. इसी तरह जब राहुल गांधी पीएम मोदी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो उनकी चर्चा होती है. पिछले 2 हफ्ते इसके सबूत हैं कि राहुल गांधी लगातार चर्चा में हैं क्योंकि हर रोज पीएम को वोट टोर, कुख्यात चोर जैसी बातें करते हैं. उनका अंदाज ऐसा होता है जैसे पीएम को वो कुछ समझते ही नहीं हैं. 

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बिहार में यह रणनीति क्यों कारगर नहीं होगी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पहले भी राहुल गांधी को सलाह दी है कि नीतियों पर हमला करें, न कि व्यक्तिगत टिप्पणियां करें, क्योंकि इससे बैकफायर का खतरा रहता है. कांग्रेस इसके पहले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में इस तरह सेल्फ गोल कर चुकी है. विधानसभा चुनावों में भी कई बार कांग्रेस नेताओं का मोदी के लिए की गई अपमानजनक टिप्पणियां खतरनाक साबित हुई हैं.उदाहरण के लिए, राहुल गांधी की पनौती और जेबकतरे जैसी टिप्पणियां (2023 में राजस्थान रैली में) बीजेपी के लिए राणबाण साबित हुईं. बिहार में विशेष तौर पर इस तरह की बयानबाजी कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित होने वाली है. 

बिहार की राजनीतिक संस्कृति और मतदाता की प्राथमिकताएं

बिहार के मतदाता पारंपरिक रूप से विकास, रोजगार, और सामाजिक समीकरणों जैसे मुद्दों पर ध्यान देते हैं. व्यक्तिगत हमले या गाली-गलौज वाली भाषा को बिहार की जनता अक्सर नकारात्मक रूप में लेती है. ऐसी भाषा बिहार में मतदाताओं को प्रभावित करने के बजाय कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि यह गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाती है. 
राहुल गांधी की टिप्पणियां, जैसे मोदी जी में कोई दम नहीं (2025, ओबीसी सम्मेलन) या गुजरात मॉडल चोरी का मॉडल है को व्यक्तिगत हमलों के रूप में देखी जाती है. बिहार के मतदाता, विशेष रूप से ग्रामीण और अति पिछड़ा वर्ग, नीतियों और विकास पर अधिक ध्यान देते हैं. ऐसी भाषा से कांग्रेस को अपरिपक्व और गैर-जिम्मेदार के रूप में देखा जा सकता है.

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तेजस्वी हों या अखिलेश यादव ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करते

कांग्रेस को समझना होगा कि यूपी और बिहार में उसकी जमीनी हालत पहले ही खराब है. दूसरे नंबर आने वाले दल जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी और बिहार आरजेडी के नेता कभी भी पीएम के लिए गलत संबोधन नहीं करते हैं.  अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव ने कभी भी राहुल गांधी की तरह तू तड़ाक वाली भाषा का इस्तेमाल नरेंद्र मोदी के लिए नहीं किया है. इस तरह  कांग्रेस की आक्रामक रणनीति महागठबंधन के सहयोगी दलों, खासकर राजद (RJD) के साथ तालमेल को प्रभावित कर सकती है. बिहार में राजद और तेजस्वी यादव का प्रभाव मजबूत है. कांग्रेस की तल्खी वाली भाषा आरजेडी के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है. 
 

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