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WHO ने बताया, किन लोगों को कोरोना से बचने के लिए हर साल लेनी पड़ेगी बूस्टर डोज

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:23 PM IST
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पूरी दुनिया में कोरोना की वैक्सीन देने का काम जारी है. कोरोना के बदलते वैरिएंट और वैक्सीन पर इसके असर को लेकर भी एक्सपर्ट्स की चिंता बढ़ती जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक दस्तावेज में अनुमान लगाया है कि जिन लोगों को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है, जैसे कि बुजुर्गों को, उन लोगों को कोरोना के वैरिएंट्स से बचने के लिए हर साल एक बूस्टर डोज लेने की जरूरत होगी.

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रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, WHO के इस अनुमान की चर्चा वैक्सीन गठबंधन गावी की एक बैठक में भी की गई है. गावी WHO के कोविड-19 वैक्सीन प्रोगाम COVAX का सहयोगी गठबंधन है. वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना इंक और फाइजर इंक, अपने जर्मन पार्टनर बायोएनटेक के साथ बूस्टर शॉट की जरूरत पर पहले ही जोर देते रहे हैं. 
 

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इन कंपनियों का कहना है कि बूस्टर शॉट से उच्च स्तर की इम्यूनिटी बनाए रखने में मदद मिलेगी. हालांकि ये कितना असरदार होगा, अभी इसके पूरे साक्ष्य स्पष्ट नहीं हैं. डॉक्यूमेंट में WHO ने ज्यादा जोखिम वाले लोगों के लिए सालाना बूस्टर और सामान्य आबादी के लिए हर दो साल में बूस्टर लगवाने की सिफारिश की है.
 

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रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि WHO आखिर इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा. रिपोर्ट के अनुसार, वैरिएंट्स के नए-नए रूप आते रहेंगे और इन खतरों से निपटने के लिए वैक्सीन को नियमित रूप से अपडेट किया जाता रहेगा. 

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गावी के एक प्रवक्ता ने कहा कि COVAX कई तरह के परिदृश्यों को ध्यान में रखने की योजना बना रहा है. आठ जून के इस डॉक्यूमेंट में अगले साल तक वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की 12 अरब डोज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. 
 

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डॉक्यूमेंट में वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग की दिक्कत, रेगुलेटरी अप्रूवल और कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के बारे में भी अनुमान लगाया गया है. इसकी वजह से अगले साल वैक्सीन आपूर्ति में भी कुछ समस्या आ सकती है. रिपोर्ट के इन अनुमानों को WHO के वैश्विक टीकाकरण रणनीति को परिभाषित करने में उपयोग किया जाएगा.
 

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अपने एक अन्य दस्तावेज में गावी ने कहा कि बूस्टर डोज और वैक्सीन पर इस तरह के पूर्वानुमान बदल सकते हैं. गावी के अनुसार, अब तक दुनिया भर में वैक्सीन की लगभग 250 करोड़ डोज दी जा चुकी हैं. अमीर देशों में आधी से अधिक आबादी कम से कम वैक्सीन की एक डोज लगवा चुकी है, वहीं कई गरीब देशों में 1 फीसदी से भी कम का वैक्सीनेशन हो सका है.
 

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WHO का पूर्वानुमान है कि वैक्सीन बंटवारे का यह अंतर अगले साल और बढ़ सकता है, क्योंकि वार्षिक बूस्टर की जरूरत एक बार फिर गरीब देशों को कतार में पीछे ढकेल सकती है. WHO का कहना है कि सबसे खराब स्थिति में, अगले साल 600 करोड़ की वैक्सीन का उत्पादन किया जा सकेगा.

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अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया को हर साल बूस्टर की जरूरत हो सकती है ताकि कोरोना के वैरिएंट्स से मुकाबला किया जा सके और सुरक्षा की समयसीमा और बढ़ाई जा सके. ऐसे में वैक्सीन की पहली डोज लेने की जरूरत और बढ़ जाती है.
 

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हालांकि, एक्सपर्ट्स के अनुसार ये भी उम्मीद जताई जा रही है कि दुनिया भर में मांग के हिसाब से वैक्सीन उत्पादन के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा. इन वैक्सीन को दुनिया भर में पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. इस वजह से शायद बूस्टर की जरूरत ना पड़े क्योंकि अपडेटेड वैक्सीन वैरिएंट के खिलाफ अच्छा असर दिखाएंगी.
 

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