अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ थोपे जाने से दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार आ गई है. अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाया है, जो कि 27 अगस्त से लागू हो चुका है. भारत अमेरिका के आगे झुका नहीं और रूस से कच्चा तेल खरीदने के फैसले को जारी रखा. विदेश मंत्री जयशंकर, कृषि मंत्री शिवराज सिंह के बाद अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी टैरिफ को लेकर अमेरिका को खरी-खरी सुना दी है.
एक कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय संबंधों में न स्थायी दोस्त होते हैं न दुश्मन. होता है तो केवल देश का हित. दुनिया में आज ट्रेड वॉर जैसे हालात हैं. लेकिन हम राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेंगे.'
उन्होंने कहा कि हमारे सरकार के लिए हमारे किसान, छोटे व्यापारी और देशवासियों की हित सबसे ऊपर है. भारत ने इन लोगों के हितों से कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं कर सकता है.
रक्षा मंत्री के इस बयान को चीन से भारत के रिश्ते में आई मिठास से जोड़कर देखा जा सकता है. टैरिफ की वजह से भारत-चीन साथ आते नज़र आ रहे हैं. आज (शनिवार) को SCO समिट में शामिल होने के लिए चीन पहुंच गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे.
राजनाथ सिंह: आधुनिक युद्ध नीति में ड्रोन को शामिल करना ज़रूरी
उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर के सेक्टर-81 में स्थित रैफे एमफिबर प्राइवेट लिमिटेड राजनाथ सिंह ने शनिवार को दौरा किया. यहां उन्होंने रक्षा उपकरण और इंजन परीक्षण केंद्र का उद्घाटन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मॉडर्न वारफेयर में ड्रोन की अहमियत काफी बढ़ गई है. ड्रोन को युद्ध नीति में शामिल करना आवश्यक हो गया है. आज के दौर में ड्रोन युद्ध के क्षेत्र में एक बड़ी ताक़त बनकर उभरा है. ड्रोन्स को उन इलाकों में भी तैनात किए जा रहे हैं, जिन जगहों पर बड़े उपकरण नहीं पहुंच सके.
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उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर वीरता सशस्त्र बलों की कहानी है तो ड्रोन्स जैसे उपकरण का निर्माण आत्मनिर्भर भारत, हमारे वैज्ञानिकों युवाओं के इनोवेशन की कहानी है.
बता दें कि रैफे एमफिबर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाए गए ड्रोन्स का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मई महीने में किया था.
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