शक्ति प्रदर्शन या नाराजगी कम करने की कोशिश! UP बीजेपी में क्या चल रहा है?

उत्तर प्रदेश में विधायकों मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से मिलकर मुख्यमंत्री लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर बेलगाम अफसरशाही से कोई नाराजगी है तो वह उसे दूर करने के लिए वो कदम आगे बढ़ाने को तैयार हैं.

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CM Yogi Adityanath/Keshav Prasad Maurya/Brijesh Pathak (File Photo) CM Yogi Adityanath/Keshav Prasad Maurya/Brijesh Pathak (File Photo)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक अब खुलकर अपनी बात रखने लगे हैं. वह चाहे सरकार से नाराज विधायक हों या फिर चाहे योगी सरकार के समर्थक. दोनों तरफ के बीजेपी विधायकों की पूछ इस समय बढ़ी हुई है.

ज्यादातर ओबीसी विधायकों की इन दिनों बल्ले-बल्ले है. क्योंकि उन्हें लगता है कि अब बीजेपी में सुनवाई के कई खेमे बन गए हैं. कुछ लोग केशव मौर्य से मिलकर अपनी पीड़ा, अपना दर्द बता रहे हैं तो कुछ सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपनी बात कह रहे हैं.

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सीएम को सीधे अपनी परेशानी बता रहे विधायक

ज्यादातर विधायक और मंत्री, मुख्यमंत्री के साथ आमने-सामने की मुलाकात में अपनी पीड़ा, खासकर अफसरशाही का दर्द बयां कर रहे हैं. वे इन बातों को मीडिया के साथ भी साझा कर रहे हैं. हाल के दिनों में सैयदराजा से विधायक सुशील सिंह, बुलंदशहर से प्रदीप चौधरी और नंदकिशोर गुर्जर ने अफसरशाही के खिलाफ खुलकर बयान दिया. मुरादाबाद मंडल की बैठक में जाते हुए नंदकिशोर गुर्जर ने बेलगाम अफसरशाही पर निशाना साधा और इशारों में मुख्यमंत्री को लेकर भी यह कह दिया कि मुख्यमंत्री अगर इसका सबूत मांगते हैं तो इसका सबूत कहां से लाया जाएगा.

डैमेज कंट्रोल में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं. पहले विधायकों और जनप्रतिनिधियों को मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब कोई भी जनप्रतिनिधि अगर मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगता है तो मुख्यमंत्री न सिर्फ तुरंत वक्त दे रहे हैं. बल्कि मुलाकात भी कर रहे हैं.

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अफसरशाही की खुलकर शिकायतें कर रहे MLA

यही नहीं मुख्यमंत्री लगातार प्रत्येक मंडल की प्रशासनिक समीक्षा कर रहे हैं, जिसमें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों खासकर वहां के विधायक एमएलसी सांसद और मंत्रियों को बुलाया जाता है. इस दौरान उनसे अफसरशाही को लेकर शिकायतें भी पूछी जा रही हैं. ऐसे में आजमगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक के दौरान एक एमएलसी रामसूरत ने मुख्यमंत्री से अधिकारियों के पास सुनवाई न होने, फोन ना उठाने और शिकायतों पर कार्रवाई न करने की बात कही.

राजभर और नषाद ने बढ़ा दी सियासी हलचल

इधर, केशव मौर्य के पास जाने वालों में ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद का नाम अहम है. हाल ही में राज्य का राजनीतिक तापमान तब बढ़ गया, जब आजमगढ़ की बैठक में ओमप्रकाश राजभर नहीं गए. जबकि शाम के समय उन्होंने डिप्टी सीएम केशव मौर्य से मुलाकात की. जिसकी फोटो केशव मौर्य की टीम ने सोशल मीडिया पर शेयर की. अगले दिन संजय निषाद भी केशव मौर्य से मिलने पहुंचे. ऐसे में यह मैसेज निकलने लगा कि यूपी बीजेपी में ओबीसी धड़ा अलग तरीके से सोचने के साथ अलग काम कर रहा है.

अपनी चलाना चाहता है BJP का केंद्रीय नेतृत्व

इस बीच अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर हमला बोला. उनके मुताबिक केंद्र की बीजेपी चाहती है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का यह झगड़ा चलता और बढ़ता रहे. ताकि केंद्र की कमजोर बीजेपी यूपी में अपनी चला सके. फिलहाल विधायकों की नाराजगी को दूर करने में मुख्यमंत्री अपने स्तर पर जुटे हैं. दूसरी तरफ संघ का एक वर्ग भी बीजेपी के भीतर की खाई को पाटने में लगा हुआ है. अब देखना यह है कि ये मुलाकातें क्या शक्ति प्रदर्शन की ओर बढ़ती हैं या फिर बीजेपी के भीतर ओबीसी की नाराजगी और विधायकों की नाराजगी धीरे-धीरे शांत हो जाती है.

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