क्या बीजेपी को मिलने जा रही पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष? निर्मला सीतारमण समेत इन नामों की चर्चा

उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि बीजेपी एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर बढ़ सकती है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को पहली बार महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकती है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही है, जिसमें कई प्रमुख महिला नेताओं के नाम पर विचार किया जा रहा है.

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 बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर मंथन कर रहा है बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर मंथन कर रहा है

पीयूष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (BJP) का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है, लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि बीजेपी एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर बढ़ सकती है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को पहली बार महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकती है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही है, जिसमें कई प्रमुख महिला नेताओं के नाम पर विचार किया जा रहा है. ये फैसला संगठनात्मक संतुलन, महिला सशक्तिकरण और आगामी चुनावी रणनीतियों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. 

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बता दें कि राजनीतिक गलियारों में निर्मला सीतारमण, वनथी श्रीनिवासन और डी पुरंदेश्वरी के नाम चर्चा में हैं. एक-एक कर तीनों महिला नेताओं के बारे में जानते हैं...

1. निर्मला सीतारमण

देश की मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही हैं. निर्मला सीतारमण ने हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की थी. अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​है कि उनकी संभावित नियुक्ति से पार्टी को एक साथ कई रणनीतिक लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है.

अगर निर्मला सीतारमण को इस पद के लिए चुना जाता है, तो उनके प्रमोशन से बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है. इसके साथ ही मोदी सरकार के महिला सशक्तिकरण के संकल्प को भी इससे बढ़ावा मिलेगा. वर्तमान में वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत निर्मला सीतारमण ने पहले रक्षा विभाग का जिम्मा संभाला था और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे के भीतर उनका लंबा अनुभव है.

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2. डी. पुरंदेश्वरी

डी. (दग्गुबाती) पुरंदेश्वरी का आंध्र प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान है. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश से सांसद हैं और उन्होंने राज्य में बीजेपी अध्यक्ष का जिम्मा भी संभाला है. पुरंदेश्वरी, सुषमा स्वराज जैसी प्रभावशाली वक्ता मानी जाती हैं. उनका दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों में सफल करियर रहा है. वह बहुभाषी (तेलुगु, तमिल, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच में बेहतरीन पकड़) हैं.

उन्हें जुलाई 2023 में आंध्र प्रदेश में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और हाल ही तक वह इस पद पर रहीं. इतना ही नहीं, पुरिंदेश्वरी को विभिन्न देशों में गए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए भी चुना गया था, जिसने विदेशों में जाकर पाकिस्तान को बेनकाब किया. दक्षिण भारत में वह पार्टी का बड़ा चेहरा बन सकती हैं.

3. वनथी श्रीनिवासन

वनथी श्रीनिवासन एक जानी-मानी वकील से राजनेता बनीं हैं, जो वर्तमान में तमिलनाडु विधानसभा में कोयंबटूर साउथ से बीजेपी की विधायक हैं. उनका राजनीतिक सफर 1993 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के साथ शुरू हुआ और तब से वे पार्टी के संगठन में लगातार आगे बढ़ती गईं. वनथी ने तमिलनाडु बीजेपी में राज्य सचिव (2013-14), महासचिव (2014-20) और राज्य उपाध्यक्ष (2020) जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं.

वनथी को अक्टूबर 2020 में बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, ये जिम्मेदारी उन्होंने उस समय संभाली जब पार्टी महिलाओं के बीच अपना आधार मजबूत करने पर ज़ोर दे रही थी. 2022 में उन्हें बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया. इस प्रतिष्ठित समिति में जगह पाने वाली वह पहली तमिल महिला बनीं. यह नियुक्ति उनके बढ़ते प्रभाव और पार्टी के प्रति लंबे योगदान का प्रमाण है.

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वनथी श्रीनिवासन कानूनी विशेषज्ञ होने के साथ ही जमीनी राजनीति में भी दक्ष हैं. उन्होंने महिला सशक्तिकरण, संगठनात्मक मजबूती और विधानमंडल में सक्रिय भूमिका के ज़रिए न केवल राज्य में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है.

क्या RSS भी तैयार है?

सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी महिला नेतृत्व को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है. उनका मानना है कि महिला नेतृत्व का प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों दृष्टिकोण से बड़ा असर होगा. हाल के वर्षों में बीजेपी को महिला मतदाताओं से बड़ा समर्थन मिला है, खासकर महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों में. पार्टी की महिला केंद्रित योजनाओं और लाभार्थी वोट बैंक की रणनीति को और मजबूती देने के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है.

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