अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. इससे भारत के निटवियर कैपिटल कहे जाने वाले तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हड़कंप मच गया है.यहां के 20 हजार कारखानों और करीब 30 लाख नौकरियों पर संकट गहरा गया है. तिरुप्पुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव कुमार दुरईसामी ने कहा कि तिरुप्पुर भारत की निटवियर राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहां 2500 निर्यातक और 20000 यूनिट्स काम कर रहे हैं. जो निटवियर निर्यात में लगभग 68% का योगदान करता है.
कुमार दुरईसामी ने कहा कि पिछले साल हमने 44744 करोड़ रुपये का कारोबार किया था, जो कोविड लॉकडाउन, पश्चिमी अर्थव्यवस्था में मंदी और रूस-यूक्रेन संकट के बीच अभूतपूर्व वृद्धि है.इसके बाद हमें 20% की वृद्धि मिली. तिरुप्पुर अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और अफ्रीकी देशों को सेवाएं प्रदान करता है. जिनमें से अमेरिकी कारोबार 40%, यूरोप का 40%, ब्रिटेन का 10% और शेष 10% है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार ग्रहण किया और 26 जनवरी से कई देशों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया. अब तक उन्होंने 200 घोषणाएं की हैं, जिनमें उन्होंने टैरिफ लगाए, व्यापार वार्ता शुरू की और निष्कर्ष पर पहुंचे. कुमार दुरईसामी ने कहा कि 2 अप्रैल को ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके बाद द्विपक्षीय वार्ता हुई. 90 दिन की छूट के बाद जुलाई में पांचवें दौर की वार्ता के दौरान उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके बाद 25% अतिरिक्ट टैरिफ की घोषणा की. और ये तर्क दिया कि भारत रूस से बहुत सारा कच्चा तेल खरीदता है. इन प्रतिबंधों और जुर्माने की आशंका के कारण व्यापार काफी बाधित हुआ है.
निर्यातकों को नए बाज़ार तलाशने पड़ेंगे
दुरईसामी ने कहा कि ट्रंप के 'टैरिफ बम' से सबसे ज़्यादा प्रभावित वे निर्यातक हुए हैं जो सिर्फ़ अमेरिकी खरीदारों के साथ ही व्यापार करते हैं. इससे पूरे प्लेटफ़ॉर्म पर नुकसान होगा, लिहाजा निर्यातकों को नए बाज़ार तलाशने पड़ेंगे. अमेरिकी खरीदार दो तरह के होते हैं. एक बेसिक गारमेंट्स हैं, जिन्हें कोर आइटम कहा जाता है और ये सालभर ऑर्डर किए जाते हैं, जबकि फ़ैशन आइटम मौसमी ऑर्डर होते हैं. यहां ज़्यादातर फैक्ट्रीज अंडरगारमेंट्स, बेबी सूट और स्लीपवियर जैसे आइटम्स बनाती हैं, जिन्हें अमेरिकी खरीदते हैं. फ़ैशन आइटम्स में प्रिंट एम्ब्रॉयडरी, एम्बेलिशमेंट शामिल हैं, जो मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं.
कोर आइटम बनाने वाली फैक्ट्रियों पर संकट
कोर आइटम बनाने वाली फ़ैक्ट्री अब गहरे संकट में हैं, क्योंकि उनका मार्जिन बहुत कम है. आयातक इन टैरिफ को वहन नहीं कर पा रहे हैं और सामान नहीं खरीद पा रहे हैं. इस वजह से खरीदारों ने फैक्टरियों को निर्देश दिया है कि जो भी सामान तैयार है, उसे 27 अगस्त तक भेज दें और टैरिफ का एक निश्चित हिस्सा वहन करने को भी कहा है, जिस पर कई लोग सहमत भी हो गए हैं. लेकिन भारत के लिए घोषित दूसरा 25% टैरिफ बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि कोई भी इस तरह के झटके को वहन नहीं कर सकता. इससे ऑर्डर पर रोक लग गई है और खरीदारों ने 27 अगस्त के बाद ऑर्डर की शिपमेंट न करने का निर्देश दिया है.
अमेरिकी उपभोक्ता भी झेलेंगे मार
कुमार दुरईसामी ने ये भी दावा किया कि अमेरिकी उपभोक्ता भी इसकी मार झेल रहे हैं, क्योंकि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें 8% से बढ़कर 12% हो गई हैं और आने वाले 2 महीनों में जब टैरिफ के कारण ये वस्तुएं नई कीमतों के साथ अमेरिकी बाज़ार में एंट्री करेंगी तो उपभोक्ताओं को मूल्य वृद्धि और मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी बाज़ारों की जगह किसी अन्य देश का बाज़ार नहीं ले सकता. क्योंकि यह 35 करोड़ लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने वाला एक विशाल बाज़ार है और लाखों में ऑर्डर देता है, जबकि अन्य देशों से इतनी मात्रा में ऑर्डर की उम्मीद नहीं की जा सकती और कारखाने उस गति पर वापस नहीं लौट सकते.
सीएम स्टालिन ने लिखा पीएम मोदी को पत्र
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से राज्य पर पड़ने वाले गहरे असर पर चिंता जताई है. स्टालिन ने कहा कि मौजूदा 25% टैरिफ और इसके 50% तक बढ़ने से तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. सीएम ने बताया कि बीते वित्त वर्ष में भारत के कुल 433.6 अरब डॉलर के निर्यात में से 20% अमेरिका को गया था, जबकि तमिलनाडु के 52.1 अरब डॉलर के निर्यात में 31% हिस्सा अमेरिका को भेजा गया. उन्होंने कहा कि इस अधिक निर्भरता का मतलब है कि टैरिफ का असर तमिलनाडु पर बाकी राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा होगा. खासतौर पर टेक्सटाइल, परिधान, मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, रत्न-आभूषण, चमड़ा, फुटवियर, समुद्री उत्पाद और केमिकल्स जैसे श्रम-आधारित सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.
टेक्सटाइल सेक्टर को मदद की जरूरत
स्टालिन ने चेतावनी दी कि तमिलनाडु ने 2024-25 में भारत के टेक्सटाइल निर्यात में 28% योगदान दिया, जो सबसे ज्यादा है. यहां का टेक्सटाइल सेक्टर करीब 75 लाख लोगों को रोजगार देता है और मौजूदा 25% टैरिफ तथा प्रस्तावित 50% टैरिफ से लगभग 30 लाख नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखा कि उद्योग संगठनों से चर्चा के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि टेक्सटाइल सेक्टर को दो तात्कालिक सहायताओं की जरूरत है. पहली- मैन मेड फाइबर वैल्यू चेन पर जीएसटी की इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सुधारते हुए पूरे सेक्टर को 5% जीएसटी स्लैब में लाना. दूसरी सभी किस्म की कॉटन पर आयात शुल्क से छूट देना. इसके अलावा स्टालिन ने 30% तक कोलैटरल-फ्री लोन को ECLGS के तहत 5% ब्याज सबवेंशन और दो साल की मोरेटोरियम सुविधा के साथ बढ़ाने, RoDTEP लाभ को 5% तक बढ़ाने और सभी टेक्सटाइल निर्यात (यार्न सहित) पर प्री और पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट बढ़ाने की भी मांग की.
स्टालिन ने अपने पत्र में लिखा कि तमिलनाडु का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है. इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि संबंधित मंत्रालयों और उद्योग प्रतिनिधियों से परामर्श कर इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें.
प्रमोद माधव