वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को चुनौती देने राजस्थान सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. राजस्थान सरकार ने वक्फ संशोधन कानून को जायज बताते हुए अपनी दलीलों के साथ पुराने कानून की खामियों को रेखांकित करते हुए उसमें किए गए बदलाव का बचाव किया है.
राजस्थान सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में खुद को भी एक पक्षकार बनाने की गुहार लगाई है. सरकार ने इस बाबत अपनी दलीलें रखने के लिए प्रतिवादी आवेदन दायर किया है.
याचिका में राजस्थान सरकार ने दावा किया है कि इस मामले में उसका प्रत्यक्ष, पर्याप्त और कानूनी रूप से संरक्षित हित है. क्योंकि वह राज्य के भीतर वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और नियमन के लिए जिम्मेदार प्राथमिक कार्यकारी प्राधिकरण है.
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राज्य सरकार की दलील
राज्य सरकार ने इस वक्फ संशोधन अधिनियम को एक पारदर्शी और संवैधानिक रूप से सुदृढ़ सुधार बताया है. याचिका में कहा गया है कि इस कानून का उद्देश्य सरकारी और निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है. यह ऐसी प्रवृत्ति और प्रथा बन गई है जिसने कई मामलों में सार्वजनिक विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पंगु बना दिया है.
राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि वक्फ बोर्ड, राज्य सरकारों और कानूनी विशेषज्ञों सहित 284 से अधिक हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त संसदीय समिति द्वारा सर्वसम्मति से इस कानून का समर्थन किया गया था. अन्य याचिकाओं में किए गए दावों के बिल्कुल उलट यह अधिनियम अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कतई नहीं करता है. ये कानून ना ही संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन करता है.
राजस्थान सरकार ने इस मामले में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने और तुलनात्मक कानूनी दृष्टिकोण और अनुभवजन्य आंकड़ों के साथ न्यायालय की सहायता करने की अनुमति मांगी है. ताकि नागरिकों को न्यायपालिका से पूर्ण न्याय मिल सके.
संजय शर्मा