बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, चुनाव आयोग को स्थिति स्पष्ट करने का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. जस्टिस सूर्यकांत ने आयोग की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से पूछा कि वर्तमान स्थिति क्या है? क्या हमें यह देखने के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए कि कितने लोग वास्तव में बाहर रह गए है?.

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संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग (ECI) से वर्तमान स्थिति स्पष्ट करने को कहा. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आयोग की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से पूछा कि आखिर अब तक क्या प्रगति हुई है? क्या अदालत को ये देखने का इंतजार नहीं करना चाहिए कि कितने मतदाता वास्तव में सूची से बाहर रह गए हैं?

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ये मामला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़ा है, जिसमें 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए जाने का विवाद है. याचिकाकर्ताओं ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए रोक लगाने की मांग की है.

पिछली सुनवाई में अदालत ने ECI को औपचारिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था, जिसमें स्पष्ट किया जाए कि मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा.न

सितंबर को कोर्ट ने आधार को 11 दस्तावेजों की सूची में 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने का आदेश दिया था, लेकिन आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना. जस्टिस सूर्यकांत ने द्विवेदी से पूछा कि वर्तमान स्थिति क्या है और क्या प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से चल रही है?.

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'हमें अगली तारीख दी जाए'

याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि निर्वाचन आयोग अन्य राज्यों में भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है. हमने बड़ी हद तक कानूनी पहलुओं पर अपनी दलीलें रख दी हैं, इसलिए कृपया हमें अगली तारीख दी जाए. अगर ये पाया गया कि यह प्रक्रिया संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन है तो हम ये दलील रखेंगे कि इसे अन्य देश के हिस्सों में जारी न रखा जाए.

शंकरनारायणन ने चेतावनी दी कि अन्य राज्यों में इसे लागू कर अपरिवर्तनीय स्थिति (fait accompli) न बनाया जाए.

पूरी प्रक्रिया की है एक समयसीमा: वृंदा ग्रोवर

याचिकाकर्ताओं की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया की एक समयसीमा है. कानून कहता है कि नामांकन की अंतिम तिथि तक मतदाता सूची में नाम जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन ऐसे में इस चुनाव में लोगों को गैरकानूनी तरीके से मताधिकार से वंचित क्यों किया जा रहा?.

वहीं, सीनियर एडवोकेट डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की, क्योंकि चुनाव आयोग ने अब पूरे देश में इसको लागू करने की घोषणा कर चुका है.

पूरे देश में लागू होगा फैसला: SC

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जहां भी चुनाव आयोग इसे लागू करने की योजना बना रहा है, हम इस बीच में अगर निर्णय देंगे और वह पूरे देश में लागू होगा.

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अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि SIR प्रक्रिया ECI के नियमों और अपने ही मैनुअल का गंभीर उल्लंघन है. इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है.

क्या कहता है नियम

नियमों के अनुसार, आपत्तियों को एक दिन के अंदर वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए, ताकि लोग देख सकें कि किसने नाम हटाने या जोड़ने के लिए आवेदन किया है. लेकिन अब तक केवल 30% आपत्तियां और नाम जोड़ने के आवेदन ही अपलोड किए गए हैं.

भूषण ने कहा कि ये आंकड़े ECI के अपने रिकॉर्ड से हैं. उन्हें अपने नियमों और मैनुअल का पालन करना ही होगा.

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि समस्या यह है कि जब हम चुनाव आयोग से जवाब मांगेंगे तो वो इसको लेकर अपना पक्ष रखेंगे, जिसमें कुछ और पहलू होगा. हमें दोनों पक्षों की बातें सुननी होंगी. वहीं, पीठ ने सुनवाई को स्थगित कर अगली तारीख 7 अक्टूबर 2025 मुकर्रर की है.

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