Omicron Variant: ओमिक्रॉन के संक्रमण को ना समझें जुकाम, शोधकर्ताओं ने किया आगाह

ओमिक्रॉन का संक्रमण संभवतः सामान्य जुकाम की दिखता है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेंकी सुंदरराजन के नेतृत्व में इसी पर एक रिसर्च किया गया है जिसमें कई नई बातें सामने आईं हैं.

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ओमिक्रॉन के लक्षणों पर सामने आया नया शोध (Reuters) ओमिक्रॉन के लक्षणों पर सामने आया नया शोध (Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST
  • ओमिक्रॉन को लेकर नया रिसर्च
  • शोधकर्ताओं ने बताया सामान्य जुकाम जैसे क्यों ओमिक्रॉन का संक्रमण
  • कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेंकी सुंदरराजन के नेतृत्व में किया गया रिसर्च

कोविड-19 के नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले भारत समेत कई देशों में मिल चुके हैं, जिसे लेकर चिंता बढ़ गई है. शोधकर्ता लगातार इस नए वेरिएंट को समझने की कोशिश कर रहे हैं. ओमिक्रॉन के संक्रमण को लेकर एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि ये बिल्कुल सामान्य सर्दी जुकाम की तरह नजर आता है. इसलिए इसकी पहचान करना और मुश्किल है. शोधकर्ताओं का कहना है कि संभव है कि वायरस ने सामान्य जुकाम वाले वायरस से आनुवंशिक सामग्री ली हो और अपना कम से कम एक म्यूटेशन किया हो. इससे पहले भी कई शोध में कहा गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के लक्षण बाकी वैरिएंट्स से अलग नजर आ रहे हैं. इसके लक्षण बहुत गंभीर नहीं है इसलिए संक्रमित लोगों को इसका पता लगने में और देरी हो सकती है.

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ओमिक्रॉन का संक्रमण संभवतः सामान्य जुकाम की तरह दिखता है, इसी बात को लेकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेंकी सुंदरराजन के नेतृत्व में एक रिसर्च किया गया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, शोध में पता चला है कि यह म्यूटेशन एक सेल (कोशिका) में हुआ होगा जो SARS- Cov- 2 और कोल्ड वायरस, दोनों को ही होस्ट कर सकता है.

रॉयटर्स के मुताबिक़, शोध में मिली जानकारी का मतलब ये हो सकता है कि ओमिक्रॉन वायरस अधिक तेजी से फैलता है, मगर इसके लक्षण या तो नहीं दिखते या फिर बेहद हल्के दिखते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ओमिक्रॉन कोरोनावायरस के अन्य दूसरे वेरियंट्स से अधिक खतरनाक है और क्या ये गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है?

सवाल ये भी हैं कि क्या ये दुनिया भर में तबाही मचाने वाले वैरिएंट डेल्टा से भी आगे निकल सकता है? इन सभी सवाल पर वैज्ञानिकों का शोध चल रहा है.

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ओमिक्रॉन के नए लक्षण इस बात का संकेत हैं कि ये वायरस के रिकॉम्बिनेशन का नतीजा हो सकता है. इस प्रक्रिया में दो अलग-अलग वायरस एक ही होस्ट सेल में मिलते हैं और अपनी कॉपियां (संख्या बढ़ाना) बनाते हैं. इस दौरान वायरस की नई कॉपी बनती हैं. इस नए वायरस में दोनों पैरेंट वायरस के आनुवांशिक गुण मौजूद होते हैं.

कैंब्रिज के रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ओमिक्रॉन वैसे व्यक्ति में पैदा हुआ होगा जो दोनों ही वायरस से संक्रमित होगा. ऐसे में कोविड के वायरस ने दूसरे वायरस से आनुवंशिक गुण लिए होंगे और इसी कारण ओमिक्रॉन का आनुवंशिक अनुक्रम (जेनेटिक सीक्वेंस) कोरोनावायरस के मौजूदा वैरियंट्स से मेल नहीं खाता. बताया जा रहा है कि इसी वजह से इसके लक्षण भी अन्य कोविड वेरियंट्स से अलग हैं.

सुंदरराजन ने बताया कि ये आनुवांशिक अनुक्रम कई बार कोरोनावायरस के एक प्रकार में दिखता है जो लोगों में सामान्य जुकाम का कारण बनता है. ये आनुवांशिक अनुक्रम HIV (Human Immunodeficiency Virus) में भी मिलता है, जिस कारण एड्स होता है.

दक्षिण अफ्रीका, जहां ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था, के वैज्ञानिकों ने शुरू में ये हिंट दिया था कि ओमिक्रॉन संभवतः वैसे इंसान के शरीर में पैदा हुआ जिसका इम्यून सिस्टम एचआईवी या किसी प्रतिरक्षात्मक बीमारी से संक्रमित था. 

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