बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की लैंडस्लाइड विक्ट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वघोषित हनुमान लोजपा नेता चिराग पासवान की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. शाम पांच बजे तक लोजपा (आर) को करीब 19 सीट मिलती दिख रही है. एनडीए की ओर से उन्हें 29 टिकट मिले थे. जाहिर है कि लोजपा बड़ी सफलता की ओर बढ़ रही है. दूसरी ओर बीजेपी और जेडीयू को मिल रही भारी सफलता में भी चिराग पासवान की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता .क्योंकि 2020 में उनके साथ न होने पर जेडीयू और बीजेपी को जो नुकसान हुआ था उसे सभी ने देखा था.
रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान यूं तो नीतीश कुमार को चाचा कहते रहे हैं पर 2020 में उन्हें हराने के लिए इन्होंने कमर कस ली थी. खुद तो लोजपा केवल एक सीट ही हासिल कर सकी थी पर जेडीयू को 43 सीटों पर समेट दिया था. पर जिस तरह की जीत इस बार जेडीयू को मिलती दिख रही है उससे स्पष्ट है कि इस बार लोजपा (आर) के समर्थन के चलते नीतीश कुमार को नुकसान नहीं हुआ है.
शाम पांच बजे तक जेडीयू 85 सीटों पर आगे चल रही थी मतलब साफ है कि जिन सीटों पर पिछली बार लोजपा प्रत्याशियों के चलते हार मिली थी वहां इस बार बढ़त मिली है. जाहिर है कि चिराग पासवान अपने कोर वोटर्स के वोट को ट्रांसफर कराने में सफल हुए हैं.
चिराग को कभी सीएम तो कभी डिप्टी सीएम बनाने की बात से चिराग के समर्थकों में पॉजिटिव संदेश गया
एनडीए की रणनीति में चिराग पासवान को केंद्र में रखना एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. चुनाव से पहले ही ऐसी हवा बनाई गई कि चिराग को कभी मुख्यमंत्री पद का दावेदार तो कभी उपमुख्यमंत्री का मजबूत उम्मीदवार बताया गया. जाहिर है कि उनके समर्थकों के बीच खासकर पासवान समुदाय में इसका सकारात्मक संदेश गया. यह रणनीति 2020 के विद्रोह के बाद चिराग को एनडीए के 'अंदरूनी चेहरे' के रूप में स्थापित करने का प्रयास था. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि चिराग को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा के चलते पासवान वोटों का बड़े पैमाने पर ट्रांसफर जेडीयू और बीजेपी में हो सका. X पर समर्थकों ने चिराग को डिप्टी सीएम बनाने के लिए जबरदस्त अभियान चलाया.एक पोस्ट में लिखा गया कि चिराग को डिप्टी सीएम बनाओ, पासवान भाइयों का सपना पूरा होगा. यह संदेश दलित समुदाय में उत्साह भर गया, जो लंबे समय से आरजेडी के सामाजिक न्याय पर निर्भर था.
मोदी ने अपने हनुमान को चिराग भाई कहकर जीत लिया चिराग समर्थकों का दिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिराग पासवान को 'चिराग भाई' कहना एक भावनात्मक मास्टरस्ट्रोक था, जो चिराग समर्थकों खासकर पासवान समुदाय का दिल जीत लिया. पटना रैली में मोदी ने कहा, कि चिराग भाई बिहार के लाल हैं, वे NDA के साथ बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. यह शब्दों का जादू पासवान वोटरों में उत्साह भर गया, जो रामविलास पासवान की मोदी से पुरानी दोस्ती को याद करता.'हनुमान' रूपक यहां फिट बैठता है. मोदी 'राम', चिराग 'हनुमान'. X पर एक वायरल वीडियो में चिराग ने कहा, मोदी जी ने मुझे भाई कहा, अब पासवान भाइयों का भरोसा NDA पर है. इस भावनात्मक अपील ने दलित समुदाय को जोड़ा, जहां 5-6% पासवान वोट निर्णायक साबित हुए.
नीतीश और चिराग के मिलन ने बनाई फिजां
नीतीश कुमार और चिराग पासवान का मिलन एनडीए के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा. 2020 में नीतीश कुमार के खिलाफ चिराग ने बिगुल फूंक दिया था. एनडीए छोड़कर उन्होंने अपनी पार्टी को करीब 200 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ाया. जाहिर है इसका नुकसान एनडीए विशेषकर जेडीयू को हुआ था. जेडीयू को केवल 43 सीट ही मिल सकी. बीजेपी जेडीयू से बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बताया जाता है कि 40 से अधिक सीटों पर जेडीयू के हार का कारण चिराग बने थे. चिराग का नारा हिट हुआ था कि मोदी तुझसे बैर नहीं -पर नीतीश तेरी खैर नहीं.
पर 2025 में 'फिजां' बदली हुई थी. चिराग मुख्यमंत्री आवास पर नीतीश से मिलकर उनका पैर छू रहे थे तो नीतीश कुमार छठ पर्व पर चिराग के घर पहुंच उनको गले लगा रहे थे. जाहिर है कि ये मेल मिलाप महागठबंधन के खिलाफ डेडलिएस्ट कॉम्बिनेशन साबित हुआ.
चिराग का धुआंधार प्रचार और सोशल मीडिया पर उपस्थिति
चिराग पासवान का धुआंधार प्रचार और सोशल मीडिया उपस्थिति ने बिहार में एनडीए की विजय की कहानी लिखी. केवल 29 सीट पर चिराग की पार्टी चुनाव लड़ रही थी पर उन्होंने 100 से अधिक रैलियां की.जाहिर है कि चिराग ने एनडीए के लिए बहुत मेहनत की. X पर उनके लाखों फॉलोअर्स ने उनके कई वीडियो वायरल किए, जहां चिराग ने महागठबंधन पर हमला बोला. सोशल मीडिया ने पासवान वोट मोबिलाइजेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चिराग का डिजिटल कैंपेन युवा दलितों में हिट रहा.
संयम श्रीवास्तव