पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के जाल में बुरी तरह फंसा बांग्लादेश

दिसंबर में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने एक बार फिर बांग्लादेश को संकट के मुहाने पर खड़ा कर दिया है. जाहिर है कि यह असंतोष यूं ही नहीं है. कुछ ताकतें ऐसी हैं जो नहीं चाहती हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच शांतिपूर्ण संबंध स्थापित हो सके. बांग्लादेश के कार्यकारी राष्ट्रपति मोहम्मद युनूस को भी इसमें ही फायद दिखता है.

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बांग्लादेश में हुई हिंसा से उजड़ा रिक्शा चलाने वाले का परिवार (Photo: Reuters) बांग्लादेश में हुई हिंसा से उजड़ा रिक्शा चलाने वाले का परिवार (Photo: Reuters)

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

2024 में छात्र विरोध प्रदर्शनों से शुरू हुआ बांग्लादेश का राजनीतिक संकट 2025 का अंत आते आते अपने चरम पर पहुंच रहा है. शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनी, लेकिन हिंसा, चुनाव की अनिश्चितता और हिंदुओं पर हमले लगातार देश को संकट में डाल रहे हैं. आरोप लग रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने इस आग को भड़काने में घी की भूमिका निभाई है. यह आरोप मुख्य रूप से भारतीय इंटेलिजेंस, मीडिया और राजनीतिक हलकों से आते हैं. दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञों का भी यही मानना है. इस बात के ताजा सबूत इस बात से भी मिलते हैं कि पाकिस्‍तान की प्रमुख पार्टी मुस्लिम लीग नवाज ने यह बयान जारी किया है कि भारत यदि बांग्‍लादेश के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो पाकिस्‍तान ढाका के समर्थन में मैदान में उतर जाएगा. दरअसल, पाकिस्‍तान के भीतर 1971 के जख्‍म अब भी भरे हैं, जब बांग्‍लादेश से 'पूर्वी पाकिस्‍तान' का लेबल उखाड़ फेंका गया था. अब पाकिस्‍तान उसी जख्‍म का हिसाब बराबर करने के लिए बांग्‍लादेश की जमीन का इस्‍तेमाल कर रहा है.

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ISI की कथित भूमिका, आरोप और प्रमुख उदाहरण

भारतीय इंटेलिजेंस और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ISI ने संकट को योजनाबद्ध तरीके से भड़काया. इसका मुख्य उद्दैश्य भारत को पूर्वी मोर्चे पर कमजोर करना है क्योंकि बांग्लादेश भारत की सीमा पर है. ISI इसके लिए ऐसी रणनीति पर काम कर रहा है ताकि पाकिस्तान सीधे जिम्मेदार न लगे. अगस्त 2024 में कई मीडिया रिपोर्ट में भारतीय इंटेलिजेंस ने बांग्लादेशी छात्र नेताओं, पाकिस्तानी ISI अधिकारियों और US सुरक्षा अधिकारियों के बीच गुप्त बैठकें उजागर कीं थीं. ये बैठकें पाकिस्तान और कतर में हुईं, जहां विरोध प्रदर्शनों की प्लानिंग की गई.

उदाहरण के लिए, छात्र नेता नाहिद इस्लाम (जो अब अंतरिम सरकार में मंत्री हैं) पर ISI से फंडिंग लेने के आरोप लगे. यह डिजिटल डिसइनफॉर्मेशन का हिस्सा था, जहां सोशल मीडिया पर भारत विरोधी नैरेटिव फैलाए गए.

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जमात-ए-इस्लामी और मदरसा नेटवर्क का इस्तेमाल

ISI ने जमात-ए-इस्लामी को फंडिंग और समर्थन दिया, जो संकट में सक्रिय हुआ. Times of India की रिपोर्ट में दावा है कि ISI, चीन और जमात ने मिलकर अशांति फैलाई. 2024 के विरोध में जमात कार्यकर्ताओं ने हिंसा भड़काई, जैसे ढाका में पुलिस स्टेशनों पर हमले हुए. 2025 में चुनाव से पहले ISI ने मदरसों में निर्देश दिए कि वे विरोध का समर्थन करें लेकिन नेतृत्व न लें.

शेख हसीना के बेटे का आरोप भी कुछ ऐसे ही हैं. अगस्त 2024 में हसीना के बेटे सजिब वाजेद जॉय ने Firstpost को बताया कि ISI ने अशांति को ईंधन दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर हस्तक्षेप किया, जैसे ISI एजेंट्स की ढाका में उपस्थिति. जैसे 2024 के विरोध में पाकिस्तानी हाई कमीशन से जुड़े व्यक्ति प्रदर्शनकारियों से मिले थे .

