'प्रकृति से हमने छेड़छाड़ की, अब वह बदला ले रही...', जल प्रलय से पंजाब-उत्तराखंड में हुई तबाही पर बोला सुप्रीम कोर्ट

उत्तर भारत इस समय मौसमी बारिश और बाढ़ से जूझ रहा है. पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हालात बेकाबू हैं. जम्मू और कश्मीर में भी मॉनसून की वजह से लोग बेहाल हैं. इसके साथ ही हरियाणा और दिल्ली में भी बारिश मुसीबतें बढ़ा रही हैं.

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बाढ़ पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट (Photo: PTI) बाढ़ पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट (Photo: PTI)

संजय शर्मा / अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली समेत इस समय पूरा उत्तर भारत बाढ़ से जूझ रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में पेड़ों की अवैध कटाई पर चिंता जताते हुए कड़ी टिप्पणी की. 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में बाढ़ और लैंडस्लाइड की खबरें देखी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आई. प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि पेड़ों की अवैध कटाई हुई है. इंसान ने लंबे समय तक प्रकृति का दोहन किया है और अब प्रकृति पलटवार कर रही है.

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कोर्ट ने पहाड़ी राज्यों में पेड़ों की अवैध कटाई और बाढ़ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जोर दिया कि पर्यावरण का विकास और उसके संरक्षण में संतुलन बहुत जरूरी है. इस संबंध में कोर्ट ने केंद्र सरकार, चारों राज्यों (हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर) की एनडीएमए को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. कोर्ट ने एनएचएआई से कहा कि वो भी चाहे तो जवाब दाखिल कर सकता है. 

सीजेआई गवई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि ये एक गंभीर मुद्दा लग रहा है. चारों ओर बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे गिरे हुए देखे गए और यह पेड़ों की अवैध कटाई की तरफ इशारा करता है. हमने पंजाब की तस्वीरें देखी हैं. पूरा खेत और फसलें जलमग्न हैं इसलिए विकास के साथ संतुलन जरूरी है. 

चीफ जस्टिस ने कहा कि पंजाब में पूरे के पूरे गांव और खेत पानी में समा गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि बड़े-बड़े पेड़ और भारी-भरकम लकड़ियां नदियों में तैर रही है. दुर्भाग्य से हमने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है. 

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सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतना छेड़छाड़ किया है कि अब प्रकृति हमें जवाब दे रही है. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वो इस मुद्दे पर पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे और वो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से बात करेंगे.

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