'आतंकी बोला- मुसलमान अलग हो जाओ; फिर हिंदू जेंट्स को गोली मार दी', पहलगाम में पिता को खोने वाले मासूम की आंखों देखी

पिता को मुखाग्नि देने के बाद मासूम ने बताया, आतंकियों ने पुरुषों से कहा कहा कि मुसलमान अलग हो जाओ और हिंदू अलग हो जाओ. फिर हिंदू पुरुषों को गोली मार दी गई. फिर अचानक आतंकी गायब हो गए. इसके बाद बचे हुए लोगों ने कहा कि सब नीचे भागें, तो हम नीचे भाग आए.

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मासूम बेटे ने दी पिता की चिता को मुखाग्नि. मासूम बेटे ने दी पिता की चिता को मुखाग्नि.

ब्रिजेश दोशी

  • सूरत ,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में सूरत के कठोर गांव निवासी शैलेश भाई कड़थिया की मौत हो गई. बुधवार देर रात उनका पार्थिव शरीर सूरत पहुंचा और गुरुवार सुबह कठोर गांव के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. शैलेश के बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार के बाद मासूम ने हमले की आंखों देखी आपबीती मीडिया के सामने साझा की.

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हमले का चश्मदीद रहे मासूम ने बताया, कश्मीर बहुत अच्छा है. हम पहलगाम गए थे, जहां घोड़े से ऊपर जाना होता है. हम घोड़े से ऊपर गए थे, लेकिन 10-15 मिनट बाद ही वहां आतंकी आ गए. हम भागकर छिप गए, लेकिन आतंकियों ने हमें ढूंढ लिया. हमें दो आतंकी दिखे. 

मासूम ने आगे बबताया, 'मुसलमान अलग हो जाओ, हिंदू अलग हो जाओ.' पुरुषों से कहा गया था. हिंदू पुरुषों को गोली मार दी गई. फिर अचानक आतंकी वहां से चले गए. इसके बाद बचे हुए लोगों ने कहा कि सब नीचे भागें, तो हम नीचे भाग गए. मम्मी और दीदी ने मुझे घोड़े पर बैठा दिया. वे दोनों पैदल नीचे आईं और मैं घोड़े पर आया.''

'पापा को छोड़कर मम्मी नहीं जाना चाहती थीं'

बच्चे ने आगे कहा, “मुझे लगा कि हम नहीं बचेंगे, लेकिन हम बच गए. पापा को छोड़कर मम्मी नहीं जाना चाहती थीं, लेकिन हमें मजबूरन जाना पड़ा. आतंकी 'कलमा-कलमा' बोल रहे थे. मुसलमानों को अपनी भाषा आती थी. उन्होंने तीन बार 'कलमा' और 'मुसलमान' कहा. लेकिन जो हिंदू थे, उन्हें गोली मार दी.''

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मासूम ने आगे कहा, ''हमने दो आतंकियों को देखा. उस वक्त हम 20-30 लोग थे और दो-तीन फीट की दूरी से बात कर रहे थे. हमने भगवान को याद किया. इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ, लेकिन नीचे सेना के बेस को कुछ पता नहीं था. पहलगाम में ऊपर सेना तैनात करनी चाहिए, भले ही दो-तीन जवान ही हों. अब मैं दोबारा कभी कश्मीर नहीं जाऊंगा.''

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