संसद के दोनों सदनों में वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर गतिरोध जारी है. विपक्षी दलों की ओर से हर रोज इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए जा रहे हैं. हर रोज चेयर इनमें से किसी को भी अनुमति नहीं देता. शुक्रवार को भी ऐसा ही हुआ. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को अनुमति नहीं दी.
उपसभापति ने पूर्व सभापति वेंकैया नायडू से लेकर हामिद अंसारी की ओर से इसे लेकर की गई टिप्पणी का भी उल्लेख किया और अलग-अलग मुद्दों पर नोटिस का जिक्र कर कहा कि इसे कुछ सदस्य सदन में गतिरोध के टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा में नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कुछ ऐसा कह दिया कि उपसभापति भड़क गए.
दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत 20 नोटिस मिलने की जानकारी देते हुए उपसभापति हरिवंश ने कहा कि 21 जुलाई को छह अलग-अलग मुद्दों पर 267 के तहत नोटिस मिले थे. इनमें से चार मुद्दे ऐसे हैं, जिनपर 22, 23, 24 जुलाई को भी नोटिस मिले. उन्होंने एक-एक तारीख का उल्लेख किया और बताया कि आज भी पांच अलग-अलग मुद्दों पर नोटिस मिले हैं. उपसभापति ने कहा कि कुछ सदस्य इसे डेली बेसिस पर सदन में गतिरोध उत्पन्न करने के टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
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राज्यसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि विपक्ष के नेता सदन में नहीं हैं. सबकी तरफ से मैं यह कमिटमेंट करता हूं कि हम सभी सोमवार की सुबह एसआईआर के मुद्दे पर ही नियम 267 के तहत नोटिस देंगे. उन्होंने कहा कि दूसरा पॉइंट यह है कि यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है. क्या आप यह आश्वासन देंगे कि इस विषय को लिया जाएगा.
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डेरेक ने आगे कहा कि यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है. इस पर भड़के हरिवंश ने कहा कि मैंने नियम बता दिया है. इसके बाद जॉन ब्रिटास ने कहा कि नियम 267 को ही खत्म कर देना चाहिए. राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि हम सभी भी चाहते हैं कि सदन चले. हरिवंश ने कहा कि मैं रुलिंग दे चुका.
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