New Parliament Building inauguration:पीएम नरेंद्र मोदी देश के नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन करेंगे लेकिन इससे पहले ही इस कार्यक्रम का विपक्षी दलों ने विरोध कर दिया. 19 विपक्षी दलों ने एक सुयंक्त बयान जारी कर कार्यक्रम के बहिष्कार का एलान किया है. विपक्ष ने कहा कि लोकतंत्र की आत्मा को नई संसद से निष्कासित कर दिया गया है. हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम के बहिष्कार पर बुधवार को कहा कि भारत सरकार ने सभी दलों से कार्यक्रम में शामिल होने की विनती की थी, सब लोग आएं यही हमारी भावना है.
1) लोकतंत्र खतरे में डाल रही सरकार
विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा- नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है. जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसकी हमारी अस्वीकृति के बावजूद हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे. हालांकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.
2) राष्ट्रपति के बिना संसद नहीं कर सकती काम
भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे, जिन्हें क्रमश: राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा. राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है. वह संसद को बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और संबोधित करती हैं. संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है. यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है. यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था.
3) पीएम के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य नई बात नहीं
विपक्षी दलों ने अपने लेटर में कहा- संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है. संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है, जब उन्होंने भारत के लोगों के मुद्दों को उठाया. सत्ता पक्ष के सासंदों ने संसद को बाधित किया है. तीन कृषि कानूनों को व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है. नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए यह स्पष्ट रूप से बनाया जा रहा है.
4) संसद से लोकतंत्र की आत्मा को कर दिया निष्कासित
विपक्षी दलों ने कहा- जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं. हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ शब्दों और भावनाओं में लड़ना जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना - यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है.
इन दलों ने किया बायकॉट
विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के साथ डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं.
अशोक सिंघल