भारत-रूस की दोस्ती होगी और दमदार... पुतिन के दौरे से चीन–पाकिस्तान के मंसूबों को लगेगा बड़ा झटका

राष्ट्रपति पुतिन दो दिवसीय दौर पर भारत आने वाले हैं. यह दौरा दोनों देशों के लिए बेहद अहम होने जा रहा है. मोदी–पुतिन मुलाकात को वैश्विक कूटनीति में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का बड़ा संकेत माना जा रहा है. इस मुलाक़ात से चीन-पाकिस्तान को कड़ा संदेश जाएगा.

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मोदी–पुतिन की मुलाकात वैश्विक कूटनीति में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का मज़बूत संदेश पेश करने वाला है (Photo: PTI) मोदी–पुतिन की मुलाकात वैश्विक कूटनीति में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का मज़बूत संदेश पेश करने वाला है (Photo: PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:07 PM IST

9 मई की रात... पाकिस्तान का सबसे बड़ा दांव पर भारत ने जवाबी चाल चली. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने S-400 सिस्टम की मदद से वो कर दिखाया, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया. पाकिस्तान की हजारों मिसाइलें और ड्रोन हवा में ही तबाह हो गए, और भारत की सीमा रही पूरी तरह सुरक्षित रहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में इस घटना का पूरा ब्योरा देते हुए बताया था कि पाकिस्तान ने उस रात करीब 1000 मिसाइलें और ड्रोन भारत की ओर दागने की कोशिश की थी. यह हमला अगर कामयाब होता, तो बड़े शहरों में भारी तबाही होती. 

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लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम, खासकर S-400 की बदौलत, पाकिस्तानी हथियारों को सीमा पार किए बगैर ही मार गिराया गया. भारत ने ये सब कुछ बिना अपने विमान पाकिस्तान की सीमा में भेजे किया - यानी डिफेंस से ऑफेंस का परफेक्ट उदाहरण.

S-400 बनाम S-500: अंतर और जरूरत

S-400 सिस्टम - भारत की ढाल बन गया. रूस से करीब 40 हजार करोड़ रुपये में खरीदे गए इस अत्याधुनिक सिस्टम ने पाकिस्तान के कई एयरबेस के पास उड़ रहे उसके फाइटर जेट को भी गिरा दिया. इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तान की ओर से एक भी मिसाइल भारत की ज़मीन तक नहीं पहुंच पाई. इसने साबित कर दिया कि भारत के पास अब सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि जवाबी क्षमता भी है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “S-400 ने हमारी सुरक्षा को नए स्तर पर पहुंचाया है. यह नया भारत है, जो किसी के आगे झुकता नहीं और अपने नागरिकों की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करता.”

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अब चर्चा S-500 की है - रूस के डिप्टी पीएम यूरी बोर ने संकेत दिया है कि भारत शायद सबसे पहले यह सिस्टम पाने वाला देश बनेगा. S-500 की मारक क्षमता 500-600 किलोमीटर तक है और यह 180-200 किलोमीटर ऊंचाई पर भी टार्गेट को हिट कर सकता है. यह लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज़ और यहां तक कि हाइपरसोनिक हथियारों को भी इंटरसेप्ट कर सकता है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर भारत को S-500 मिलता है तो चीन पर भी निर्णायक रणनीतिक बढ़त मिल जाएगी.

जहां S-400 की पहुंच 400 किलोमीटर तक सीमित है, वहीं S-500 इसे 200 किलोमीटर और आगे बढ़ा देता है. S-400 किसी क्षेत्र की रक्षा करता है, जबकि S-500 पूरे शहरों और राष्ट्रीय संस्थानों की एक साथ सुरक्षा कर सकता है.

भारत को अभी S-400 की दो और स्क्वाड्रन मिलनी बाकी हैं. साथ ही पांच और स्क्वाड्रन खरीदने पर चर्चा चल रही है. उधर, S-500 के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और जॉइंट प्रोडक्शन के विकल्प तलाशे जा रहे हैं. 

हालांकि रूस इस समय युद्ध की परिस्थिति में है, लेकिन भारत अपनी अगली खेप जल्द प्राप्त करने और नए सिस्टम पर बातचीत तेज़ करने में जुटा हुआ है.

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मिशन सुदर्शन चक्र: देशव्यापी सुरक्षा कवच

इसी सबके बीच प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की शुरुआत का भी ऐलान किया. एक ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा कवच जो देश के सभी औद्योगिक, सार्वजनिक और रणनीतिक इलाकों को अभेद्य सुरक्षा प्रदान करेगा. उन्होंने कहा, “हम शांति की स्थापना भी जानते हैं और शांति की रक्षा भी.”

मोदी–पुतिन मुलाकात और भू-राजनीतिक संदेश

इसी क्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा अहम माना जा रहा है. दो दिन की इस मुलाकात को सिर्फ डिफेंस डील तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. एससीओ समिट में मोदी और पुतिन की केमिस्ट्री पर पूरी दुनिया की नज़र है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अनदेखी की और मोदी के साथ निजी वाहन में लंबी बातचीत की. जो अपने आप में एक बड़ा कूटनीतिक संदेश था.

रूसी प्रवक्ता पेस्कोव ने भी यही इशारा दिया, “भारत और रूस का रिश्ता सीमाओं से परे है. यह भारत पर निर्भर है कि हम कितनी दूरी तक साथ बढ़ते हैं.”

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अंतरराष्ट्रीय संकेत और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता

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विशेषज्ञों का मानना है कि रूस, भारत को चीन के संतुलन के तौर पर देखता है. पुतिन का यह दौरा भारत की ‘रणनीतिक स्वतंत्रता’ को और मज़बूत करता है.

रक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी के मुताबिक, यह यात्रा केवल दो देशों की साझेदारी नहीं, बल्कि एक जरूरी भू-राजनीतिक संकेत है. खासतौर पर उस समय, जब दुनिया गुटों में बंट रही है और पश्चिम देशों की नीति ‘या तो हमारे साथ या हमारे खिलाफ’ पर टिकी है.

दरअसल, भारत दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि वह अब किसी के दबाव में नहीं, बल्कि अपने शर्तों पर खेल रहा है. चाहे वह युद्ध की रणनीति हो या वैश्विक राजनीति की डिप्लोमेसी.

राष्ट्रपति पुतिन के साथ  सात मंत्री कल भारत के लिए उड़ान भरेंगे

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सात शीर्ष रूसी मंत्रियों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे. पुतिन के साथ आने वाले सात मंत्रियों की लिस्ट भी तय हो चुकी है. इनमें डिफेंस मिनिस्टर बेलोउसॉव, फाइनेंस मिनिस्टर सिलुआनोव, एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के प्रमुख लुट, और इकोनॉमिक डेवलपमेंट मिनिस्टर रेशेत्निकोव शामिल हैं। इसके अलावा, हेल्थ मिनिस्टर मुराश्को, इंटरनल अफेयर्स के प्रमुख कोलोकॉल्तसेव और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर निकितिन भी उनके साथ होंगे. 

रूसी प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ मंत्रालयों के प्रमुख ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक रीढ़ समझी जाने वाली संस्था - सेंट्रल बैंक की चेयरपर्सन, एल्विरा नबीउलीना भी शामिल होंगी.

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