भारतीय जनता पार्टी में युवा नेतृत्व का उभार बनाम कांग्रेस का 'बुजुर्गवाद'

भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में संगठन और सरकार दोनों ही लेवल पर धड़ाधड़ युवाओं की नियुक्ति कर रही है. जैसे लगता है कि पार्टी 20 साल आगे की सोच रही है. ठीक दूसरी तरफ कांग्रेस में आज भी युवा नेताओं को उनका हक तक नहीं मिल रहा है.

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BJP राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नबीन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दिया (Photo: PTI) BJP राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नबीन ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दिया (Photo: PTI)

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिसंबर 2025 में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बिहार के मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन (उम्र 45 वर्ष) को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह नियुक्ति न केवल पार्टी के इतिहास में सबसे युवा शीर्ष पदाधिकारी की है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि बीजेपी अब पूर्ण रूप से युवा नेतृत्व की ओर शिफ्ट हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति के तहत यह फैसला लिया गया, जो 'विकसित भारत 2047' विजन से जुड़ा है. इस विजन में युवा ऊर्जा, नए विचार और लंबी राजनीतिक पारी खेलने की क्षमता को प्राथमिकता दी जा रही है.

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 दूसरी ओर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) में शीर्ष नेतृत्व अभी भी वरिष्ठ और बुजुर्ग चेहरों के हाथ में है, जहां अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 83 वर्ष के हैं और युवा नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारियां देने में देरी हो रही है. दोनों ही पार्टियों की तुलना कीजिए तो साफ लगता है कि बीजेपी जहां सक्रिय रूप से युवा संगठन बन रही है, वहीं कांग्रेस में परिवारवाद और वरिष्ठता की दीवार युवा नेताओं को रोक रही है. 

बीजेपी के युवा लीडरशिप को नेतृत्व,  ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और रणनीति

बीजेपी की युवा शिफ्ट 2014 के लोकसभा चुनावों से शुरू हुई, जब नरेंद्र मोदी ने युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल कैंपेन और विकास के वादे किए. लेकिन असली बदलाव 2023-2025 में आया, जब पार्टी ने राज्यों में युवा चेहरों को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी और संगठन में नई पीढ़ी को प्रमोट किया. नितिन नबीन की नियुक्ति इस ट्रेंड का चरम है. मोदी ने उन्हें युवा और मेहनती नेता बताकर बधाई दी, जबकि अमित शाह ने उनकी क्षमता की सराहना की. भारत की आबादी में 60% से अधिक युवा (35 वर्ष से कम) हैं, इसलिए पार्टी युवा वोट बैंक को टारगेट कर रही है.
 
पार्टी BJYM (भारतीय जनता युवा मोर्चा) के माध्यम से युवाओं को ट्रेन करती है और उन्हें जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करती है. यह शिफ्ट चुनावी सफलता में दिखाई दे रही है. 2024 लोकसभा में बीजेपी ने युवा मुद्दों (रोजगार, डिजिटल इंडिया) पर फोकस किया और जीत हासिल की.

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2025 में राज्य स्तर पर भी कई नियुक्तियां हुईं, जिसमें दिलीप सैकिया (असम, उम्र 52 वर्ष), जनवरी 2025 में असम BJP अध्यक्ष बने. लोकसभा सांसद और RSS बैकग्राउंड वाले सैकिया ने 2026 असम विधानसभा चुनावों की तैयारी में नई ऊर्जा लाई है.

कालिंग मोयोंग (अरुणाचल प्रदेश, उम्र 56 वर्ष) को भी इसी साल नया अध्यक्ष बनाया गया. जो स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर पार्टी को मजबूत कर रहे हैं.

पी.वी.एन. माधव (आंध्र प्रदेश, उम्र 52 वर्ष). OBC समाज से आने वाले माधव संगठन के लिए काफी दिनों से काम कर रहे थे.उनके नेतृत्व में राज्य में BJP को नई दिशा मिलने की उम्मीद है.

संजय सरावगी (बिहार, उम्र 56 वर्ष) को दिसंबर 2025 में बिहार BJP का अध्यक्ष बनाया गया है. छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री सरावगी ने दिलीप जायसवाल की जगह ली है.

