पूर्व रॉ चीफ की किताब में फारूक अब्दुल्ला को लेकर ऐसा क्या लिखा है, जिसपर एएस दुलत को देनी पड़ी सफाई

फारूक अब्दुल्ला ने दुलत की किताब 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई' में अपने बारे में किए दावे को सिरे से खारिज कर दिया और इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का दांव बताया है. किताब में दुलत ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने गुप्त तरीके से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया था.

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पूर्व रॉ चीफ की किताब पर बढ़ा विवाद पूर्व रॉ चीफ की किताब पर बढ़ा विवाद

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST

जम्मू-कश्मीर से साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के कई महीनों तक घाटी में तनाव रहा और उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसके करीब 5 साल बाद 2024 में केंद्र शासित प्रदेश बन चुके जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए और अब वहां शांति का माहौल है. लेकिन रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत की एक किताब से एक बार फिर कश्मीर की सियासी फिजा गरमाई हुई है. 

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'370 हटाने का किया था समर्थन'

इस किताब में पूर्व रॉ चीफ दुलत ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने गुप्त तरीके से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया था. यह ऐसी बात है जो अब तक सार्वजनिक नहीं थी. क्योंकि 370 हटाने के विरोध के चलते महीनों तक फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला नजरबंद रहे थे. साथ ही केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ फारूक को कश्मीर की सबसे मुखर आवाज माना जाता था.

फारूक अब्दुल्ला ने दुलत की किताब 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई' में अपने बारे में किए दावे को सिरे से खारिज कर दिया और इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का दांव बताया है. साथ ही उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस दावे को मनगढ़ंत करार दिया है. पार्टी का कहना है कि फारूक ही थे जिन्होंने इस फैसले के खिलाफ गुपकार डिक्लेरेशन बनाया था, जिसमें एक साथ मिलकर कई दलों ने अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की थी.

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दावे पर दुलत को देनी पड़ी सफाई

उधर, किताब के दावे को लेकर विवाद बढ़ता देख लेखक एएस दुलत ने अपनी सफाई में कहा कि यह किताब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की तारीफ से भरी है और इसमें उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है. पूर्व आईपीएस अधिकारी दुलत, जिन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ दोनों में काम किया है और जिन्हें कश्मीर में और कश्मीर पर काम करने का लंबा अनुभव है, ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है.

ये भी पढ़ें: 'अनुच्छेद-370 हटाने के साथ थे फारूक अब्दुल्ला', पूर्व RAW चीफ का दावा, NC अध्यक्ष बोले- चीप स्टंट

जब उनसे उनकी किताब के हवाले से मीडिया में आई उन खबरों के बारे में पूछा गया, जिनमें कहा गया है कि फारूक अब्दुल्ला ने निजी तौर पर अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के कदम का समर्थन किया था, तो दुलत ने कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
दुलत ने एएनआई से कहा, 'मेरी किताब डॉ. फारूक की तारीफ से भरी है, किताब में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है, उनको किताब पढ़नी चाहिए.'

दुलत से फारूक अब्दुल्ला की नाराजगी के बारे में पूछा गया था, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता ने किताब में गलतियां होने की बात कही है और यह भी कहा है कि एक दोस्त ऐसा कभी नहीं लिखता है. इस पर दुलत ने कहा कि फारूक साहब हमेशा मेरे अच्छे दोस्त रहेंगे, मुझे यकीन है कि जब वह दिल्ली आएंगे, तो वह मेरी बहन से मिलने आएंगे जो तीन हफ्तों से बिस्तर पर हैं.

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सज्जाद लोन ने फारूक पर उठाए सवाल

जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई हैरानी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें पहले से ही इस बात का अंदाजा था. दुलत साहब को फारूक साहब का बहुत करीबी माना जाता था. यह आम राय है कि दिल्ली में फारूक साहब के सबसे बड़े वकील दुलत साहब ही हैं. जब वह कहते हैं कि अनुच्छेद 370 खत्म करने पर फारूक अब्दुल्ला की सहमति थी या 2020 से 2023 तक, बीजेपी के साथ गठबंधन करना उनकी सबसे बड़ी इच्छा थी, तो इसमें बहुत सच्चाई नजर आती है.

पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और फारूक अब्दुल्ला को इस मामले पर सफाई देना चाहिए. उन्होंने कहा कि दुलत साहब ने अपनी किताब में लिखा है कि फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 के फैसले के साथ थे और उन्होंने निजी तौर पर अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया था. हम चाहते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और फारूक साहब इस पर सफाई दें. वहीद पारा ने कहा कि हमारा बीजेपी के साथ गठबंधन था, लेकिन उन्होंने (नेशनल कॉन्फ्रेंस) बीजेपी के साथ सौदा किया. जम्मू-कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है, वह एक पैटर्न का हिस्सा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के साथ जो ऐतिहासिक विश्वासघात करता रहा है, वे उसी स्क्रिप्ट को चला रहे हैं.

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'विवाद से किताब बेचने की कोशिश'

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने आरोप लगाया कि किताब को बेचने के लिए विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि किताब में उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने फारूक अब्दुल्ला पर सात महीने तक नज़र रखी. मुझे लगता है कि यह सिर्फ़ विवाद पैदा करने की कोशिश है. यह सिर्फ़ कल्पना की उपज है. वह अपनी किताब बेचने की कोशिश कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर से जुड़ा विवाद पैदा करने से बेहतर और क्या हो सकता है? मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है. साल 2019 में जो हुआ वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा था. हमारा मानना है कि यह गलत था, हम ही एकमात्र लोग थे जो अनुच्छेद 370 के खिलाफ़ लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे.

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दुलत को रिटारमेंट के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में कश्मीर पर सलाहकार नियुक्त किया गया और वह जनवरी 2001 से मई 2004 तक इस पद पर कार्यरत रहे. उन्होंने आईबी में 1990 के दशक के दौरान कश्मीर ग्रुप की अगुवाई की थी. फारूक अब्दुल्ला ने किताब में किए गए दावों का पुरजोर खंडन करते हुए कहा कि दुलत अपनी किताब के जरिए सत्ता के गलियारों तक पहुंचना चाहते हों या पैसा कमाना चाहते हों. उन्होंने कहा कि किताब में लिखी बातें कोरी कल्पना है और सभी को पता है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के वक्त वह और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला कई महीनों तक हिरासत में थे. उन्होंने कहा कि हमें इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि अनुच्छेद 370 को हटाने के हमारे विरोध की बात सभी को पता थी.

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किताब में दुलत ने क्या लिखा?

पूर्व रॉ चीफ दुलत ने अपनी किताब में दावा किया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को निजी तौर पर समर्थन किया था, जबकि सार्वजनिक रूप से उन्होंने इसे कश्मीर के साथ धोखा करार दिया था. किताब के मुताबिक फारूक ने दुलत से कहा, "हम मदद कर सकते थे, लेकिन हमें विश्वास में क्यों नहीं लिया गया?'

अमरजीत सिंह दुलत ने अपनी किताब में यह भी दावा किया कि फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने 370 हटाने से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, लेकिन क्या बात हुई इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है. इस पर फारूक ने कहा कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने से पहले वह, उमर और सांसद हसनैन मसूदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे और कश्मीर घाटी में बढ़ती फौज की तैनाती पर सवाल पूछा था, लेकिन मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया. अगर उन्हें 370 के बारे में जानकारी होती, तो वे उसी वक्त अलार्म बजा देते. 

'दिल्ली से अच्छे रिश्ते चाहते थे फारूक'

इसके अलावा किताब में बीजेपी के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के संबंधों का हवाला भी दिया गया है. किताब में दुलत ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला दिल्ली के साथ काम करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) बीजेपी के साथ करीबी रिश्ते चाहती थी. हालांकि किताब का यह दावा NC के उस रुख के खिलाफ था, जिसमें वे 370 हटाने का लगातार विरोध करते रहे और इसके खिलाफ पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डेक्लरेशन (PAGD) बनाकर फिर से दर्जा बहाल करने की मांग की थी.

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दुलत ने किताब मे लिखा, 'फारूक ने हमेशा दिल्ली के पक्ष में रहने की कोशिश की है, लेकिन दिल्ली की शर्तों पर नहीं, अपने बेटे उमर के विपरीत, जो दिल्ली को खुश करने के लिए अपनी सीमा से बाहर चले जाते हैं. फारूक ने हमेशा समान अवसर की तलाश की, आखिर में अपने तरीके से काम किया, जिसे दिल्ली कभी समझ नहीं पाई. उमर जब कहते हैं कि वह दिल्ली के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं, तो वह दिल्ली को खुश करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं. जबकि फारूक वही करते हैं जो उनके लोगों को अच्छा लगेगा. फारूक और उमर के बीच यही सबसे बड़ा फर्क है.

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