अधिक मछली खाने से बढ़ सकता है इस जानलेवा बीमारी का जोखिम! इतनी मात्रा में खाना फायदेमंद

Skin cancer reason: मछली खाने से शरीर को कई फायदे होते हैं. लेकिन हालही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, अधिक मछली खाने वाले लोगों में एक प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. मछली की कितनी मात्रा खाने वालों में मेलानोमा के लक्षण देखे गए थे, इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

Advertisement
(Image credit: Getty images) (Image credit: Getty images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST
  • मछली खाने से कई फायदे होते हैं
  • मछली खाने की सलाह एक्सपर्ट भी देते हैं
  • स्टडी के मुताबिक जानलेवा बीमारी का बढ़ सकता है जोखिम

जो लोग नॉनवेज खाते हैं वे अपनी डाइट में अंडे, चिकन, मटन, सी-फूड, पोर्क, मछली आदि शामिल करते हैं. इनमें सबसे अधिक प्रोटीन मछली में पाया जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, मछली खाने से शरीर को काफी फायदा होता है लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि मछली के सेवन से एक तरह की गंभीर और जानलेवा बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. यह रिसर्च किसने की है और मछली के अधिक सेवन से कौन सी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है? इस बारे में जान लीजिए. 

इस जानलेवा बीमारी का बढ़ सकता है जोखिम

पराबैंगनी (यूवी) किरण त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके कारण अधिकांश त्वचा कैंसर होते हैं. नई स्टडी में दावा किया गया है कि मछली खाने से व्यक्ति में मेलेनोमा का खतरा बढ़ सकता है जो कि एक प्रकार का कैंसर है.

ब्राउन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पाया गया, जिन लोगों ने हर हफ्ते 300 ग्राम मछली खाई थी उन लोगों में जानलेवा मेलेनोमा का जोखिम 22 प्रतिशत अधिक था. इस रिसर्च में 62 वर्ष की आयु वाले 4 लाख 91 हजार 367 वयस्कों ने भाग लिया था. उन लोगों से मछली के सेवन के बारे में जानकारी ली गई. इस रिसर्च में जो लोग शामिल थे, उन्होंने पिछले साल तली हुई मछली, बिना तली हुई मछली या टूना मछली खाई थी. 

इस मछली को खाने वालों में खतरा अधिक

रिसर्च में डाटा को प्रभावित करने वाले कारक जैसे बढ़ा हुआ वजन, स्मोकिंग, ड्रिंकिंग, डाइट, कैंसर का पारिवारिक इतिहास, यूवी विकिरण के संपर्क की स्थिति आदि का ख्याल रखा गया था. निष्कर्ष में पाया गया कि 1 प्रतिशत लोगों में मेलेनोमा का जोखिम बढ़ गया था और 0.7 प्रतिशत लोगों में मेलेनोमा के जोखिम बढ़ने के अधिक चांस थे. इन लोगों में मछली का सेवन त्वचा कैंसर के जोखिम का कारण बना था. 

अन्य रिसर्च में जिन लोगों ने बिना तली हुई मछली खाई थी, उससे पता चला कि उन लोगों में मेलेनोमा का जोखिम 18 प्रतिशत अधिक था. ट्यूना मछली का सेवन करने वालों में मेलेनोमा का जोखिम 20 प्रतिशत अधिक था. हैरानी की बात है कि जिन्होंने तली हुई मछली का खाई थी, उन लोगों में कैंसर से संबंधित कोई भी खतरा नहीं था. 

Advertisement

गहरी त्वचा वाले लोगों को है कम खतरा

रिसर्च के राइटर यूनयॉन्ग चो (Eunyoung Cho) के मुताबिक, मेलानोमा अमेरिका में पांचवां सबसे कॉमन कैंसर है और सफेद स्किन वाले लोगों में मेलेनोमा विकसित होने का जोखिम 38 में से एक इंसान को और गहरे रंग की स्किन वाले लोगों में 1000 में से एक इंसान को है. पिछले कुछ दशकों में मछली का सेवन बढ़ने से हमने यह रिसर्च की थी. इस रिसर्च ने कैंसर और मछली के सेवन के बीच संबंध बताया है. अब हमें इस पर और रिसर्च की जरूरत है. 

यूनयॉन्ग चो ने आगे कहा, अन्य स्टडी में पाया गया है कि जो लोग मछली खाते हैं उनके शरीर में पारा और आर्सेनिक जैसे भारी धातुओं का लेवल अधिक हो जाता है. ये त्वचा कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं. यह नई रिसर्च लोगों में भ्रम पैदा कर सकती है. मैं लोगों को मछली खाने से रोक नहीं रहा हूं, बल्कि जो रिसर्च में साबित हुआ है उसे बता रहा हूं. 

स्टडी के राइटर्स ने यह भी बताया कि इस रिसर्च में मछली में मौजूद दूषित पदार्थों की मात्रा नहीं मापी गई थी. इसलिए पूरी तरह से इस बात को मान लेना भी सही नहीं है. इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है. इसके विपरीत नेशनल हेल्थ एसोशिएशन का कहना है कि हर इंसान को हर हफ्ते कम से कम दो बार मछली खानी चाहिए. दो सर्विंग में एक सर्विंग तेल वाली मछली की होनी चाहिए. अगर मछली के सेवन के बाद अगर किसी को त्वचा में कोई अंतर दिखता है तो वह डॉक्टर को जरूर दिखाए.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement