राहुल गांधी को झारखंड HC से राहत, अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का है मामला

झारखंड की चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को राहुल गांधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में ये वारंट जारी किया गया था.

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Rahul Gandhi issues clarification after PM Modi attacks him on ‘Shakti’ row Rahul Gandhi issues clarification after PM Modi attacks him on ‘Shakti’ row

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 20 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट को सशर्त एक महीने के लिए स्थगित कर दिया है.

चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को राहुल गांधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में ये वारंट जारी किया गया था. कोर्ट ने राहुल गांधी को ट्रायल फेस करने के लिए कानून के अनुरूप उपयुक्त कदम उठाने का भी निर्देश दिया है. 

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इससे पहले चाईबासा की एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने राहुल गांधी को 27 मार्च 2024 को कोर्ट के समक्ष पेश होने के कहा था. न्यायाधीश ऋषि कुमार की अदालत ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया था.

राहुल गांधी पर क्या है आरोप?

राहुल गांधी पर आरोप है की बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी ने 2018 में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद भाजपा नेता प्रताप कटियार द्वारा चाईबासा कोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में वाद दायर किया गया था. यह मामला रांची की एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन बाद में इसे चाईबासा ट्रांसफर कर दिया गया.

अधिवक्ता केशव प्रसाद ने बताया कि अप्रैल 2022 में चाईबासा एमपी एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, जिस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया. तब 27 फरवरी 2024 को कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया. इसके बाद राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में आवेदन देकर राहुल गांधी की पेशी से छूट मांगी थी, लेकिन अदालत ने 14 मार्च 2024 को उनके आवेदन को ही खारिज करते हुए 27 मार्च को उन्हें पेश होने का आदेश दिया था.

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आपको बता दें कि मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को सजा सुनाई थी. उसी आधार पर उन्हें लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी थी, हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी जिसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता फिर से बहाल हो गई.

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