30 दिसंबर 2025 को पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की. यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन खो चुकी है, और अधीर रंजन खुद को पार्टी के अंदर हाशिए पर महसूस कर रहे हैं. अधीर ने मुलाकात का आधिकारिक कारण पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों पर हो रही हिंसा और भेदभाव बताया है. उन्होंने कहा कि बंगाली भाषी प्रवासियों को घुसपैठिए बताकर टारगेट किया जा रहा है, और उन्होंने PM से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग की.
लेकिन इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में कई अटकलों को जन्म दिया है. क्या अधीर कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल होने वाले हैं? क्या यह ममता बनर्जी से उनकी पुरानी दुश्मनी का नतीजा है? और क्या कांग्रेस का बंगाल में कोई भविष्य बचा है? यह घटना कांग्रेस की आंतरिक कलह और बंगाल की जटिल राजनीति को उजागर करती है.
अधीर रंजन चौधरी: एक कट्टर कांग्रेस नेता क्यों छोड़ सकता है पार्टी
अधीर रंजन चौधरी (जन्म 1956) पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और बहारामपुर से कई बार सांसद रह चुके हैं. वे 1999 से 2024 तक लोकसभा में रहे, लेकिन 2024 चुनावों में TMC की युवा उम्मीदवार यूसुफ पठान से हार गए. अधीर कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जो ममता बनर्जी के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं. उन्होंने ममता को तानाशाह कहा है और TMC को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया है.
अधीर की छवि एक फायरब्रांड नेता की रही है, जो संसद में मोदी सरकार पर तीखे हमले करते रहे हैं. लेकिन कांग्रेस में उन्हें हाल के वर्षों में नजरअंदाज किया गया है. 2024 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने INDIA गठबंधन पर फोकस किया, लेकिन बंगाल में TMC से गठबंधन नहीं होने से कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई.
अधीर ने कई बार कांग्रेस हाईकमान पर आरोप लगाया कि वे ममता के आगे झुक रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हुई. 2021 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 0 सीटें मिलीं, और 2024 लोकसभा में भी सिर्फ एक सीट (मालदा साउथ)। अधीर की हार ने पार्टी को और कमजोर किया. कांग्रेस कार्यकर्ता खुद कहते हैं कि पार्टी ने समर्पण कर दिया है. कोई ग्रासरूट संगठन नहीं, फंडिंग की कमी, और हाईकमान का ध्यान अन्य राज्यों पर होने से यहां पार्टी कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस करते हैं. अधीर ने खुद कहा है कि कांग्रेस बंगाल में मर चुकी है.
कांग्रेस के लिए यह कोई खेला नहीं
अधीर रंजन चौधरी की इन तमाम शिकायतों के बावजूद कांग्रेस हाईकमान को कोई फर्क नहीं पड़ा. कांग्रेस नेतृत्व बंगाल में ममता बनर्जी को लेकर कभी आक्रामक नहीं हुआ. ऐसे में यदि अधीर रंजन भाजपा ज्वाइन कर भी लेते हैं कि कांग्रेस में किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यानी, उनके लिए यह कोई खेला नहीं है. बल्कि, एक राहत ही मिलेगी कि कांग्रेस नेतृत्व को उनके ही एक नेता से खरीखोटी सुनने को नहीं मिलेगी. सिर्फ बीजेपी ही इस बात पर खुश हो सकती है कि कांग्रेस का एक और बड़ा नेता बंगाल चुनाव से पहले उनकी नाव में आकर सवार हो गया है.
मुलाकात क्यों चर्चा को जन्म दे रहा है
लेकिन मुलाकात का समय ऐसा है कि जिसे सामान्य नहीं कहा जा सकता है. 2026 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, जब TMC मजबूत है और कांग्रेस कमजोर है .अधीर और ममता की दुश्मनी पुरानी है. दोनों ही ओर से एक दूसरे के लिए जहर भरे आरोप लगाए जाते हैं. अधीर ने ममता को अवसरवादी कहा तो TMC ने अधीर को BJP का एजेंट बताया. 2019 में अधीर ने ममता के खिलाफ मोदी की तारीफ की थी, जिससे कांग्रेस में विवाद हुआ. कांग्रेस हाईकमान ने अधीर को कई बार चेतावनी दी.राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में बंगाल में अधीर को कम महत्व दिया गया.जिससे वे और अलग-थलग पड़ गए.
