अखिलेश पर नरमी के बाद आजम खान क्यों हो रहे मायावती पर मुलायम?

सपा महासचिव आजम खान समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर नरम हैं. वह बसपा में जाने की अटकलों को भी सिरे से नकार चुके हैं. अब उनके सुर बसपा प्रमुख मायावी पर भी मुलायम नजर आ रहे हैं.

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आजम खान ने मायावती को बताया बड़े जन समूह का नायक (Photo: ITG) आजम खान ने मायावती को बताया बड़े जन समूह का नायक (Photo: ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

सपा के राष्ट्रीय महासचिव और  कद्दावर मुस्लिम चेहरा आजम खान जब से जेल से बाहर आए हैं, तब से सियासी सुर्खियों में बने हुए हैं. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद आजम खान अब उन पर नरम रुख अख्तियार कर रखा तो बसपा की प्रमुख मायावती पर भी मुलायम नजर आ रहे हैं. 

आजम खान के जेल में रहते हुए उनके परिवार की मायावती से मुलाकात की खबरें आईं थी. आजम खान के बसपा में शामिल होने की अटकलों भी लगाई जा रही थी, जिसे मायावती ने सिरे से नकार दिया मायावती ने कहा कि मैं ऐसे किसी से छिपकर नहीं मिलती, जब भी मिलती हूं, खुले में मिलती हूं. अगर मुझे किसे मिलना होता तो सामने मिलती. 

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मायावती ने सपा पर जमकर हमले किए और अखिलेश के 'पीडीए' नारे पर निशाना साधा. इसके जवाब में अखिलेश ने बिना नाम लिए बीजेपी के साथ मायावती पर साठगांठ के आरोप लगाया तो आजम खान बसपा प्रमुख की तारीफ करते नजर आए. पार्टी लाइन से हटकर आजम खां ने कहा कि मैं मायावती का बहुत सम्‍मान करता हूं, मैं ही नहीं पूरा देश उनका सम्‍मान करता है. अगर उन्हें किसी तरह की शिकायत है तो उसके लिए खेद है. 

मायावती पर नरम नजर आए आजम खान

आजम खान ने कहा कि मायावती से मुलाकात सिर्फ राजनीति के लिए नहीं बल्कि सामाजिक, नैतिक  कारणों से भी हो सकती है. मायावती यूपी की मुख्यमंत्री रही हैं, एक बड़े जन समूह की नायक हैं, हम उनकी इज्जत भी करते हैं और एहतराम भी करते हैं.  अगर उन्‍हें मीडिया के माध्‍यम से कोई ऐसी खबर मिली है, ज‍िससे उनहें दुख पहुंचा हो तो मुझे अफसोस है ऐसी खबर के लिए. इसके लिए हमें खेद है. 

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आजम ने कहा कि जब भी मायावती रामपुर आती थी, तो वह मेरी मेहमान हुई करती थी. उन्‍होंने महसूस किया होगा कि मेरा उनके साथ कैसा आत्‍मीयता का संबंध है. मेरा ताल्‍लुक कांशीराम जी से बहुत रहा है. शायद यह किसी को पता नहीं होगा कि वह सुबह 4 बजे मुझसे मिलने के लिए आया करते थे, क्योंकि उन्‍हें मालूम था कि मैं फजर की नमाज पढ़ता हूं. वह मुझसे कहा करते थे कि मैं ऐसे वक्‍त आता हूं, जब आप मुझे मिल जाएं. 

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मायावती से मुलाकात को लेकर सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा जरूरी नहीं कि हम राजनैतिक कारणों से मिलें. हमारी कुछ इंसानी, नैत‍िक, सामाजिक जरूरतें भी हो सकती हैं, मैं जब भी मिलूंगा तो उनका शुक्रिया अदा करूंगा कि उन्‍होंने कोई ऐसी बात नहीं कही कि ज‍िससे मेरे दिल को ठेस पहुंचे. आजम खान ने कहा, अगर हम सत्ता में आते हैं तो हम कोशिश करेंगे कि उनकी शिकायतों का समाधान हो. इस तरह आजम ने मायावती के साथ अपने रिश्ते की केमिस्ट्री बनाते नजर आए. 

