रामपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद सपा विधायक आजम खान ने कई सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि इसे न चुनाव कह सकते हैं, न चुनावी नतीजे आना कह सकते हैं.
मुसलमानों की बस्ती में जहां 900 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 6 वोट डाले गए और 500 के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 1 वोट डाला गया. जिस तरह से वोट डाले गए, हम इसे अपने प्रत्याशी की जीत मानते हैं. मालूम हो कि बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी ने 42,192 वोटों से सपा उम्मीदवार असीम रजा को हरा दिया है.घनश्याम को 367397 और असीम को 325205 वोट मिले.
आजम के इस्तीफे से खाली हुई थी सीट
विधायक बनने के बाद आजम खान लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यहां लोकसभा उपचुनाव हुए. आजम खान ने अपने समर्थक असीम रजा को इस सीट से उतारा था. खुद आजम ने असीम के नाम की घोषणा की थी. वो अपने दम पर ही पूरा प्रचार कर रहे थे.
रामपुर सीट सपा नेता आजम का गढ़ मानी जाती है. 2019 में रामपुर लोकसभा सीट पर आजम खान ही चुनाव जीते थे. इसके बाद 2022 को विधानसभा चुनाव में भी आजम खान इसी सीट से उतरे और चुनाव जीत लिया. रामपुर में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार भी प्रचार के लिए नहीं पहुंचे थे, जबकि बीजेपी ने यहां पूरी ताकत लगा दी थी.
आजम के करीबी रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी
विजयी प्रत्याशी घनश्याम लोधी एमएलसी रहे हैं. लोधी भी कभी आजम खान के करीबी रहे हैं. उन्होंने 2022 में ही बीजेपी जॉइन की थी. घनश्याम सिंह लोधी को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी बेहद करीबी माना जाता रहा है.
उन्होंने 2004 में हुए एमएलसी चुनाव के दौरान कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी और मुलायम सिंह यादव की सपा के गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी.
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