संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष SIR पर गोलबंद तो सरकार लाएगी दिवाला-बीमा और गुटखा सेस समेत 14 बिल

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. सरकार ने कई अहम विधेयक पास कराने की रणनीति बनाई है. विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी की है. विपक्ष ने एसआईआर और दिल्ली ब्लास्ट सहित तमाम मुद्दे पर सख्त तेवर अपना रखा है, जो वो संसद में उठाएगी.

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संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के एजेंडे में एसआईआर का मुद्दा (Photo-ANI) संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के एजेंडे में एसआईआर का मुद्दा (Photo-ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:35 AM IST

संसद के शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा. संसद सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं. नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नई एफआईआर को लेकर कांग्रेस नाराज है. इसके अलावा देश में चल रहे एसआईआर प्रक्रिया को लेकर घमासान मच सकता है. 

देश के 12 राज्यों में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने संसद में सरकार को घेरने का प्लान बनाया है. इसके अलावा दिल्ली आत्मघाती बम धमाके और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की खराब स्थिति पर चर्चा की मांग कर सत्र को हंगामेदार बनाने के आसार जता दिए हैं.

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वहीं, सरकार इस सत्र में असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने समेत 14 विधेयकों के जरिये अपने सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ाने की तैयारी की है. सरकार ने कहा कि संसद की कार्यवाही अच्छी तरह चलनी चाहिए और वह गतिरोध की स्थिति को टालने के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत जारी रखेगी.

सरकार 14 बिल कराएगी पास
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 15 बैठकें होंगी. इस दौरान सरकार का फोकस 14 विधेयक पास कराने की है. सरकार दिवाला कानून, बीमा कानून, सिक्योरिटीज मार्केट, कॉर्पोरेट कानून, राष्ट्रीय राजमार्ग, उच्च शिक्षा आयोग, एटॉमिक एनर्जी, जीएसटी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेस बिल संसद में पेश करेगी. 

शीतकालीन सत्र के दौरान अनुदानों की अनुपूरक मांगों का पहला बैच भी प्रस्तुत किया जाएगा, उन पर चर्चा की जाएगी और मतदान होगा. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मैं सकारात्मक रूप से कह रहा हूं कि हम विपक्ष की बात सुनने के लिए तैयार हैं, संसद सबकी है, देश की है. 

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उन्होंने कहा कि संसद में हर मुद्दे पर चर्चा करने का एक तरीका होता है. नियम होते हैं, परंपराएं होती हैं.' संसद की कार्यवाही अच्छी तरह चलनी चाहिए और सभी गतिरोध को टालने के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत जारी रखेंगे. 

सरकार को संसद में घेरेगा विपक्ष
शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी विपक्ष ने कर ली है. एसआईआर प्रक्रिया के मुद्दे पर विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है. कांग्रेस से लेकर टीएमसी, समाजवादी पार्टी और DMK तक ने वोटर लिस्ट रिवीजन (एसआईआर) के खिलाफ संसद में सरकार के घेरने की तैयारी की है. विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने की बात सरकार से की है.

सोनिया गांधी के नेतृव में कांग्रेस की पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी ग्रुप की बैठक में सभी नेताओं ने एक सुर में यह मांग उठाई कि एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा कराई जानी चाहिए. राहुल गांधी ने कहा कि एसआईआर में बीएलओ की आत्महत्या गंभीर मुद्दा है और इस मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि एसआईआर के नाम पर पिछड़े, दलित, वंचित गरीब वोटरों को लिस्ट से हटाकर बीजेपी अपनी मनमाफिक वोटर लिस्ट तैयार कर रही है. इसे मुद्दे को सांसद उठाना होगा.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सभी सांसद अपने-अपने इलाकों के स्थानीय मुद्दों को सदन में उठाएं. उन्होंने आंतरिक सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बताया और कहा कि दिल्ली में हुआ आतंकी हमला एक बड़ी चूक है. बैठक में उन्होंने कहा कि एयर पॉल्यूशन के मुद्दे पर सदन में चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा.

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कांग्रेस से लेकर सपा, टीएमसी सहित तमाम विपक्षी दलों ने एसआईआर के साथ ही दिल्ली में आतंकी हमले, की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया. साथ ही उन्होंने वायु प्रदूषण, विदेश नीति, किसानों की स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी और कुछ अन्य विषयों पर सत्र के दौरान चर्चा कराने का आग्रह किया.

संसद सत्र में होगा टकराव
शीतकालीन सत्र में सरकार का एक बड़ा फोकस नेशनल सॉन्ग, 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने पर प्रस्तावित चर्चा है. सरकार इस गीत पर चर्चा करान चाहती है. यह एक ऐसा टॉपिक जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यह आरोप लगाकर फिर से उठाया कि कांग्रेस ने 1937 में कई लाइनें हटा दीं. एक ऐसा काम जिसने उनके अनुसार विभाजन के बीज बोए हैं.
 
सरकार ने साफ कर दिया है कि एसआईआर का मुद्दा संसद में नहीं उठाया जा सकता. सरकार का कहना है कि वोटर रोल में बदलाव चुनाव आयोगका एक रूटीन प्रोसेस है और इस पर संसद में बहस नहीं हो सकती. उसने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव निकाय ने पहले ही कोर्ट के गाइडेंस के हिसाब से काम किया है. ऐसे में साफ है कि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की संभावना है. 

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