पंजाब की भगवंत सरकार ने प्रदेश में जमीन के कानून में तबदीली की है, जो कि किसानों के लिए गूड न्यूज है. ऐसा माना जा रहा है कि यह किसानों के लिए वरदान साबित होगी और उन्हें करोड़ों रुपये का लाभ होगा. साथ ही उनकी संपत्ति की कीमत में भी इजाफा होगा.
पंजाब के वित्त मंत्री ने नई लैंड पूलिंग नीति को लेकर प्रेस वार्ता
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आज का दिन पंजाब के शहरी विकास के इतिहास में एक सुनहरे अक्षर में लिखा जाएगा. आज पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक में नई लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दी है. यह नीति शहरी विकास के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगी. इससे संबंधित कानून और नीतियों को भी स्पष्ट किया गया है.
झूठे प्रचार का जवाब
उन्होंने कहा, हाल के दिनों में कुछ लोग लैंड पूलिंग नीति को लेकर गुमराह कर रहे थे. वे यह कह रहे थे कि जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं — इस नीति में किसी भी तरह की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा. यह पूरी तरह स्वैच्छिक और पारदर्शी प्रक्रिया है.
भूमि मालिकों को पूरी आजादी
इस नीति में ज़मीन के मालिकों को तीन विकल्प दिए गए हैं:
सरकार केवल जमीन को नोटिफाई करेगी, बाकी पूरी प्रक्रिया ज़मीन मालिक की मर्ज़ी से चलेगी. पहले की सरकारों में ज़मीन पर कई शर्तें लगाई जाती थीं — उसे न कोई खरीद सकता था, न बेच सकता था. अब वह सभी बंदिशें हटा दी गई हैं.
भूमि का व्यावसायिक और आवासीय उपयोग
इस नीति के तहत एक एकड़ ज़मीन पर:
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ग्रुप हाउसिंग की व्यवस्था
उन्होंने कहा, अगर किसी के पास 9 या 10 एकड़ जमीन है और वह सरकार को देता है, तो उसे उसी स्थान पर 3 एकड़ विकसित ज़मीन ग्रुप हाउसिंग (समूह आवासीय परियोजना) के लिए मिलेगी.
इसी तरह, अगर चार या अधिक किसान मिलकर ज़मीन सरकार को देंगे, तो उन्हें 60 फीसदी विकसित ज़मीन वापस दी जाएगी जिसमें: 5 फीसदी कमर्शियल उपयोग, 20 फीसदी ग्रुप हाउसिंग की इजाज़त, बाकी हिस्से पर प्लॉट बनाकर वो खुद बेच सकेंगे.
विकास की जिम्मेदारी
अतीत की नीतियों की आलोचना
वित्त मंत्री हरपाल ने कहा, पिछली सरकारों की नीतियों ने लैंड माफिया को बढ़ावा दिया, जिससे पंजाब में लगभग 14,000 अवैध कॉलोनियां बन गईं. अब इस नई नीति से जमीन मालिक खुद डेवलपर या उद्यमी बन सकते हैं. इससे पारदर्शिता आएगी और अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी.
ट्रांसपेरेंसी और समय सीमा
उन्होंने कहा, इस पूरी प्रक्रिया में अधिकतम 1 से 1.5 साल का समय लगेगा, अगर सरकार जमीन लेती है, तब तीन साल तक 29,000 प्रति एकड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
वर्तमान नीति बनाम पुरानी नीति
उन्होंने कहा, पुरानी लैंड पूलिंग नीति सिर्फ मोहाली तक सीमित थी, और ज़मीन नोटिफाई हो जाने के बाद किसान उसे न बेच सकता था, न विकसित कर सकता था. लेकिन इस नई नीति में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. अब किसान अपनी जमीन को बेचे, खुद विकसित करे, या साझेदारी में डेवलप करे — पूरी छूट है.
राजनीतिक विरोध पर जवाब
वित्त मंत्री हरपाल ने कहा, मुख्यमंत्री साफ कर चुके हैं कि यह नीति किसी भी “लैंड ग्रैब” की योजना नहीं है. जो लोग इसे लेकर डर फैला रहे हैं — वे या तो गलत जानकारी दे रहे हैं या उनका कोई निजी स्वार्थ है.
सरकार का उद्देश्य किसानों, ज़मीन मालिकों और आम नागरिकों को अधिकार, आज़ादी और लाभ देना है, न कि किसी बिल्डर को फायदा पहुंचाना.
कमलजीत संधू