आजम खान क्यों मायावती पर मुलायम

आजम खान बहुत मंझे हुए नेता हैं, दस बार के विधायक और दो बार के सांसद रह चुके हैं. सियासी नब्ज को बाखूबी समझते हुए और उसी के अनुरूप अपनी राजनीतिक दांव चलते हैं. योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद आजम खान पर कानूनी शिकंजा, जिसके चलते पहले 27 महीने और उसके बाद 23 महीने उन्हें जेल में रहना पड़ा है. इस दौरान आजम खान परिवार की सियासत हाशिए पर पहुंच गई, लेकिन जेल से बाहर निकलने के बाद अलग ही अंदाज में नजर आ रहे हैं.

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आजम खान अब अपने पुराने तेवर और स्टाइल के बजाय सियासी बैलेंस बनाकर चलते नजर आ रहे हैं. सपा के साथ बैलेंस बनाकर रखते हुए बाकी विपक्षी दलों के साथ सियासी केमिस्ट्री बनाकर चल रहे हैं. इसीलिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मुलाकात के बाद सपा पर नरम तेवर अपना रखा, साथ ही पार्टी नहीं छोड़ने का ऐलान कर अपनी वफादारी का सबूत दे दिया है, लेकिन मायावती की शान में कसीदे गढ़कर अपना पावर गेम भी दिखा रहे हैं.

आज़म सियासी बैलेंस बनाकर क्यों चल रहे?

अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आज़म खान से मिलने रामपुर ज़रूर आए, लेकिन अकेले और उनकी शर्तों पर जाना पड़ा. रामपुर के लोकसभा सांसद मोहिबुल्ला नदवी को बरेली में छोड़कर अखिलेश को आज़म से मिलने जाना पड़ा था. हालाँकि, वापसी के दौरान बरेली में सपा नेताओं के साथ बैठक की है, वो आज़म खान को बर्दाश्त नहीं हुई. इसके अलावा, सपा की मुस्लिम सियासत को अखिलेश अब आज़म खान के भरोसे नहीं छोड़ना चाहते हैं, जिसे आज़म खान भी बाख़ूबी समझ रहे हैं. इसीलिए आज़म खान भी सियासी बैलेंस बनाकर चलने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

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आज़म खान को क़रीब से जानने वाले लोग जानते हैं कि आज़म खान कैसे अपनी सियासी प्रासंगिकता को बनाए रखना चाहते हैं. इसीलिए जेल से छूटने के बाद से लगातार तमाम मीडिया को इंटरव्यू दे रहे हैं और सियासी प्रेशर सपा पर बनाने का दाँव चल रहे हैं. अखिलेश यादव से मुलाक़ात के बाद सपा पर ज़रूर नरम हैं, लेकिन जिस तरह मायावती पर आज़म मुलायम नज़र आ रहे हैं, उसके सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं. इतना ही नहीं, आज़म खान ने कांशीराम के साथ अपनी केमिस्ट्री का ज़िक्र किया है, उससे उनकी सियासत को समझा जा सकता है.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आज़म खान ने बसपा प्रमुख मायावती की तारीफ़ करके सपा को सियासी संदेश दे रहे हैं. सपा के सभी नेता जब बसपा की रैली को भाजपा की रैली बताने में जुटी है तो आज़म खान मायावती पर नरम रुख अपनाकर सियासी समीकरण साधने में जुटे हैं. इतना ही नहीं, मायावती से मुलाक़ात के भी इशारों-इशारों में संकेत दे दिए हैं. इस तरह मायावती पर मुलायम तो अखिलेश पर नरम तेवर दिखाकर दो नावों पर एक साथ चलने का दाँव चल रहे हैं.

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