मोहम्मद यूनुस और ISI

मोहम्मद यूनुस पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से जुड़े होने के गंभीर आरोप लगे हैं. जनवरी 2025 में Organiser.org की एक रिपोर्ट ने इन आरोपों को प्रमुखता से उजागर किया, जिसमें दावा किया गया कि यूनुस की ISI से सांठ-गांठ बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे रही है.

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ISI के माध्यम से बांग्लादेश में अपनी पैठ बढ़ा रहा है, और यूनुस इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. विशेष रूप से, पाकिस्तान ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) विकास के लिए बांग्लादेश से सहायता चाहता है, जो भारत और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.

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सितंबर 2025 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान यूनुस ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की. यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित बताई गई, लेकिन Organiser की रिपोर्ट में इसे ISI लिंक्स का हिस्सा माना गया. मुलाकात के दौरान चर्चा में ICBM विकास का मुद्दा उठा होने की संभावना जताई गई, जहां पाकिस्तान ने बांग्लादेश से सहायता मांगी. शरीफ ने यूनुस को पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण भी दिया, जो बाद में 2025 में ही पूरी हुई.

ISI ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों को फंडिंग दी, जो यूनुस सरकार में सक्रिय हैं, और हिंसा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया. उदाहरणस्वरूप, दिसंबर 2025 में छात्र नेता शरीफ ओसमान हादी की हत्या और उसके बाद की अशांति को ISI की साजिश का हिस्सा माना गया.

डिजिटल और साइबर इंटरफेयर

बांग्लादेश का 2024-2025 का संकट न केवल राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का परिणाम है, बल्कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा संचालित डिजिटल और साइबर इंटरफेयर का भी एक प्रमुख हिस्सा है. ISI ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, विशेषकर X का इस्तेमाल करके झूठी सूचनाएं फैलाईं, विरोध प्रदर्शनों को भड़काया और भारत विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा दिया. यह रणनीति प्लॉजिबल डिनायबिलिटी पर आधारित है, जहां ISI स्थानीय सहयोगियों के माध्यम से काम करती है ताकि सीधा आरोप न लगे.

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भारतीय एजेंसियों के अनुसार, ISI का डिजिटल वेब बांग्लादेश में अशांति को बढ़ाने के लिए सक्रिय है, जो चुनाव से पहले हिंसा को ईंधन दे रहा है. X पर कई पोस्ट्स ISI की इस डिजिटल वेब का उल्लेख करती हैं. उदाहरण के लिए एक पोस्ट में कहा गया है कि संकट ISI, उसके बांग्लादेशी सहयोगियों (जैसे जमात-ए-इस्लामी और मदरसा-लिंक्ड ग्रुप्स) और विदेशी हस्तक्षेप का परिणाम है.

Nathan Jones एक Political Analyst हैं, जिनका X अकाउंट राजनीतिक मुद्दों, विशेषकर दक्षिण एशिया और बांग्लादेश संकट पर फोकस करता है.  2024-2025 के बांग्लादेश संकट के संदर्भ में Nathan Jones ने X पर कई पोस्ट्स की हैं, जहां उन्होंने पाकिस्तान की ISI को प्रमुख दोषी ठहराया है.उन्होंने न्यूयॉर्क सन आर्टिकल का एक लिंक शेयर किया, जिसमें ISI को बांग्लादेश विरोध में शामिल बताया गया.

भारत को घेरने के लिए ISI और DGFI ने मिलाया हाथ, लगातार बांग्लादेश आ रहे पाक अधिकारी

बांग्लादेश अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए नया गढ़ बन चुका है. पाकिस्तानी अधिकारी लगातार इस देश की यात्रा कर रहे हैं. करीब 3 महीने पहले पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेएससी) के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा चार दिवसीय बांग्लादेश दौरे पर थे. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने यूनुस से मुलाकात की और सैन्य नेतृत्व के साथ भी बैठकें कीं.

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आईएएनएस की एक रिपोर्ट बताती है कि इस अवसर आइएसआइ के अधिकारी की उपस्थिति ने भारत की चिंता स्पष्ट रूप से बढ़ा दी थी. बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि आइएसआइ अधिकारियों को इसलिए आमंत्रित किया गया था ताकि दोनों देश DGFI (बांग्लादेश सशस्त्र बलों की खुफिया एजेंसी - डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस) के साथ खुफिया जानकारी साझा कर सकें.

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