'कोई लोकतांत्रिक देश ऐसा नहीं करता...', संचार साथी ऐप को लेकर केंद्र सरकार पर बरसे अरविंद केजरीवाल

DoT की ओर से सभी मोबाइल फ़ोन निर्माता कंपनियों को 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का निर्देश दिया गया. इस निर्देश को लेकर बवाल मच गया है. विपक्षी दलों का कहना है कि ये जासूसी ऐप है और यह साफ़ तौर पर प्राइवेसी का उल्लंघन है.

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संचार साथी ऐप अनिवार्यता पर विपक्ष भड़का (Photo: PTI) संचार साथी ऐप अनिवार्यता पर विपक्ष भड़का (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:14 PM IST

देशभर में बढ़ते साइबर क्राइम के ख़िलाफ़ समय-समय पर सरकार नए-नए नियम लाते रहती है. हाल में ही दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल फ़ोन निर्माता कंपनियों को निर्देश दिया कि वो अपने फ़ोन में 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करें. यह निर्देश विवाद का कारण बन गया है. 

कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी से लेकर अन्य राजनीतिक दलों ने इसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है.

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस आदेश को नागरिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया. उनका कहना है कि दुनिया के किसी लोकतांत्रिक देश में बिना सहमति किसी ऐप को फोन में जबरन इंस्टॉल करने का निर्देश नहीं दिया गया है. 

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अपने नोटिस में कहीं भी यह नहीं बताया कि लोग ऐप को हटाने का विकल्प रखेंगे या पहले उनकी मंजूरी ली जाएगी.

AAP ने इसे “तानाशाही कदम” बताया और सरकार से तुरंत आदेश वापस लेने की मांग की. विपक्ष का कहना है कि फोन नागरिकों की निजी जगह है और किसी भी सरकारी ऐप की अनिवार्यता लोगों की निजता के अधिकार को कमजोर करती है. वहीं सरकार की ओर से इस पर अभी कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है.

केंद्र सरकार की संचार साथी एप जासूसी और डाटा चोरी का एक यंत्र - अनुराग ढांडा

AAP के नेशनल मीडिया इंचार्ज अनुराग ढांडा ने संचार साथी ऐप को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि मंत्री एक बात कह रहे हैं और सरकारी दस्तावेज़ दूसरी - जिससे सरकार की नीयत पर बड़ा सवाल खड़ा होता है. 

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अनुराग ढांडा ने कहा कि मंत्री दावा करते हैं कि यह ऐप जरूरी नहीं है और लोग चाहें तो इसे डिलीट कर सकते हैं. लेकिन सरकारी नोटिफिकेशन में साफ लिखा है कि ऐप को हटाया नहीं जा सकता. उन्होंने पूछा, “जब मंत्री और नोटिफिकेशन एक-दूसरे से अलग बात कह रहे हैं, तो सच कौन बता रहा है?”

AAP नेता के अनुसार, यह कदम आम नागरिकों की निजी जानकारी और डिजिटल प्राइवेसी पर “सीधा हमला” है. उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार बार-बार ऐसे कदम उठा रही है जिनसे लोगों की निगरानी आसान हो जाती है.

संचार साथी ऐप पर ओवैसी का वार - कहा, सरकार बना रही हर फोन को ‘स्नूपिंग डिवाइस’

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के संचार साथी ऐप को लेकर कड़ा हमला बोला है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि यह ऐप मोदी सरकार का नागरिकों की प्राइवेसी खत्म करने की एक और कोशिश है.

ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस ऐप से जुड़े सर्कुलर को सार्वजनिक भी नहीं किया, जो पारदर्शिता की कमी दिखाता है. उन्होंने कहा कि अगर यह ऐप मोबाइल फोन में अनिवार्य और अनइंस्टॉल न होने वाला बनाया जाता है, तो हर नागरिक का फोन सरकारी निगरानी के जोखिम में आ जाएगा.

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ओवैसी का कहना है कि इस ऐप के ज़रिए सरकार को लोगों की निजी जानकारी और डिजिटल गतिविधियों पर नज़र रखने का सीधा रास्ता मिल सकता है, जो बेहद खतरनाक है.

इस फैसले पर समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने सीधा हमला बोलते हुए पूछा कि सरकार लोगों के फोन में आखिर क्या देखना चाहती है. उन्होंने कहा कि क्या केंद्र सरकार उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की तरह पूरी निगरानी वाली नीति अपनाना चाहती है?

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