बीमार और कमजोर को मिलनी चाहिए जमानत... PMLA कानून पर SC की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन के मामले में सेवा विकास को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर मुलचंदानी को चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी. 429 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े इस मामले में अदालत ने माना कि बीमार और कमजोर अभियुक्तों को जमानत मिलनी चाहिए.

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कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेवा विकास को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर साधुराम मुलचंदानी को मेडिकल ग्राउंड पर जमानत देने का आदेश दिया. उन पर 429 करोड़ रुपये के हेराफेरी के आरोप हैं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने माना कि बीमार और अपंग लोगों को, PMLA अधिनियम की कड़ी प्रावधान के बावजूद, जमानत दी जा सकती है.

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मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, "पीएमएलए चाहे जितना सख्त हो, हमें कानून की सीमाओं के भीतर काम करना होगा. कानून हमें बताता है कि जो व्यक्ति बीमार और कमजोर हैं, उन्हें जमानत मिलनी चाहिए. यह कहना कि उन्हें सरकारी अस्पताल में इलाज मिल सकता है, कानून का सही उत्तर नहीं है."

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एक साल से ज्यादा समय से जेल में हैं बंद

सुनवाई के दौरान सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि "मुलचंदानी को क्रोनिक किडनी रोग है और जेल में रहते हुए वे डेली रूटीन फॉलो नहीं कर सकते." इस पर, वरिष्ठ वकील एएस नंदकर्णी ने सुझाव दिया कि आरोपी को हिरासत में पास के अस्पताल में भर्ती किया जाए. रोहतगी ने बताया कि आरोपी 67 वर्ष के हैं और अब एक साल और 3 महीने से जेल में हैं, और उन्हें किसी भी पहले के अपराध में नहीं जोड़ा गया है.

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आरबीआई ने बैंक पर लिया था एक्शन!

बेंच ने JJ ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के 4 सदस्यीय समिति द्वारा पेश की गई मेडिकल रिपोर्टों की समीक्षा के बाद जमानत दी. प्रवर्तन निदेशालय के मुताबित, 92% से अधिक लोन खातों ने गैर-निष्पादित संपत्ति में बदल जाने के कारण बैंक का पतन हो गया और इसके बाद आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी बताया कि मुलचंदानी को 27 जनवरी को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा एक ईडी छापे में बाधा डालने और सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

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