गाजा सीजफायर पर मोदी सरकार के स्टैंड से उबला विपक्ष, पवार, प्रियंका और ओवैसी ने विदेश नीति पर उठाए सवाल

गाजा में युद्धविराम को लेकर संयुक्त राष्ट्र में हुई वोटिंग में भारत ने वोटिंग से परहेज किया. भारत की अनुपस्थित पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने नाराजगी जताई है. प्रियंका गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत फिलिस्तीन के साथ खड़ा है लेकिन प्रियंका गांधी वोट के लिए आतंकवादी हमास के साथ खड़ी है.

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यूएन में भारत द्वारा उठाए गए कदम की विपक्ष ने की तीखी आलोचना यूएन में भारत द्वारा उठाए गए कदम की विपक्ष ने की तीखी आलोचना

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में संघर्ष-विराम का आह्वान करने वाले प्रस्ताव से भारत द्वारा दूरी बनाए जाने को लेकर कांग्रेस सहित विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला किया है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि वह भारत के इस कदम से स्तब्ध और शर्मिंदा हैं. प्रियंका ने कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि जब मानवता के साथ हर कानून को ताक पर रख दिया गया है तो ऐसे समय में अपना रुख तय नहीं करना और चुपचाप देखते रहना गलत है.

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गिरिराज सिंह बोले कांग्रेस को कलंक पसंद है

प्रियंका गांधी के पोस्ट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत फिलिस्तीन के साथ खड़ा है. लेकिन प्रियंका गांधी वोट के लिए आतंकवादी हमास के साथ खड़ी है. गिरिराज सिंह ने कहा, 'प्रियंका गांधी वोट के लिए क्या-क्या करोगे? हम फिलिस्तीन के अस्तित्व के लिए कल भी खड़े और आज भी खड़े हैं. लेकिन हमास जैसे आतंकवादी संगठन का पक्ष कांग्रेस ही ले सकती है सामान्य लोग तो नहीं ले सकते हैं. हमास कोई क्रांतिकारी संगठन नहीं है. हमास एक उग्रवादी संगठन है, हमास मानवता के ऊपर एक कलंक हैं.'

गिरिराज सिंह यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, 'कांग्रेस को कलंक पसंद है, लेकिन मुझे पसंद नहीं है. आप वोट की खातिर ये कर सकते हो. ये कौन हैं? गांधी फैमिली आज तक अपने दादा के मजार पर नहीं गई होगी, अपनी जाति बताने में शर्म मसहूस होता होगा. हमें तो गर्व है कि हम हरिजन हैं, हम शेड्यूल कास्ट हैं, हम अपर कास्ट हैं इसे हम बताते हैं. भारत में विभेद मत पैदा करो वोट पाने के लिए.'

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क्या कहा था प्रियंका ने?

इससे पहले प्रियंका गांधी ने आज भारत द्वारा यूएन में उठाए गए कदम की आलोचना की और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'गांधी जी ने कहा था कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है. मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारा देश गाजा में संघर्ष-विराम के लिए हुए मतदान में अनुपस्थित रहा. हमारे देश का निर्माण अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुआ था, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था. ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं. ये भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में इसके कार्यों का मार्गदर्शन किया है.'

प्रियंका ने आगे कहा, 'जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को खत्म किया जा रहा है, तो स्टैंड लेने से इंकार करना और चुपचाप देखना गलत है. यह उन सभी चीजों के विपरीत है, जिनके लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा खड़ा रहा है.'

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इससे पहले शुक्रवार को भी उन्होंने गाजा के समर्थन में पोस्ट करते हुए लिखा, 'गाजा में 7000 मनुष्यों की हत्या के बाद भी रक्तपात और हिंसा का दौर थमा नहीं. इन 7000 लोगों में से 3000 मासूम बच्चे थे. कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं, जिसे कुचला न गया हो. कोई ऐसी मर्यादा नहीं, जिसे तार-तार न किया गया हो. कोई ऐसा क़ायदा नहीं, जिसकी धज्जियां न उड़ी हों. मनुष्यता की सामूहिक चेतना आख़िर और कितनी जानें चली जाने के बाद जागेगी, या ऐसी कोई चेतना अब बची ही नहीं?'

पवार ने भी की सरकार के कदम की आलोचना

यूएन में भारत के वोटिंग में शामिल नहीं होने पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, '...फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार के बीच भ्रम की स्थिति है. भारत की नीति फिलिस्तीन का समर्थन करने की थी, इजरायल का नहीं. (फिलिस्तीन में) हजारों लोग मर रहे हैं और भारत कभी इसका समर्थन नहीं किया. इसलिए मौजूदा सरकार में असमंजस की स्थिति है...'

ओवैसी का सरकार पर हमला

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पोस्ट करते हुए कहा, 'यह हैरान करने वाला कदम है कि मोदी सरकार ने मानवीय संघर्ष विराम और नागरिक जीवन की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया. इजरायल ने गाजा में 7028 लोगों की हत्या कर दी है. उनमें 3000 से अधिक बच्चे और 1700 महिलाएं शामिल हैं. गाजा में कम से कम 45% घर नष्ट हो गए हैं. 14 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. शांतिकाल में भी, गाज़ावासियों को पूर्ण नाकाबंदी का सामना करना पड़ता है और उन्हें मानवीय सहायता पर निर्भर रहना पड़ता है. युद्ध शुरू होने के बाद से हालात और भी खराब हो गए हैं.'

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ओवैसी ने आगे कहा, 'यह एक मानवीय मुद्दा है, राजनीतिक नहीं. प्रस्ताव पर रोक लगाकर, भारत वैश्विक दक्षिण, दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेला खड़ा है. नागरिक जीवन से जुड़े मुद्दे पर भारत ने परहेज क्यों किया? गाजा को सहायता भेजने के बाद परहेज क्यों? "एक विश्व, एक परिवार" का क्या हुआ? और "विश्वगुरु"? पीएम मोदी ने हमास के हमले की निंदा की, लेकिन युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो सके. उन्होंने कुछ दिन पहले जॉर्डन के किंग से बात की थी, लेकिन जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव से दूरी बना ली. यह एक असंगत विदेश नीति है.'

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