'बैठो अरे बैठो! मैं कांग्रेसी नहीं हूं जो झूठ बोलूं...', वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान ऐसा क्यों बोले सांसद राधा मोहनदास अग्रवाल

राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और वंदे मातरम् का विरोध करने का आरोप लगाया.

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राज्यसभा में वंदे मातरम् चर्चा के दौरान सदन में अपना भाषण देते सांसद डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल राज्यसभा में वंदे मातरम् चर्चा के दौरान सदन में अपना भाषण देते सांसद डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा जारी है. इस दौरान कई बार सदन का तापमान हाई हुआ और डिबेट हंगामें में बदलती रही. इसी कड़ी में देर शाम जब भाजपा सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखना शुरू किया तो एक बार फिर सदन में गहमा गहमी का माहौल बन गया.

राज्यसभा में मंगलवार को ‘वंदे मातरम्’ को लेकर हुई बहस के दौरान बीजेपी सांसद डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया. अपने संबोधन में उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान सभा में कांग्रेस ने राष्ट्रगीत से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर न तो चर्चा की और न ही पारित होने वाले प्रस्ताव को गंभीरता से लिया.

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अग्रवाल ने कहा कि संसद के हर कार्यकर्ता को समझना चाहिए कि इस विषय पर देश के साथ “बड़ा धोखा” हुआ है. उनके अनुसार, पहले यह तय था कि वंदे मातरम् के मुद्दे को संविधान में चर्चा के लिए लाया जाएगा, लेकिन बाद में कांग्रेस ने औपचारिक प्रस्ताव लाने के बजाय केवल एक बयान जारी करने को बेहतर माना.

उन्होंने संविधान सभा की ऐतिहासिक बैठकों का ज़िक्र करते हुए कहा कि करीब तीन साल से अधिक समय तक ‘भारत’ और ‘इंडिया’ सहित कई विषयों पर गहन विमर्श हुआ, लेकिन वंदे मातरम् पर “एक सेकंड का विमर्श भी नहीं किया गया.” इस दौरान कांग्रेस बेंच से जब विरोध का सुर उठा तो उन्होंने तीखा पलटवार करते हुए कहा, 'मैं कांग्रेसी नहीं हूं जो झूठ बोलूं.'

अग्रवाल ने संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद के उस कथन का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान का दर्जा दिया जाएगा. सांसद के अनुसार, विपक्ष ने राजेंद्र प्रसाद की उस महत्वपूर्ण लाइन को 'बड़ी चतुराई से छिपाया' जिसमें यह कहा गया था कि 'परिस्थिति अनुसार आने वाली सरकारें जन गण मन में परिवर्तन कर सकेंगी.'

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'वे सदन में वंदे मातरम् का सम्मान नहीं करते'
सांसद ने कहा कि 'वंदे मातरम् पर बहस की जरूरत विपक्ष की मानसिकता और उनके विरोध के कारण पैदा हुई है. उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे सदन में वंदे मातरम् का सम्मान नहीं करते और चर्चा को मजाक में बदलते हैं. उन्होंने कहा कि मोहम्मद रमजान ने साफ कहा कि वे वंदे मातरम् नहीं गाएंगे, जिससे बहस का औचित्य सिद्ध होता है. उन्होंने श्रीराम और हजरत मोहम्मद साहब के कथनों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों ने अपनी जन्मभूमि को माता समान माना और उससे प्रेम का संदेश दिया था.'

अग्रवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि उज्बेकिस्तान, ईरान, तुर्की, अज़रबैजान जैसे कई मुस्लिम देशों में मदरलैंड शब्द और मातृभूमि से जुड़े प्रतीकों का सम्मान किया जाता है. उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया में ‘इबू पार्वती’ को धरती माता कहा जाता है. उन्होंने कहा कि दुनिया के मुस्लिम देशों में मातृभूमि का सम्मान इस्लाम के विरोध में नहीं माना जाता, तो भारत में इसे विवाद खड़ा करने का प्रयास गलत है.

कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी के कथन का उल्लेख किया
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि भारत में कुछ राजनीतिक दल मुस्लिम वोटों की राजनीति करते हैं और तुष्टिकरण की नीति के कारण वंदे मातरम् का विरोध करते हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी के कथन का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि “कांग्रेस का मतलब मुसलमान और मुसलमान का मतलब कांग्रेस”. विपक्ष के कुछ नेता हिंदुओं के प्रति अपमानजनक बातें कहते रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दल भारत की संस्थाओं से ही संघर्ष की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कई विपक्षी नेता भारत को ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ कहकर उसका अपमान करते हैं.

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उन्होंने राम मंदिर विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद पर फैसला दिया, फिर भी कुछ विपक्षी नेता नई ‘बाबर मस्जिद’ बनाने का दावा करते हैं.

1923 के काकीनाडा अधिवेशन का किया जिक्र
अग्रवाल ने 1923 के काकीनाडा अधिवेशन का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर को वंदे मातरम् गाने से रोका था, लेकिन पलुस्कर ने पूरा गीत गाकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि काकीनाडा नगर निगम ने सालों बाद मोहम्मद अली जौहर मार्ग का नाम बदलकर वंदे मातरम् मार्ग कर दिया.

अग्रवाल ने कहा कि 1923 में कांग्रेस ने विनायक दामोदर सावरकर को जेल से रिहा करने की मांग का प्रस्ताव भी पारित किया था. उन्होंने कहा कि संविधान सभा में राष्ट्रगान के विषय पर औपचारिक प्रस्ताव लाने का विचार था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने इसे प्रस्ताव की बजाय एक बयान के रूप में जारी करने का निर्णय किया.

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