यूपी में अध्यक्ष की नियुक्ति जरूर केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी के हुई है जो 74 साल के हैं. पर यहां चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रूप में 53 साल का नेतृत्व मौजूद है इसलिए शायद बीजेपी ने यह फैसला लिया होगा. 

ये नियुक्तियां दिखाती हैं कि बीजेपी राज्य स्तर पर भी मध्यम आयु (50-60 वर्ष) के नेताओं को प्रमोट कर रही है. बीजेपी ने कई राज्यों में 50 वर्ष से कम उम्र के नेताओं को मुख्यमंत्री बनाकर युवा नेतृत्व को मजबूत किया है. यह कांग्रेस से अलग है, जहां युवा नेता इंतजार करते रहते हैं.

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योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश, 52 वर्ष): 2017 में 45 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बने योगी बीजेपी के सबसे प्रमुख युवा चेहरे हैं. उनका हिंदुत्व आधारित नेतृत्व, कानून-व्यवस्था सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास युवा ऊर्जा का प्रतीक है.

देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र, 54 वर्ष): 2014 में 44 वर्ष की उम्र में सबसे युवा मुख्यमंत्री बने फडणवीस अब तीसरी बार पद पर हैं. उनका फोकस समृद्धि एक्सप्रेसवे जैसे प्रोजेक्ट्स पर है.

मोहन यादव (मध्य प्रदेश, 51 वर्ष): 2023 में मुख्यमंत्री बने यादव ओबीसी समुदाय से हैं.

पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड, 48 वर्ष): 2021 में 46 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बने.

मोहन चरण माझी (ओडिशा, 53 वर्ष): 2024 में ट्राइबल समुदाय से पहला मुख्यमंत्री बने.

हिमंता बिस्वा सरमा (असम, 56 वर्ष): पूर्वोत्तर में BJP का विस्तार किया.

सम्राट चौधरी (58 साल) को बिहार का डिप्टी सीएम बनाया गया है. पर जिस तरह उन्हें गृहमंत्री और बीजेपी विधायक दल का नेता बनाया गया है उससे तो यही लगता है कि बीजेपी उन्हे लंबी रेस का घोड़ा बनाने को तैयार है.

केंद्रीय स्तर और संगठन में युवा चेहरे ही नहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी बीजेपी युवाओं को प्रमुख भूमिकाएं दे रही है.


इंतजार और परिवारवाद में उलझा कांग्रेस का युवा नेतृत्व

जिस तेजी से बीजेपी वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर युवाओं को मौका दे रही है ठीक  उसके विपरीत कांग्रेस में रफ्तार बहुत धीमी है. राजस्थान में सचिन पायलट जैसे युवा नेता मुख्यमंत्री बनने का इंतजार करते रह गए पर उन्हें आगे नहीं किया गया. ठीक वही हालत आज कर्नाटक में है. 

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कांग्रेस में युवा नेता हैं, लेकिन उन्हें शीर्ष जिम्मेदारियां कम मिलती हैं. जैसे शशि थरूर को किनारे लगाते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे (83 वर्ष) को अध्यक्ष बनाया गया.युवा जैसे सचिन पायलट, गौरव गोगोई, कन्हैया कुमार, जयवीर शेरगिल (पूर्व प्रवक्ता, अब BJP में) को प्रमोट नहीं किया जाता. कई युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, जयवीर शेरगिल) बीजेपी में चले गए. कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (77 साल) के मुकाबले उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (64 साल) को तरजीह नहीं मिल रही है.जाहिर है कांग्रेस में भविष्य की तैयारी नहीं हो रही है.

राहुल गांधी (55 वर्ष) और प्रियंका गांधी युवा चेहरे हैं, लेकिन पार्टी में वरिष्ठ नेता का प्रभाव है. जिसमें सोनिया गांधी हैं. जो पिछले दिनों कर्नाटक में हुए क्राइसेस को लेकर फिर सुर्खियों में आईं. कहा गया कि वे ही इस समस्‍या का समधान करेंगी. कांग्रेस में परिवारवाद युवाओं को रोकता है. यह शिफ्ट बीजेपी को चुनावी लाभ दे रही है.

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