क्या है BJP में जाने की संभावना
मुलाकात से कई अटकलें लग रही हैं. पहली, अधीर BJP में शामिल हो सकते हैं. दरअसल कांग्रेस में उनका भविष्य अंधकारमय है. बंगाल कांग्रेस में कोई संगठन नहीं, फंडिंग नहीं, और हाईकमान का ध्यान भी नहीं है. अधीर 68 साल के हैं, और 2026 चुनावों में TMC से लड़ना मुश्किल है. BJP में शामिल होकर वे राज्यसभा या केंद्रीय भूमिका पा सकते हैं. BJP बंगाल में TMC को चुनौती देना चाहती है, और अधीर जैसे स्थानीय नेता से फायदा हो सकता है.
अधीर और ममता की तल्खी जगजाहिर है. 2021 में अधीर ने ममता के खिलाफ BJP उम्मीदवारों का समर्थन किया. ममता ने अधीर को मोदी का तोता कहा. ऐसी स्थिति में अधीर के लिए BJP बेहतर विकल्प लगता है. क्योंकि वे मोदी की तारीफ पहले भी कर चुके हैं.
कांग्रेस ने INDIA गठबंधन में TMC से गठबंधन नहीं किया, जिससे बंगाल में पार्टी खत्म हो गई. अधीर ने कहा है कि कांग्रेस TMC की जेब में है. पार्टी के युवा नेता अधीर को पुरानी पीढ़ी मानकर नजरअंदाज कर रहे हैं. राहुल गांधी की यात्रा में अधीर को साइडलाइन किया गया.
क्यों BJP में जाना अधीर के लिए बेहतर?
अधीर के लिए BJP में जाना तर्कसंगत लगता है. कांग्रेस में उनका कोई भविष्य नहीं है. बंगाल में TMC का वर्चस्व है, और कांग्रेस 2% वोट तक सिमट चुकी है. दूसरी तरफ BJP बंगाल में लगातार बढ़ रही है. 2021 विधानसभा में 77 सीटें, 2024 लोकसभा में 12 सीटें जीतकर बीजेपी ने अपने लिए उम्मीद जगाई हैं.
अधीर जैसे अनुभवी नेता से BJP को बंगाल में ब्रेकथ्रू मिल सकता है, खासकर मुर्शिदाबाद जैसे इलाकों में जहां अधीर का आधार है. ममता से दुश्मनी अधीर को BJP के लिए परफेक्ट फिट बनाती है. वे TMC के खिलाफ हमले तेज कर सकते हैं. कांग्रेस में अधीर को नजरअंदाज किया जा रहा है. BJP में शामिल होकर अधीर केंद्रीय मंत्री या राज्यसभा सदस्य बन सकते हैं. कई कांग्रेस नेता (जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद) पहले BJP में गए और सत्ता सुख भोग रहे हैं.
कांग्रेस का बंगाल में संकट और भविष्य
कांग्रेस का बंगाल में कोई भविष्य नहीं दिखता. पार्टी 1967 से सत्ता से बाहर है, और TMC ने कांग्रेस के आधार को खा लिया है. ममता बार-बार कांग्रेस को BJP का B टीम कहती हैं. कांग्रेस की रणनीति TMC से गठबंधन की है, लेकिन ममता कई बार मना कर चुकी हैं. अधीर जैसे नेता TMC के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन हाईकमान चुप है. पार्टी का संगठन कमजोर है. कोई बूथ स्तर का कार्यकर्ता नहीं, फंडिंग नहीं है. अगर वे BJP में जाते हैं, तो बंगाल कांग्रेस खत्म हो जाएगी. हालांकि अधीर ने किसी भी इस तरह की बात से इनकार किया है.
संयम श्रीवास्तव