'घर दब गए, सिर्फ छतें बाहर थीं... हम सीटियां बजा रहे थे ताकि लोग भाग सकें...', धराली की तबाही की कहानी चश्मदीद की जुबानी

धराली के पास के मुखबा गांव के लोगों ने जब इस भयावह मंजर को देखा तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए. मुखबा गांव के स्थानीय निवासी और इस घटना के चश्मदीद 60 साल के सुभाष चंद्र सेमवाल बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा.

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धराली हादसे पर प्रत्यक्षदर्शी ने क्या-क्या कहा? (Photo: PTI) धराली हादसे पर प्रत्यक्षदर्शी ने क्या-क्या कहा? (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

सबकुछ खत्म हो गया.... ये शब्द हैं उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने के बाद मची तबाही के गवाह बने चश्मदीद के. मंगलवार को धराली में मची तबाही के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोगों की चीख-पुकार साफ सुनी जा सकती है.

धराली की भयावह त्रासदी के एक ऐसे ही वीडियो में कुछ लोगों को चिल्लाते, भागते और अपनी जान बचाते देखा जा सकता है. एक अन्य वीडियो में एक शख्स को पानी से निकलकर सुरक्षित स्थान पर जाने की जद्दोजहद करते देखा जा सकता है. इस घटना ने 2013 में केदारनाथ हादसे के जख्म ताजा कर दिए हैं. 

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धराली के पास के मुखबा गांव के लोगों ने जब इस भयावह मंजर को देखा तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए. मुखबा गांव के स्थानीय निवासी और इस घटना के चश्मदीद 60 साल के सुभाष चंद्र सेमवाल बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा.

उन्होंने बताया कि दोपहर का समय था. उन्हें पानी के तेज बहाव की आवाज सुनाई दी. पत्थर तेज रफ्तार से नीचे आ रहे थे. इसके बाद वो और उनके परिवार के बाकी लोग बाहर आए. हमने देखा कि खीर गंगा नदी का पानी तेज रफ्तार से नीचे आ रहा था. हम सभी डर गए. हमने धराली बाजार के लोगों को अलर्ट करने के लिए सीटियां बजाईं और उनसे वहां से जल्द से जल्द भागने को कहा. हम बहुत देर तक चिल्लाते रहे.

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सेमवाल भावुक होते हुए बताते हैं कि उनकी आवाज सुनकर कई लोग होटलों से बाहर निकले लेकिन तेज बहाव पानी ने सबको अपनी चपेट में ले लिया.  इसी घटना के एक अन्य वीडियो में डर के खौफ में लोगों को दौड़ते और अपने रिश्तेदारों को फोन लगाते देखा गया. इस वीडियो में यह शख्स बोलता है कि सब खत्म हो गया.

बता दें कि गंगोत्री जाने  के लिए धराली मुख्य स्टॉपओवर है. यहां कई होटल, रेस्तरां और होमस्टे हैं. सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईएसबीटी की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. सेना का हर्षिल कैंप भी घटनास्थल से सिर्फ चार किलोमीटर की दूरी पर है. सेना की ओर से सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में हर जगह मलबे को देखा जा सकता है. लोगों को आपदा प्रभावित धराली से दूर रहने को कहा गया है. इस बीच एसडीआरएफ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि 50 सैनिकों की टीम राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं. 

NDRF की चार टीमें मौके पर पहुंच कर रेस्क्यू में जुटी हैं. इसके अलावा आईटीबीपी की तीन टीमों को भी राहत कार्यों में लगाया गया है. राज्य और केंद्र सरकारेंस्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से नदी से दूर रहने की अपील कर रही हैं. राज्य सरकार लगातार हालत पर नजर बनाए हुए हैं. 

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लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई स्थानों पर मलबा और बोल्डर गिरे हैं. इससे आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है. BRO युद्धस्तर पर नेशनल हाईवे को खोलने में जुटा है. हादसे में आर्मी कैंप भी चपेट में आया है. कई जवानों के लापता होने की खबर है. भारी बारिश की वजह से हेलीकॉप्टर से राहत और बचाव का काम नहीं हो पा रहा है. 

धराली के खीर गंगा में आई बाढ़ से हर्षिल हेलीपैड के क्षेत्र में जलभराव हो गया है. उत्तरकाशी के निचले हिस्सों में बाढ़ का खतरा बन सकता है. तबाही के डर से अब कई लोग इलाका छोड़कर जा रहे हैं. 

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